
NEET परीक्षा के रिजल्ट में National Teasting Agency यानी NTA के द्वारा अपनाई गई ग्रेस मार्क्स देने की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है. NTA ने सुप्रीम कोर्ट के जिस केस का उदाहरण देते हुए छात्रों को ग्रेस मार्क्स बांटे हैं, उसका निर्णय मेडिकल या इंजीनियरिंग की परीक्षा में लागू ही नहीं होता. NTA के द्वारा इस केस को लागू करके नंबर देने को लेकर अब लखनऊ के लॉ स्कॉलर ने NTA के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी शिकायत की है.
पांच मई को देशभर में हुई नीट परीक्षा कराने वाली एनटीए ने 4 जून को जब रिजल्ट जारी किया तो देश भर में हंगामा खड़ा हो गया. वजह 67 बच्चों को जहां 720 में 720 नंबर मिले थे, वहीं इससे भी ज्यादा 1563 बच्चों को ग्रेस मार्किंग दी गई थी. यह ग्रेस मार्किंग 10, 20 या 30 नंबर की नहीं 100 से 150 नंबर तक की दी गई थी, जिसकी वजह से कई बच्चे जो मेरिट में बाहर थे वो मेरिट में आ गए और जो मेरिट वाले बच्चे थे उनके लिए गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन पाना मुश्किल हो गया.
क्या था CLAT का केस
NTA ने कहा जिन परीक्षा केंद्रों पर देर से कॉपी बंटी, गलत क्वेश्चन पेपर दिया गया था. उनको timing calculate कर ग्रेस मार्क्स दिए गए. NTA द्वारा ग्रेस नंबर देने के पीछे CLAT परीक्षा 2018 को लेकर दायर की गई सुप्रीम कोर्ट की याचिका का हवाला लिया गया था. लेकिन अब इसी केस को लेकर NTA सवालों के घेरे में है. लखनऊ की राम मनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर ऋषि शुक्ला ने NTA के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के इस केस का गलत हवाला लेने से NTA अवगत कराया है. वही ऋषि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से भी NTA की शिकायत की है.
सुप्रीम कार्ट का वो निर्णय जिसका NTA ने ग्रेस नंबर देने में जिक्र किया
सुप्रीम कोर्ट में डायरी नंबर 20152/2018 पर दर्ज दिशा पांचाल बनाम सचिव भारत सरकार पर मुख्य न्यायाधीश यू.यू.ललित और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने CLAT के ऑनलाइन परीक्षा में परीक्षार्थी के सवाल को हल करने के लॉग इन और लॉगआउट करने की टाइमिंग के हिसाब से ग्रेस नंबर देने का निर्णय सुनाया था. दिशा पांचाल समेत कई अभ्यर्थियों ने इस परयाचिका डाली थी कि क्लैट की ऑनलाइन परीक्षा में एग्जामिनेशन सेंटर पर कंप्यूटर सही से काम नहीं कर रहे थे, किसी की स्क्रीन खराब थी. उनको उचित समय नहीं मिला.जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सवालों को हल करने की टाइमिंग के हिसाब से ग्रेस नंबर देने का निर्णय दिया था.
मेडिकल-इंजीनियरिंग में नहीं लागू होता है ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की कैटेगरी में साफ लिखा था कि यह निर्णय मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा छोड़कर अन्य शिक्षण संस्थाओं के लिए ही मान्य होगा. शब्दश: लिखा था कि 'Admissible to education institue other than Medical and Engineering'. यानी याचिका के निस्तारण के बाद इस केस के निर्णय की कैटेगरी क्लैट की परीक्षा में दिया गया उसका फैसला मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा में मान्य नहीं होगा लेकिन NTA के द्वारा ग्रेस मार्क्स देने के पीछे इसी केस का हवाला दिया गया.
ऋषि शुक्ला ने NTA और सुप्रीम कोर्ट में की गई शिकायत में साफ लिखा है कि क्लैट की परीक्षा ऑनलाइन होती है जबकि नीट की परीक्षा ऑफलाइन हुई यानी पेन और पेपर से सवालों के हल लिखे गए. ऐसे में किसी बच्चे ने कितनी देर में एक सवाल हल किया इसको नहीं निकाला जा सकता. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय को मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों पर लागू नहीं होने का निर्णय दिया था इसके बाद भी NTA ने इस केस का उदाहरण लेकर ग्रेस नंबर दिए, जो गलत है.