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NTA ने जब-जब एग्जाम कराया, तब-तब हुए कोर्ट केस, अब तक 1100 मामले दर्ज, कहीं ये वजह तो नहीं?

नीट विवाद को लेकर एनटीए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं, लेकिन यह पहला केस नहीं, बीते कुछ सालों में अभिभावकों और छात्रों ने एनटीए पर तमाम आरोप लगाए हैं. भारत के सर्वोच्च न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में से 22 में एनटीए के खिलाफ कुल 1100 मामले दायर किए गए हैं.

NTA के ख‍िलाफ हाल ही में हुए एक प्रदर्शन की तस्वीर NTA के ख‍िलाफ हाल ही में हुए एक प्रदर्शन की तस्वीर
नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

नेशनल टेस्टि‍ंंग एजेंसी 2017 से बनकर 2018 में एक्ट‍िव हुई तभी से कानूनी पचड़ों में फंसना शुरू हो गया. ये कानूनी पेचोखम खत्म होने के बजाय साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं. NEET पेपर लीक या अन‍ियमितता का यह पहला मामला नहीं है, जब छात्रों या अभिभावकों ने एनटीए को कटघरे में खड़ा किया. इससे पहले भी एनटीए कई बार आरोपों के घेरे में आ चुका है. आजतक की टीम ने पिछले कुछ सालों का डेटा इकट्ठा किया है, जिससे पता चलता है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में से 22 में एनटीए के खिलाफ कुल 1100 मामले दायर किए गए हैं.

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गौरतलब है कि साल 2017 में एनटीए की स्थापना की गई थी. इसके बाद से एनटीए के खिलाफ दायर मामलों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि देखी गई है. स्थापना के बाद एक साल तक एनटीए के खिलाफ कोई मामला नहीं था, लेकिन 2018 में 6 मामले दायर किए गए. इसके बाद यह संख्या बढ़ती चली गई. एक साल बाद यानी साल 2019 में एनटीए पर 125 आरोप थे, इसके बाद 2020 में यह 137 तक पहुंच गए. साल 2024 तक के आंकड़ों को देखा जाए पिछले 6 महीने में एनटीए के खिलाफ 139 मामले दर्ज हो चुके हैं. 

2017: 0 मामले

2018: 6 मामले

2019: 125 मामले

2020: 137 मामले

2021: 191 मामले

2022: 317 मामले

2023: 185 मामले

2024 (पहले छह महीने): 139 मामले

2019 के बाद से मामलों में लगातार वृद्धि का क्रेड‍िट एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं की बढ़ती संख्या और हितधारकों के बीच उनके लिए उपलब्ध कानूनी उपायों के बारे में बढ़ती जागरुकता को भी दिया जा सकता है. हालांक‍ि दायर किए गए 1,100 मामलों में से 870 का निपटारा कर दिया गया है, जबकि 230 मामले अभी भी लंबित हैं. इसका मतलब है कि निपटान की औसत दर लगभग 70% है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर 89 प्रतिशत मामलों को सुलझा दिया गया है, यहां 62 में से 55 मामलों का निपटारा किया जा चुका है. 

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इन राज्यों में सुलझे सबसे कम मामले

वहीं कलकत्ता उच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सबसे कम मामले सुलझाए गए हैं. दूसरा आंकड़ा बताता है कि मणिपुर, सिक्किम और मेघालय के उच्च न्यायालयों (सभी उत्तर पूर्व क्षेत्र में) के पास एनटीए के खिलाफ दायर किसी भी मामले का कोई डिजिटल रिकॉर्ड नहीं है. एनटीए के खिलाफ मामलों का वितरण पूरे देश में एक समान नहीं है. क्षेत्रीय विभाजन के हिसाब से देखा जाए तो उत्तर में 42 प्रतिशत मामले, दक्षिण में 35, पश्चिम में 8.4, मध्य में 7.1, पूर्व में 6.6 और उत्तर पूर्व में 0.8 प्रतिशत मामले दर्ज हैं.

एनटीए के खिलाफ दायर मामलों की बढ़ती संख्या कई प्रमुख मुद्दों को उजागर करती है:

परीक्षा प्रक्रिया: एनटीए जो परीक्षा आयोजित करा रहा है उनमें अपनाइ जा रही प्रक्रिया की निष्पक्षता, पारदर्शिता और दक्षता कहीं न कहीं सवालों के घेरे में है. ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि क्योंकि इसके ज्यादातर मामले नाबालिगों द्वारा उनके माता-पिता/अभिभावकों के माध्यम से दायर किए गए. इसलिए यह पता चलता है कि विशेष रूप से युवा छात्रों के बीच एनटीए के प्रति असंतोष बढ़ रहा है.

कानूनी जागरूकता: पिछले कुछ वर्षों में मामलों की बढ़ती संख्या से पता चलता है कि छात्रों, अभिभावकों के बीच शैक्षणिक संस्थानों में उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है.  

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न्यायिक दक्षता: विभिन्न उच्च न्यायालयों में केस सुलझने की दर से पता चलता है कि न्यायिक दक्षता संभवतः संसाधन आवंटन में अंतर की ओर इशारा करती हैं.

 (नोट: कुछ उच्च न्यायालयों, विशेष रूप से छोटे उच्च न्यायालयों ने अपने डिजिटल रिकॉर्ड को अपडेट नहीं किया होगा, जिसके कारण वास्तविक संख्या कैप्चर की गई संख्याओं से थोड़ी अलग होने की संभावना है. हालांकि, यह सुरक्षित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि एनटीए के खिलाफ दायर मामलों की संख्या 1100 से अधिक ही होगी, भले ही कुछ न्यायालयों के डिजिटल रिकॉर्ड अपडेट न हों.) 

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