
किसी को कमाने का जुनून होता है तो किसी को दुनिया घूमने का...लेकिन, कानपुर के अमित को पढ़ाई का जुनून है कि वो आठ विषयों में एमए की डिग्री ले चुके हैं, सात विषयों में नेट पास कर चुके हैं और अब दूसरी बार पीएचडी कर रहे हैं.
जी हां, पढ़ाई को लेकर कानपुर के अमित निरंजन का जज्बा और जुनून अभी भी कम नहीं हुआ है. वो कई विषयों में उपाधियां हासिल करके देश-विदेश में रिकॉर्ड बना रहे हैं. 12 जनवरी 2021 को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और दो फरवरी 2022 को वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और उत्कृष्ट काम की वजह से उत्तर प्रदेश सरकार ने अमित का नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए नामित किया है.
कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले अमित निरंजन ने पढ़ाई में ही कामयाबी हासिल नहीं की बल्कि पढ़ाई को ही रिकॉर्ड में बदल दिया. वे युवाओं के लिए न सिर्फ नजीर पेश कर रहे हैं, बल्कि उन्हें मोटिवेट भी करते हैं. देश-विदेश के हजारों छात्र करियर काउंसिल के लिए उनसे जुड़ते हैं. aajtak.in से बातचीत में अमित ने अपनी एजुकेशनल जर्नी साझा की.
इतनी डिग्रियां क्यों?
अमित कहते हैं कि अपनी पढ़ाई के दौरान मुझे अलग-अलग विषयों की महत्ता समझ आई. तब महसूस हुआ कि अगर भविष्य में बतौर लेखक पहचान बनानी है और इंटरनेशनल लेवल पर लोगों से कनेक्ट करना है तो अलग-अलग विषयों को पढ़ना जरूरी है. ताकि कई विषयों के जरिये लोगों से जुड़ा जा सके. हर एक सब्जेक्ट को अपनी प्रैक्टिकल लाइफ से जोड़ते हुए पोस्टग्रेजुएशन करता गया.
हर कदम पर इम्तिहान...
अमित के लिए इतनी डिग्री प्राप्त करना आसान नहीं था. खासकर गाइडेंस और रेगुलर क्लासेस को लेकर कई तरह की परेशानियों को पार करने के बाद उन्होंने यह कामयाबी हासिल की है. उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान कॉलेज से गाइडेंस और प्रॉपर क्लासेस नहीं हो पाती थीं. इसलिए उन्होंने किताबें खरीदकर सेल्फ स्टडी की, इंटरनेशनल और नेशनल प्रोफेसर की किताबों को पढ़ा. इसके अलावा कोविड के दौरान एग्जाम पैटर्न बदला, डिस्क्रिप्टिव के बजाय ऑब्जेक्टिव पैटर्न पर एग्जाम हुए तो उनके लिए भी खुद से तैयारी की.
पिता के देहांत के बाद मां ने दिया हौसला
अमित बताते हैं कि मेरे पिता आर एन निरंजन यूपी हैंडलूम में मैनेजर थे. दिसंबर 2021 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड असाइन हुआ था. उसके दो महीने बाद ही जिंदगी में ऐसा दौर आया कि सबकुछ खत्म हो गया. फरवरी में कोविड की दूसरी लहर के दौरान पिता को गंभीर दिल का दौरा पड़ा था और 22 फरवरी 2022 को पिता का देहांत हो गया. उस समय अमित अपने पहले अटेंप्ट में ही 6 विषयों में नेट निकाल चुके थे और 7वें की तैयारी कर रहे थे.
अमित बताते हैं कि उस वक्त लग रहा था कि सबकुछ खत्म हो गया है. पढ़ाई करने का जज्बा खत्म हो गया था, सबकुछ छोड़ देने वाला था, तब मां ने हौसला बढ़ाया. वो कहते हैं, 'मेरी मां ने मुझे हमेशा प्रेरणा दी, उस वक्त भी मां ने कहा कि लाइफ में अगर रुक जाओगे तो जिंदगी में आगे चीजें कर पाओगे. नेशनल-इंटरनेशनल बच्चों के लिए काउंसलिंग सेशन भी छूट गए थे, उन बच्चों ने भी कहा कि हमें आपकी गाइडेंस की जरूरत है. मां सबसे ज्यादा सपोर्ट किया. फिर रिकवर होने में 6-7 महीने लगे. उसके बाद दिसंबर 2022 में 7वां नेट निकाला.
पढ़ाई का खर्चा कैसे निकालता है?
हमेशा अच्छे स्टूडेंट्स को फायदा रहा है. कानपुर यूनिवर्सिटी ने मुझे एमफिल की पूरी पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी. इसके बाद बीएड कॉलेजों से भी स्कॉलरशिप मिली. जेआरएफ हुआ तो रिसर्च के लिए हर महीने 35 हजार रुपये मिलने लगे, दो साल बाद एसआरएफ प्रमोशन होने के बाद हर महीने 45 हजार रुपये मिलने लगे जिससे पढ़ाई को लेकर कभी कोई परेशानी नहीं हुई.
इन 7 विषयों में नेट निकाला
जून 2010 कॉमर्स (जेआरएफ)
दिसंबर 2010 इकॉनोमिक्स
दिसंबर 2012 मैनजमेंट
दिसंबर 2015 एजुकेशन
दिसंबर 2019 पॉलिटिकल साइंस
दिसंबर 2020 सोशियोलॉजी
दिसंबर 2022 एडल्ट एजुकेशन
इन विषयों में मास्टर्स और प्रोफेशनल डिग्री
एमकॉम
एम इकोनॉमिक्स (गोल्ड मेडलिस्ट)
एमए एजुकेशन
एमए समाजशास्त्र
एमए पॉलिटिकल साइंस
एमए दर्शनशास्त्र
एमबीए एचआर एंड मार्केटिंग
एमफिल कॉमर्स (गोल्ड मेडलिस्ट)
बीएड
एलएलबी
इसके अलावा अमित RBI, SSC, KVS, IES (इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विसेज), IBPS आदि प्रतियोगी परीक्षाएं भी पास कर चुके हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया और फिलहाल इकोनॉमिक्स में दूसरी पीएचडी कर रहे हैं.
क्या कभी सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई किया?
इसके जवाब में अमित बताते हैं कि हां, साल 2013 में मैंने इलाहाबाद बैंक ज्वाइन किया था लेकिन पढ़ाई की तरफ मेरा रुझान ज्यादा था. मुझे लगा कि यहां 8 से 9 घंटे नौकरी करने के बाद मैं अपनी पढ़ाई नहीं कर पाऊंगा और मैं अपने स्टूडेंट्स को भी बताता हूं कि आपको लाइफ में जो करना अगर आप उससे भटक जाते हैं तो खुश नहीं रह पाते. इसलिए मुझे लगा कि मैं बैंक की नौकरी से पैसा तो कमा लूंगा लेकिन जो मैंने सोचा था, जो खुशी है, जो मैंने जीवन में ऑथर बनना सोचा था वो नहीं बन पाऊंगा. मैंने यंग ऑथर्स को जोड़ने के लिए निरंजन प्रिटिंग एंड पब्लिकेशन हाउस के नाम से पब्लिकेशन भी शुरू किया. अमित ने जी20 पर डॉ. अमित निरंजन के नाम से भी किताब लिखी है, जो ऐमेजॉन पर उपलब्ध है.
अलग-अलग विषयों में डिग्री हासिल करनी है तो किन बातों ध्यान रखना जरूरी है?
अमित की सलाह है कि ऐसे ही कोई रैंडम विषय न चुनें, वही विषय चुनें जिससे आपको लगता है कि उससे आपके करियर को मदद मिलेगी और आपको उस विषय में आपका इंटरेस्ट होनी भी उतना ही जरूरी है. इसके अलावा किताबें हमेशा खरीदकर पढ़ें, कभी भी गाइड या कुंजी से न पढ़ें. फेमस ऑथर कि ऑथेंटिक बुक्स पढ़ें क्योंकि उन्हें लिखने के लिए काफी रिसर्च और मेहनत की जाती है. अगर बच्चा किताबें पढ़ेगा तो वह किसी भी मंच पर सही तर्क रख सकेगा. अगर ऑनलाइन पढ़ना है तो अच्छे इंस्टीट्यूट्स के प्रोफेसर की ई-बुक या पीडीएफ पढ़ें. रैंडम गुगल आर्टिकल न पढ़ें. यूनिवर्सिटीज और सरकार के चैनल पर आने वाली फ्री क्लासेस ले सकते हैं.