Advertisement

NCERT ने साइंस के सिलेबस से हटाई चार्ल्‍स डार्विन की एवोल्‍यूशन थ्‍योरी, साइंटिस्‍ट्स ने जताई आपत्ति

भारत भर के 1,800 से अधिक वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने कक्षा 9 और 10 के लिए विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से डार्विन के विकास के सिद्धांत को हटाने की निंदा करते हुए NCERT को एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.

Darwins Evolution Theory Darwins Evolution Theory
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 24 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

NCERT Syllabus Change: NCERT ने साइंस के सिलेबस से दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक चार्ल्‍स डार्विन की एवोल्‍यूशन थ्‍योरी को अब पर्मानेंट तौर पर हटाने का फैसला किया है. भारत भर के 1,800 से अधिक वैज्ञानिकों, शिक्षकों और विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों ने कक्षा 9 और 10 के लिए विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से डार्विन के विकास के सिद्धांत को हटाने की निंदा करते हुए NCERT को एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.

Advertisement

ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी ने एक प्रेस स्‍टेटमेंट जारी किया जिसमें 'कोर्स से थ्‍योरी ऑफ एवोल्‍यूशन के खिलाफ एक अपील' शीर्षक वाला पत्र शामिल है. इस पर भारतीय विज्ञान संस्थान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे बड़े वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं.

वैज्ञानिक समुदाय ने माना 'शिक्षा का उपहास'
स्कूली शिक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने वाली सरकारी संस्था नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने Covid-19 महामारी के बाद छात्रों पर बोझ को कम करने के लिए कोर्स को तर्कसंगत बनाने की कवायद की थी. इसके चलते, विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 9, 'आनुवांशिकता और विकास' को 'आनुवंशिकता' से बदल दिया गया था. शिक्षाविदों का मानना था कि ऐसा सिर्फ एक शैक्षणिक सेशन के लिए किया गया है मगर अब इसे पर्मानेंट तौर पर सिलेबस से हटा दिया गया है. वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि डार्विन के विकास के सिद्धांत को कोर्स से हटाना 'शिक्षा का उपहास' है. 

Advertisement

क्‍या है डार्विन की एवोल्‍यूशन थ्‍योरी
जीव विज्ञान की दुनिया में चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन का नाम सबसे महान वैज्ञानिकों की लिस्‍ट में सबसे ऊपर आता है. उनके द्वारा दिया गया 'प्राकृतिक चयन द्वारा विकास (Evolution by Natural Selection)' का वैज्ञानिक सिद्धांत आधुनिक विकासवादी अध्ययनों की नींव है. अपने अध्‍ययन के आधार पर डार्विन ने निष्‍कर्ष निकाला कि पृथ्‍वी पर मौजूद सभी प्रजातियां मूलत: एक ही प्रजाति की उत्‍पत्ति हैं. परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने की प्रवृत्ति ही जैव-विविधता को जन्‍म देती है.

उन्होंने 'ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़' (The Origin of Species) किताब 1859 में प्रकाशित की. इस किताब ने आधुनिक पश्चिमी समाज और उसके विचार को गहराई से प्रभावित किया. उन्‍होंने जब पहली बार कहा कि जानवर और मनुष्‍य एक ही वंश की संतानें हैं, तो धार्मिक विक्टोरियन समाज में खलबली मच गई. उनकी दी गई थ्‍योरी पूरे पृथ्‍वी के जन्‍म और विकास से जुड़े सवालों के जवाब देती है. 

वैज्ञानिकों ने बताया जरूरी
वैज्ञानिकों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि विकास का सिद्धांत बच्‍चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और डार्विन का प्राकृतिक चयन का सिद्धांत छात्रों को जरूरी सोच और वैज्ञानिक पद्धति के महत्व के बारे में शिक्षित करता है. तथ्य यह है कि जैविक दुनिया लगातार बदल रही है और विकास इसकी अनिवार्य प्रक्रिया है. जब से डार्विन ने अपने सिद्धांत का प्रस्ताव दिया है, तब से तर्कसंगत सोच की आधारशिला रखी गई है. 

Advertisement

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement