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भविष्य में बच्चों के लिए इंजीनियरिंग-मेडिकल या IT नहीं, ये सिखाना जरूरी है... हार्वर्ड के प्रोफेसर की सलाह

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर भारत एन. आनंद ने बताया कि हाल ही पहले द वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक आर्टिकल भी छपा है, जिसमें टेक एक्सपर्ट्स अपने बच्चों को कंप्यूटर साइंस नहीं सीखने के लिए कह रहे हैं. वे अपने बच्चों को डांस करना, प्लंबिंग (पानी की पाइपों को ठीक करना) और दूसरों से कैसा व्यवहार करना चाहिए आदि सिखा रहे हैं.

इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2025 के दौरान हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर भारत एन. आनंद की तस्वीर इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2025 के दौरान हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर भारत एन. आनंद की तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

India Today Conclave 2025: भारत में आमतौर पर पेरेंट्स का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर डॉक्टर या इंजीनियर बने. देश में लाखों छात्र IIT-JEE और NEET जैसे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करते हैं, लेकिन हार्वर्ड के प्रोफेसर का कहना है कि बच्चों के भविष्य के लिए यह उतना भी जरूरी नहीं है. इंडिया टुडे कॉनक्लेव में 'Future.Ai: The New Classroom' पर चर्चा करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों और स्टडी के बारे में बताया.

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हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर भारत एन. आनंद का मानना है कि पेरेंट्स को अपने बच्चों को कंप्यूटर साइंस या टेक्नोलॉजी के बारे सिखाने से ज्यादा स्किल्स पर ध्यान देना चाहिए. बच्चों को क्रिएटिव बनाने पर जोर दें, फैसले लेने की समझ विकसित करें,  आर्ट और म्यूजिक सिखाएं, ह्यूमन इमोशन और सहानभूति के बारे में बताएं.

आज के दौर में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), चैटबॉट्स और ऑटोमेशन तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, तो माता-पिता के लिए यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो गया है—"हम अपने बच्चों को क्या सिखाएं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित और सफल हो?"

प्रोफेसर का मानना है कि भविष्य की दुनिया में सिर्फ टेक्निकल स्किल्स पर निर्भर रहना सही नहीं होगा. उनका कहना है कि आज टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट भी अपने बच्चों को कंप्यूटर साइंस या बेसिक कोडिंग सीखने की सलाह नहीं दे रहे हैं, बल्कि उन्हें ऐसे स्किल सीखने पर जोर देना चाहिए जो मशीन इंटेलिजेंस से प्रभावित न हों.

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प्रोफेसर भारत एन. आनंद ने बताया कि इसे लेकर 10 दिन पहले द वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक आर्टिकल भी छपा है, जिसमें टेक एक्सपर्ट्स अपने बच्चों को कंप्यूटर साइंस नहीं सीखने के लिए कह रहे हैं. वो स्किल्स, कम से कम बेसिक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग अब खत्म हो गया है. वे अपने बच्चों को डांस करना, प्लंबिंग (पानी की पाइपों को ठीक करना) और दूसरों से कैसा व्यवहार करना चाहिए आदि सिखा रहे हैं. वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि ये स्किल्स मशीन इंटेलिजेंस का मुकाबला कर सकते हैं.

क्या सीखना जरूरी है?
भारतीय माता-पिता अक्सर बच्चों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, या आईटी जैसे क्षेत्रों में धकेलने की कोशिश करते हैं. लेकिन प्रोफेसर आनंद का मानना है कि अब यह सोच बदलनी चाहिए. भविष्य में जो सबसे जरूरी होगा, वह है सहज ज्ञान (Common Sense), गहरी सोचने की क्षमता और भावनात्मक समझ. प्रोफेसर आनंद के अनुसार, माता-पिता को बच्चों को इन स्किल्स पर ध्यान देने पर प्रेरित करना चाहिए-

  • रचनात्मकता (Creativity) – ऐसे नए विचार लाने की क्षमता जो मशीनें नहीं कर सकतीं.
  • निर्णय लेने की समझ (Judgment) – किस स्थिति में क्या सही है, यह तय करने की कुशलता.
  • इंसानी भावनाएं और सहानुभूति (Human Emotion & Empathy) – लोगों को समझने और उनके साथ जुड़ने की क्षमता.
  • मनोविज्ञान (Psychology) – इंसानी व्यवहार को समझना और उसके अनुसार काम करना.
  • कला और संगीत (Arts & Music) – रचनात्मकता को विकसित करने के लिए जरूरी.
  • कौशल-आधारित कार्य (Skill-based Work) – नलसाजी (Plumbing), नृत्य (Dance) और अन्य शारीरिक कार्य जो एआई नहीं कर सकता.

 

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टेक्निकल एजुकेशन क्यों नहीं?
प्रोफेसर आनंद के अनुसार, भविष्य में कोडिंग जैसी स्किल्स बहुत तेजी से बदल सकती हैं. अगर आज के माता-पिता बच्चों को सिर्फ इंजीनियरिंग या आईटी में धकेलते हैं, तो हो सकता है कि 10-15 साल बाद वह स्किल जरूरी ही न रहे. इसलिए बच्चों को ऐसी स्किल्स सीखनी चाहिए जो उन्हें जीवन भर मदद करें, न कि सिर्फ किसी खास समय के लिए. प्रोफेसर आनंद कहते हैं, "आपका बच्चा जिस विषय में रुचि लेता है, उसे वही सीखने दें." उन्होंने खुद भी केमिस्ट्री से शुरुआत की थी, लेकिन बाद में अर्थशास्त्र (Economics) में आ गए क्योंकि एक शिक्षक ने उन्हें प्रेरित किया. वे कहते हैं, "बच्चों को ऐसे शिक्षक और विषय खोजने दें जो उन्हें प्रेरित करें, क्योंकि सच्चा कौशल जिज्ञासा (Curiosity) और आत्म-प्रेरणा (Intrinsic Motivation) से आता है."

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