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कन्याकुमारी: मेडिकल स्टूडेंट सुसाइड मामले में NMC की इमरजेंसी मीटिंग, कॉलेज और DMER से मांगी रिपोर्ट

बीते शनिवार कन्याकुमारी के श्री मूकाम्बिका मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रा डॉ. प्रीति ने अपने कॉलेज के हॉस्टल में सुसाइड कर लिया था. छात्रा ने अपने कथित सुसाइड नोट में एनेस्थीसिया विभाग में अपने प्रोफेसर और सीनियर्स पर यौन उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया था.

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अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:06 PM IST

Medical Student Suicide Case: कन्याकुमारी के एक मेडिकल कॉलेज में 27 वर्षीय मेडिकल स्टूडेंट डॉ. प्रीति (बदला हुआ नाम) सुसाइड केस के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने एक आपातकालीन रैगिंग विरोधी बैठक बुलाई है. एनएमसी ने डॉ. प्रीति के परिवार और दोस्तों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए व्यापक जांच और पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कही है. साथ ही एनएमसी सभी मेडिकल इंस्टीट्यूट्स से छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया है.

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दरअसल, बीते शनिवार कन्याकुमारी के श्री मूकाम्बिका मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रा डॉ. प्रीति ने अपने कॉलेज के हॉस्टल में सुसाइड कर लिया था. छात्रा ने अपने कथित सुसाइड नोट में एनेस्थीसिया विभाग में अपने प्रोफेसर और सीनियर्स पर यौन उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया था. एनएमसी ने कहा कि वह मेडिकल कम्युनिटी में किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वचन देता है.

NMC ने इमरजेंसी मीटिंग में कई फैसले लिए जो इस प्रकार हैं-

1. कॉलेज को कथित उत्पीड़न की जांच में तेजी लाते हुए कल तक घटना पर एक डिटेल्ड रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

2. स्वतंत्र जांच के लिए राज्य चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय (DMER) को एक औपचारिक पत्र भेजा जाएगा. डीएमईआर को 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पूरी करने और जमा करनी होगी, जिससे डॉ. प्रीति के दुखद निधन की परिस्थितियों की जल्दी और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके.

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3. एनएमसी की एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा घटना की जांच होने तक एनएमसी में विचाराधीन मेडिकल कॉलेज के सभी मामले स्थगित रहेंगे.

4. एनएमसी में डॉ. योगेन्द्र मलिक (एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के सदस्य और प्रमुख मीडिया प्रभाग) ने कहा, “एनएमसी रैगिंग और यौन उत्पीड़न के प्रति शून्य-सहिष्णुता नीति बनाए रखने पर प्रतिबद्धत है. निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके और बाहरी एजेंसियों को शामिल करके, हमारा लक्ष्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जहां छात्र बिना किसी डर या भय के अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकें.

बता दें कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस की देखरेख करने वाली भारत की प्रमुख नियामक संस्था है. स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा में उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध, एनएमसी पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण का वितरण सुनिश्चित करता है.

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