Advertisement

मां बनने की राह का रोड़ा बना कोविड काल, बढ़ा मोटापा, जानें डॉक्टर की राय

मोटापे के मारे ये लोग मेंटल हेल्थ से लेकर स्वास्थ्य की विभ‍िन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. महिलाओं में मोटापे की समस्या ने मेटरनल ओबेसिटी की समस्या को जन्म दे दिया है.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST
  • 100 में से 5 महिलाओं को गर्भावस्था रिस्क
  • फर्टिलिटी के मामलों में 30-40 पर्सेंट में मोटापा

इंच-इंच की कवायद करके खुद को फिट रखने वाले बहुतायत लोग लॉकडाउन और कोरोना के दौर में मोटापे का श‍िकार हो गए हैं. मोटापे के मारे ये लोग मेंटल हेल्थ से लेकर स्वास्थ्य की विभ‍िन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं. महिलाओं में मोटापे की समस्या ने मेटरनल ओबेसिटी की समस्या को जन्म दे दिया है. 

कमर-पेट की चर्बी है खतरनाक 

लेडी हार्ड‍िंंग मेड‍िकल कॉलेज दिल्ली की हेड स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मंजू पुरी कहती हैं कि कोरोना के दौरान लोगों का वजन बढ़ा है. वो कहती हैं कि महिलाओं के शरीर में फैट जब डिपॉजिट होता है तो ओवरी की सेल्स इंसुलिन रजिस्टेंट हो जाती हैं, जिससे पॉली सिस्ट‍िक ओवरियन सिंड्रोम (PCOD) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसकी वजह से मासिक धर्म अनियमित हो जाता है क्योंकि इससे ओवरी में अंडा बनने की जो क्षमता है, वो कम हो जाती है.जिससे मां बनने की गुंजाइश कमतर होती जाती है. इसमें खासकर पेट और कमर के आसपास की चर्बी का रोल होता है. 

Advertisement

बदली लाइफस्टाइल से बढ़ा मोटापा 

दिल्ली की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुरभ‍ि सिंह कहती हैं कि प्रसूति मामलों से जुड़ी प्रैक्ट‍िस के दौरान मैंने पाया कि मेटरनल ओबेसिटी सबसे बड़े रिस्क में से एक है. गर्भावस्था से पहले स्वस्थ वजन वाली महिलाओं की तुलना में, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में गर्भपात, गर्भकालीन मधुमेह, प्रीक्लेम्पसिया, वेनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म, समय पूर्व प्रसव, सीज़ेरियन सेक्शन डिलीवरी समेत घाव के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. यही नहीं गर्भस्थ श‍िशुओं के स्वास्थ्य पर भी मोटापे का असर पड़ता है. 

डॉ सुरभ‍ि कहती हैं कि कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के दौरान महिलाओं की भी लाइफस्टाइल बदली है. आजकल आ रहे 100 में से पांच से छह महिलाओं में मोटापे के कारण गर्भावस्था रिस्क बढ़े दिखते हैं. 

पीरियड रुके, लेकिन प्रेगनेंसी नहीं ! 

प्राइम आईवीएफ सेंटर, गुरुग्राम की हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ निश‍ि सिंह कहती हैं कि कोरोना के बाद वेट गेन की समस्या बढ़ी है. मेरे क्ल‍िनिकों में कई मरीज ऐसी भी आ रही हैं जो कहती हैं कि उनके पीरियड्स बंद हो गए. फिर उनका टेस्ट करो तो प्रेगनेंसी नहीं होती. आगे की जांचों से पता चलता है कि उनकी ओवरी से एग नहीं बन पाता. 

Advertisement

वो बताती हैं कि कई ऐसी मरीज भी आई हैं जिन्होंने कहा कि उन्हें तीन से चार महीने चढ़ गए हैं, रिपोर्ट में पता चला कि प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव हैं. इसका अर्थ ये है कि उन्हें ओवेल्यूएशन नहीं हो रहा. आगे के टेस्ट से पता चलता है कि किसी किसी पेशेंट का थायराइड बढ गया, हाइपो थायरायड में वेट गेन हो जाता है. उनका ओबेसिटी में थायरायड बढ़ा है तो उनका स्ट्रेस फैक्टर भी बढ़ा है. कई में हार्मोन असंतुन की दिक्कत आ रही है, जैसे कहीं हाथों या बैक पर अनचाहे बाल उग रहे हैं. 

डॉ निश‍ि कहती हैं कि बच्चा कंसीव करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि महिलाओं का ओव्यूलेशन और हार्मोंस फिट हों. मोटापे का इनफर्ट‍िलिटी में भी बहुत बड़ा रोल है. डॉ निश‍ि का कहना है कि इन फर्टिलिटी के मामलों में 30-40 पर्सेंट में मोटापे का रोल होता है. 

ये सलाह जरूर अपनाएं 

खाने पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए, वो पोषण युक्त रिच प्रोटीन डायट लें और एक्सरसाइज व वाकिंग को डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं. ऐसा न करने पर महिलाएं न सिर्फ इनफर्ट‍िलिटी बल्क‍ि अन्य रोग हाइपरटेंशन, डायबिटीज आदि बीमारियां भी हो सकती हैं. ये बीमारियां पुरुषों को भी मोटापे के कारण हो जाती हैं. इसलिए मेंटल हेल्थ से लेकर मेटरनल हेल्थ को सेफ रखने के लिए मोटापे को हराने में जुट जाएं. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement