Advertisement

डीयू में पढ़ाए जाएंगे मनुस्मृति और बाबरनामा? कुलपति ने बताई क्या है सच्चाई

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति या बाबरनामा जैसा कोई भी कोर्स या अध्ययन सामग्री प्रस्तुत करने की हमारी कोई मनसा नहीं है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति या बाबरनामा पढ़ाए जाने की चर्चा हो रही है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति या बाबरनामा पढ़ाए जाने की चर्चा हो रही है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति या बाबरनामा पढ़ाए जाने की चर्चा हो रही है. इसी बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति या बाबरनामा जैसा कोई भी कोर्स या अध्ययन सामग्री प्रस्तुत करने की हमारी कोई मनसा नहीं है. कुलपति ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी मनुस्मृति और बाबरनामा को कोर्स में शामिल नहीं किया जाएगा. साथ ही कुलपति ने कहा है कि डीयू प्रशासन के सामने न तो ऐसा कोई विषय विचारणीय है और भविष्य में भी हम ऐसे विषयों को अस्वीकार करते हैं. 

Advertisement

मनुस्मृति पढ़ाए जाने की चर्चा को लेकर कुलपति ने कहा कि बाबरनामा तो वैसे भी एक आताताई की आत्मकथा है. उन्होंने कहा कि उसे पढ़ाने की न तो कोई जरूरत है और आज के समय में न ही उसकी कोई प्रासंगिकता है. प्रोफेसर योगेश सिंह ने बताया, 'नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत हम भारतीय परम्पराओं के अनुरूप नए-नए कोर्स लाना चाहते हैं और ला भी रहे हैं, जिनसे देश और समाज का भला हो. हम विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं, इस दिशा में देश की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो और समाज का दायरा कैसे बेहतर हो सके, हम इसकी ओर अग्रसर हैं.'

कुलपति की ओर से ये भी जानकारी दी गई कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी अध्ययन सामाग्री इस बात को मध्यनजर रखके डिजाइन कर रहा है कि हम 2047 तक विकसित राष्ट्र के संकल्प को कैसे प्राप्त कर सकते हैं और डीयू का उसमें क्या योगदान हो सकता है. बता दें कि कुछ दिनों से चर्चा हो रही थी कि  डीयू के कुछ विभागों ने स्नातक पाठ्यक्रम में इन किताबों को पढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. इन खबरों के बाद कुलपति ने इसका खंडन किया है. 

Advertisement

पिछले साल भी हुआ था विवाद

दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के पहले सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में विवादित हिंदू ग्रंथ मनुस्मृति को शामिल करने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. इसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह द्वारा प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने का फैसला लिया था. 

उस वक्त भी इसे लेकर काफी विवाद हुआ था और बाद में योगेश सिंह ने कहा था कि एकेडमिक काउंसिल से पहले, हमारे पास समिति के भीतर प्रस्तावों पर चर्चा करने का एक सिस्टम है जहां हमने पाया कि प्रस्ताव मनुस्मृति के लिए था. हमने तुरंत इसे खारिज कर दिया और प्रस्ताव में संशोधन किया गया. एकेडमिक काउंसिल में भी कोई सदस्य नहीं था जो इस मनुस्मृति प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहता था."
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement