
हर साल नोबेल पुरस्कार असाधारण कार्य करने वाले लोगों और संस्थानों को दिया जाता है. जिसे स्वीडन के साइंटिस्ट अल्फ्रेड नोबेल की याद में साल 1901 में शुरू किया गया था. दुनियाभर में अपनी बुद्धि और क्षमता का लोहा मनवाले लोगों को नोबेल पुरस्कार से नवाजा जाता है, जिसका मिलना किसी संस्था या व्यक्ति के लिए सपने से कम नहीं है. स्वीडन के वैज्ञानिक Svante Paabo को मेडिसिन में उनकी रिसर्च के लिए नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया है. उन्होंने विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित कई मुद्दों पर गहन रिसर्च की थी. लेकिन उनका स्वागत तालाब में फेंककर किया गया. आइए जानते हैं क्या है वजह?
8 अक्टूबर को द नोबेल प्राइज के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया गया जिसमें कुछ लोग नोबेल प्राइज विनर स्वांटे पाबो को उठाते हैं और फिर तालाब में फेंक देते हैं. वीडियो देखने से बिल्डिंग के पास बने इस तालाब का पानी गंदा दिख रहा है जिसमें कुछ झाड़ियां भी हैं. इस बीच वहां खड़े कुछ लोग अपने कैमरे से पाबो की तस्वीर भी लेते दिख रहे हैं. हालांकि मामला कुछ और ही है.
ट्विटर पर शेयर किए गए इस वीडियो के कैप्शन में साफ लिखा है कि हमारे नए नोबेल पुरस्कार विजेता स्वांटे पाबो ने तब धूम मचाई जब उनके सहयोगियों ने @MPI_EVA_Leipzig (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी जर्मनी के लीपजिग में स्थित एक शोध संस्थान है, जो मानव समेत बाकी प्राइमेट्स के इतिहास और विकास पर रिसर्च कराती है.) के एक तालाब में फेंक दिया. आमतौर पर तालाब में तब फेंका जाता है जब कोई पीएचडी डिग्री प्राप्त करता है. लेकिन उनके साथी पाबो के #NobelPrize के लिए भी करना चाहते थे.
बता दें कि पाबो ने लंबे समय तक निएंडरथल जीनोम पर काम किया है. वे मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी मेंजेनेटिक्स विभाग के निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं. उनके इसी अद्भुत योगदान के लिए इस साल उन्हें नोबेल प्राइज देने का फैसला हुआ है. पिछले साल चिकित्सा के क्षेत्र में डेविड जूलियस और आर्डेन पैटामूटियम को नोबेल पुरस्कार दिया गया था.