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महाराष्ट्र की राज्य सरकार स्कूल में नर्सरी एडमिशन की उम्र में बदलाव करने का फैसला किया है. मुंबई में नर्सरी क्लास में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यहां के नियमों के अनुसार जिस बच्चे की उम्र दिसंबर में 3 साल पूरी हो चुकी है, वे नर्सरी में एडमिशन ले सकते है. एडमिशन मार्च-अप्रैल में शुरू होते हैं इसी वजह से ढाई साल के बच्चे का एडमिशन भी नर्सरी कक्षा में कराया जा रहा है.
राज्य सरकार कर रही है न्यू ऐज पॉलिसी पर काम
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे आर्टिकल के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा के राज्य निदेशक शरद गोस्वामी का कहना है कि 'हम एडमिशन के लिए न्यू ऐज पॉलिसी पर काम कर रहे हैं. हम जल्द ही इसकी घोषणा कर देंगे और 2024-25 तक यह स्कूलों में लागू भी कर दी जाएगी. इसमें 3 साल की उम्र का बच्चा स्कूल आने के लिए योग्य है. नई नीति आंगनवाड़ियों और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से तैयार की जा रही है'.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्या है नर्सरी एडमिशन की उम्र
देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में 10+2 के बजाय 5+3+3+4 फॉर्मेट पर पढ़ाई होगी जिसमें बच्चा 3 साल का होगा तो उसका एडमिशन प्री या प्ले स्कूल में कराया जाएगा, नर्सरी में नहीं. 6 साल उम्र में बच्चा क्लास-1 में होगा. इससे पहले तीन साल की प्री स्कूलिंग या बाल वाटिका होगी. यानी पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे.
प्री स्कूल 3 साल तक चलेगा इसके बाद जब बच्चा 6 साल का हो जाएगा तो उसका एडमिशन कक्षा 1 में होगा. लेकिन महाराष्ट्र के मंबई में अभिभावकों की मांग है कि 3 साल की उम्र में बच्चे का दाखिला नर्सरी क्लास में कराया जाए जो कि नई शिक्षा नीति 2020 से अलग है.
राज्य की न्यू ऐज पॉलिसी बच्चों के लिए सही नहीं: ECA
अर्ली चाइल्टहुड एसोसिएशन (ECA) ने गर्वनर रमेश बेस को लेटर लिखकर यह आग्रह किया है कि वह राज्य सरकार से इस विषय पर बात करें और सुनिश्चित करें कि प्री स्कूल में दाखिले के लिए बच्चों की उम्र 3 साल निर्धारित ना की जाए. ECA के मेंबर्स के अनुसार, नई शिक्षा नीति को देखते हुए महाराष्ट्र में बच्चों के स्कूल एडमिशन में कोई बदलाव नहीं लाया गया. ऐसे में कितने छात्र 5 साल की उम्र में कक्षा 1 में ही पहुंच रहे हैं. ECA की स्वाति पोपट वत्स का कहना है कि 3 साल की उम्र से पहले ही नर्सरी में एडमिशन बच्चों के दिमाग पर गलत असर डाल सकता है. नर्सरी क्लास के लिए पाठ्यक्रम सोच समझकर बनाया गया है. इससे कम उम्र के बच्चे अगर नर्सरी में जाएंगे तो उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ेगा.