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Lockdown Impact: सिर्फ 8% ग्रामीण बच्चे कर पा रहे ऑनलाइन पढ़ाई, प्राइवेट स्कूल छोड़ रहे स्टूडेंट्स

वंचित परिवारों के लगभग 1400 स्कूली बच्चों के हालिया सर्वेक्षण में सामने आया है कि पिछले डेढ़ साल में लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं. आइए जानें कैसा पड़ा है लॉकडाउन का प्रभाव...

प्रतीकात्मक फोटो (AP) प्रतीकात्मक फोटो (AP)
aajtak.in
  • नई द‍िल्ली ,
  • 07 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

बीते डेढ़ साल से स्कूल बंद चल रहे हैं. वहीं कोरोना महामारी ने छात्रों की लाइफ को बहुत बदल दिया है. इस दौरान स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है  खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों का पठन-पाठ कोरोना काल में काफी मुश्किल हो गया है. एक ताजा सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 8% छात्र ही नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं और 37% बिल्कुल भी स्टडी नहीं कर पाते हैं.

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ऑनलाइन शिक्षा की सीमित पहुंच के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि कई सैंपल परिवारों (ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग आधे) के पास स्मार्टफोन नहीं है. स्मार्टफोन वाले घरों में भी, ऑनलाइन सीखने के संसाधनों तक पहुंचने वाले बच्चों का अनुपात शहरी क्षेत्रों में सिर्फ 31% और ग्रामीण क्षेत्रों में 15% है.

यह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि "स्मार्टफ़ोन अक्सर कामकाजी वयस्कों द्वारा उपयोग किए जाते हैं, और स्कूली बच्चों, विशेष रूप से छोटे भाई-बहनों के लिए उपलब्ध हो भी सकते हैं और नहीं भी" विशेष रूप से गांवों में एक और समस्या यह थी कि स्कूल ऑनलाइन स्टडी मैटिरियल नहीं भेज रहे थे या माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं थी.

क्यों प्राइवेट स्कूल छोड़ रहे बच्चे 

इतना ही नहीं महामारी के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. इस वजह से वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने में असमर्थ हैं. नतीजन निजी स्कूलों से बच्चों का पलायन हुआ है. निजी स्कूलों में नामांकित एक चौथाई से ज्यादा छात्रों के अभिभावकों ने 17 महीने के लंबे स्कूल लॉकडाउन के दौरान या तो परिवार की कम कमाई के कारण या ऑनलाइन शिक्षा लेने में असमर्थ होने की वजह से अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में स्विच किया है.

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15 राज्यों और UT के कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों पर किया गया सर्वे

इकोनोमिस्ट ज्यां द्रेज, रीतिका खेरा और शोधकर्ता विपुल पैकरा की देखरेख में किए गए सर्वे में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कक्षा 1 से 8 में नामांकित 1400 छात्रों को शामिल किया गया था. दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में आधे से ज्यादा सैंपल हैं.

ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच सीमित

इस साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण के नतीजे ग्रामीण बस्तियों और शहरी बस्तियों के 1,400 घरों के इंटरव्यू पर आधारित हैं, जो "अल्पसुविधा वाले परिवारों में रहते हैं, यानी ऐसे परिवार जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं."रिपोर्ट में कहा गया है, "लगभग 60% सैंपल परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, और लगभग 60% दलित या आदिवासी समुदायों से हैं."

सर्वे से स्पष्ट है कि ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच "बहुत सीमित" है. 24% शहरी छात्र नियमित रूप से ऑनलाइन अध्ययन कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण छात्रों के लिए यह आंकड़ा केवल 8% था, शहरी-ग्रामीण विभाजन बहुत बड़ा है.

 

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