
एनसीईआरटी के सिलेबस में बदलाव के नए-नए मामले समाने आ रहे हैं. महात्मा गांधी से जुड़ी जानकारी 12वीं की किताब से हटाने के बाद अब पता चला है कि NCERT ने 11वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की नई किताब में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम हटा दिया गया है. इसके अलावा नई किताब से जम्मू-कश्मीर द्वारा अनुच्छेद-370 को सुरक्षित रखने के पहलू को भी हटा दिया गया. हाल ही में केंद्र सरकार ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (MANF) बंद करने का भी ऐलान किया था.
जानकारी के मुताबिक पॉलिटिकल साइंस की नई किताब के पहले चैप्टर से संविधान सभा समिति की बैठकों में शामिल होने वाले सदस्यों में से मौलाना आजाद का नाम हटा दिया है. नए संशोधन के बाद अब उस लाइन को लिख गया गया है- "आमतौर पर, जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल या बी.आर. अम्बेडकर ने संविधान सभा की समितियों की अध्यक्षता की.
पु्रानी पॉलिटिकल साइंस की किताब के पहले चैप्टर में "संविधान-क्यों और कैसे?" शीर्षक से एक पैराग्राफ था.
उसमें लिखा था- संविधान सभा में अलग-अलग विषयों पर आठ प्रमुख समितियां थीं. आमतौर पर, जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना आजाद या आंबेडकर इन समितियों की अध्यक्षता करते थे. ये ऐसे लोग नहीं थे जो कई बातों पर एक-दूसरे से सहमत हों.
इसके अलावा इसी किताब के 10वें चैप्टर में, "संविधान का दर्शन" शीर्षक से जम्मू और कश्मीर के सशर्त परिग्रहण का संदर्भ भी हटा दिया गया है. जो पैराग्राफ हटाया गया है.
उसमें लिखा था- “उदाहरण के लिए, जम्मू और कश्मीर का भारतीय संघ में शामिल होना संविधान के आर्टिकल 370 के तहत अपनी स्वायत्तता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता पर आधारित था.”
मौलाना आजाद ने 1946 में संविधान सभा के चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व किया था. भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने छठे साल में उन्होंने ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.
- गांधी उन लोगों द्वारा विशेष रूप से नापसंद थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने.
- हिंदू-मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधी जी की हत्या के प्रयास किए.
- गांधीजी की मृत्यु का देश में साम्प्रदायिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ा. भारत सरकार ने साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कसी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया.
- गोडसे एक चरमपंथी हिंदू अखबार का संपादक था, जिसने गांधीजी को 'मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाला' बताया था.
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं कक्षा के सिलेबस में कुछ बदलाव किए हैं. इसमें मुगलों से जुड़े अध्यायों के अलावा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का गीत, विष्णु खरे और सुमित्रानंदन पंत की कविता भी कोर्स से हट गई हैं. हिंदी में जो बदलाव किए गए हैं, उनमें हिन्दी आरोह भाग-2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल और अंतरा भाग दो से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की गीत गाने दो मुझे को हटा दिया गया है. इसके अलावा विष्णु खरे की एक काम और सत्य को भी हटाया गया है.
एनसीईआरटी के बदलावों के तहत 12वीं के क्लास के इतिहास विषय से 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान का मुगल दरबार का चैप्टर हटा दिया गया है. इसमें छात्रों को 'अकबरनामा' (अकबर के शासनकाल का आधिकारिक इतिहास) और 'बादशाहनामा' (मुगल सम्राट शाहजहाँ का इतिहास) पढ़ाया जाता था. इसके अलावा नागरिक शास्त्र की किताब से ‘विश्व राजनीति में अमेरिकी आधिपत्य और शीत युद्ध से संबंधित दो अध्यायों को हटाया गया है. इसके अलावा, स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘लोकप्रिय जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक पार्टी के प्रभुत्व का काल’ अध्यायों को हटा दिया गया है. इनमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ आदि को पढ़ाया जाता था.