
राजस्थान के कोटा में कोचिंग स्टूडेंटस की आत्महत्या के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. सोमवार को उत्तर प्रदेश में मऊ निवासी 17 वर्षीय छात्रा ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. छात्रा प्रियम सिंह कोटा में पिछले डेढ़ साल से रहकर नीट की तैयारी कर रही थी. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
वहीं छात्रा के पिता ने कोचिंग संस्थान पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पिता ने कहा कि संस्थान की तरफ से पढ़ाई का काफी प्रेशर था. इसकी लिखित में शिकायत दर्ज कराऊंगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हर बच्चे का एक फ्रेंड सर्कल होता है, इसे लव अफेयर के एंगल से जोड़ना सही नहीं है. इसके अलावा पिता का आरोप है कि कोचिंग संस्थान की तरफ से उन्हें लगातार डराया और धमकाया जा रहा है.
मृतक छात्रा के चाचा और पिता ने कोचिंग संस्थान पर लगाए गंभीर आरोप
मृतक छात्रा के चाचा बलवीर सिंह ने रोते हुए बताया कि उनकी भतीजी पढ़ने में काफी होशियार थी. इसलिए उसे पढ़ने के लिए कोटा भेजा गया था. पढ़ाई के प्रेशर की वजह से वो डिप्रेशन में आ गई थी. इसके अलावा छात्रा के ताऊ ने कहा कि उसकी उम्र महज 16-17 साल थी. लव अफेयर जैसी कोई बात नहीं थी. कोटा में पढ़ने वाले छात्र-छात्रों पर पढ़ाई का काफी दबाव रहता है.
चाचा बलवीर सिंह ने कहा है कि कोचिंग संस्थान का कलचर काफी गलत है. करीब तीन हजार बच्चों में 80 -85 होशियार बच्चों को छांटा जाता है और उनका अलग ग्रुप बनाया जाता है. बाकी जो बच्चे बच जाते हैं उन्हें खराब करार दिया जाता है. जिसके कारण बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए सभी बच्चों को समान्य नजर से देखा जाना चाहिए. होशियार और कमजोर बच्चों के ग्रुप बनने से की वजह से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं.
इस साल 25 छात्रों ने किया सुसाइड
बता दें कि पिछले महीने 27 अगस्त को एक दिन कोटा में दो छात्रों के सुसाइड की घटना ने सबको हिलाकर रख दिया था. यहां कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं ने पूरे 'सिस्टम' को सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस साल की शुरुआत से अब तक हुए 25 छात्रों की सुसाइड की घटनाओं ने राज्य में छात्रों की आत्महत्याओं ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इसके अलावा प्रशासन कई तरह के प्रयास कर रहा है, फिर भी यह सिलसिला थम नहीं रहा है.
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