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पुलिस का काम ऐसा है कि शातिर अपराधियों से निपटते हुए उन्हें सख्ती से पेश आना होता है. कई बार पुलिसवालों को अमानवीय तरीके बरतने के आरोपों की वजह से आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ता है. लेकिन यहां आपको ऐसी महिला पुलिसकर्मी से मिलाने जा रहे हैं, जिसके ममता से भरे दिल के बारे में जानकर हर किसी का सिर सम्मान से झुक जाएगा.
ये महिला पुलिसकर्मी हैं महाराष्ट्र के हिंगोली में पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात सलमा सैयद. अब बताते हैं कि 29 साल की सलमा की हिंगोली में हर कोई क्यों तारीफ कर रहा है.
दरअसल, हिंगोली शहर के बस स्टैंड पर 16 जनवरी को सुबह 10 बजे किसी ने एक बेंच से नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनी. ये बेंच बस स्टैंड के पूछताछ केंद्र के पास ही था. तत्काल बस स्टैंड के कुछ कर्मचारी वहां पहुंच गए. पूछताछ केंद्र से लाउड स्पीकर पर कई बार बच्चे के बारे में घोषणा कराई गई लेकिन उसे लेने कोई नहीं पहुंचा. तीन महीने के शिशु का इस बीच रोना बंद नहीं हो रहा था. कुछ पता नहीं चला कि बच्चे को इस तरह लावारिस हालत में कौन छोड़ गया.
ऐसे में महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के अधिकारियों ने बच्चे के बारे में पुलिस को तत्काल सूचना देने का फैसला किया. पुलिस ने बच्चे को सिविल अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल ले जाने के बाद भी नन्हे बच्चे का रोना बंद नहीं हो रहा था डॉक्टर नर्स स्वास्थ्य कर्मचारी सभी ने मिलकर बच्चे को पाउडर का दूध देने की भरपूर कोशिश की लेकिन बच्चे ने वह नहीं पिया. उसका रोना लगातार जारी रहा. बच्चे की ये स्थिति देखकर सिविल अस्पताल के चीफ डॉक्टर ने जच्चा-बच्चा वॉर्ड में भर्ती महिलाओं से बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कराने का आग्रह किया, लेकिन कोई इसके लिए तैयार नहीं हुई. दरअसल, कोरोना महामारी का जैसा खौफ है, उसने भी अनजान बच्चे के लिए ऐसा करने से इन महिलाओं को रोका होगा.
इसी सिविल अस्पताल में 24 घंटे तीन महिला कर्मचारियों की बारी-बारी से ड्यूटी रहती है. इनमें कांस्टेबल सलमा सैयद भी शामिल हैं. अस्पताल में नवजात शिशु को भूख से इस तरह बिलखते देख सलमा के ममता से भरे दिल से रहा नहीं गया. सलमा ने चीफ डॉक्टर से कहा कि उसकी दो साल की बेटी है, जिसे वो अभी भी ब्रेस्ट फीडिंग कराती है, अगर वो इजाजत दें तो वो इस शिशु के लिए भी ऐसा कर सकती है.
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डॉक्टर के इजाजत देने के बाद शिशु को सलमा ने गोद में लिया और फीडिंग रूम में उसे दूध पिलाने चली गईं. ऐसा करते ही बच्चे का रोना बंद हो गया. अस्पताल में उस वक्त जो लोग भी मौजूद थे, उनकी आंखें सलमा की ममता को देखकर नम हो गईं. अब इस घटना को तीन दिन हो गए हैं. लेकिन सलमा दिन में तीन बार इस शिशु को अपना ही समझ कर फीडिंग करा रही हैं. अस्पताल में ड्यूटी पर रहते वक्त दो बार वो ऐसा करती हैं. ड्यूटी खत्म होने के बाद वो घर जाकर वहां का सारा काम करती हैं. उनकी अपनी बेटी के अलावा एक चार साल का बेटा भी है. पति कॉन्ट्रेक्ट पर काम करते हैं. घर का सारा काम खत्म होने के बाद रात को दस बजे वो एक बार फिर अस्पताल आकर बच्चे को दूध पिलाती हैं.
सलमा ने ‘आजतक’ से बातचीत में कहा कि तीन दिन से साथ रहने की वजह से उन्हें इस बच्चे से अपनी संतान जैसा ही लगाव हो गया है. सलमा के मुताबिक वो इस बच्चे को आधिकारिक तरीके से गोद लेकर अपनी तीसरी औलाद के तौर पर ही पालना चाहती हैं.
ममता के इस जज़्बे को सलाम !
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