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ओल्ड राजेंद्र नगर ही नहीं, सिव‍िल सर्विस की तैयारी के लिए ये हैं देश के टॉप-5 शहर, जहां है छात्रों की भीड़

ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद देश में कोचिंग संस्थानों के छात्रों की समस्याओं को लेकर खूब बात हो रही है. ओल्ड राजेंद्र नगर में किन हालातों में संकरी गलियों के घुटन भरे माहौल में रहकर छात्र तैयारी कर रहे हैं. ऐसे सेंटर सिर्फ दि‍ल्ली ही नहीं देश के अलग अलग राज्यों में भी हैं.

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मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 30 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट में अचानक पानी आने से तीन छात्रों की मौत हो जाती है. ये तीन ऐसे युवा थे जो अपनी आंखों में सिव‍िल सर्विस पाने, IAS-IPS बनने का सपना लेकर दिल्ली आए थे. यहां के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके की संकरी गलियों में छोटे-छोटे केबिन नुमा कमरों में रहकर तैयारी में जुटे थे. सिर्फ ये तीन बच्चे या सिर्फ ओल्ड राजेंद्र नगर ही ऐसी जगह नहीं है जहां छात्रों का संघर्ष नजर आ रहा है. कमोबेश देश के तमाम शहरों में भी ऐसे ही हालात हैं. 

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ओल्ड राजेंद्र नगर: इंच-इंच की है कीमत

ओल्ड राजेंद्र नगर में रहकर तैयारी कर रहे छात्र रूपेंद्र बताते हैं कि इस इलाके में जैसे हर कोई पैसे का भूखा है. ये लोग पैसों के इतने भूखे हैं कि यहां 20 हजार में छोटा सा कमरा मिलता है. वैसे ही बेसमेंट में लाइब्रेरी खोलकर छात्रों को एक एग्ज‍िट देते हैं. आपको हर कदम पर आपको एक बेसमेंट लाइब्रेरी मिलेगी, इनकी संख्या करीब 60 से 70 हैं. इसमें हरेक में 300-400 छात्र पढ़ते हैं. ये सारे एक फार्मूला फॉलो करते हैं, वन एंट्री वन एग्ज‍िट. इसमें कोई हादसा होने पर छात्र भाग नहीं पाते.

मुखर्जी नगर में भी ऐसे ही है हालात

दिल्ली में ही आईएएस आईपीएस की तैयारी का दूसरा हब मुखर्जी नगर भी ऐसे ही हालात झेल रहा है. कुछ महीनों पहले ही यहां एक कोचिंग सेंटर में आग लगी तो बच्चे ऊपर से ऐसे कूद रहे थे जैसे कोई ख‍िलौने हों. यहां के माहौल, नेहरू विहार तक रिहाइशी इलाके में कमरों की भारी कीमत, कम सुविधाएं, महंगी फीस, एक कोचिंग में हजारों छात्र जैसी समस्याएं ये सब छात्र झेल रहे हैं. मुखर्जी नगर में रहकर पिछले 4 साल से तैयारी कर रहे छात्र ओम अग्रवाल कहते हैं कि हम लोग समय समय पर अपनी समस्याएं उठाते रहते हैं, लेकिन यहां छात्र पढ़ाई करने आते हैं, किसी के पास इतना टाइम नहीं होता कि वो रोज प्रदर्शन करे, कोर्ट कचहरी करे. ओम कहते हैं कि हमने कल भी एक प्रदर्शन करके मांग की थी कि हरहाल में बेसमेंट में क्लासेज और लाइब्रेरी बंंद हों. इसके अलावा हमारे इलाके में जलभराव, तारों के बिछे जाल से निजात मिले ताकि फिर कोई नीलेश गेट से चिपक अपनी जान न दे. ओम कहते हैं कि हाल ही में एक यूपीएससी एस्प‍िरेंट जिस तरह ट्रांसफॉर्मर में चिपककर मरा, ये हमें झकझाेर कर रख देता है. 

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प्रयागराज में भी होती हैं कोचिंग्स

करीब 15.-20 साल पहले इलाहाबाद जो कि आज प्रयागराज के नाम से जाना जाता है, यहां भी यूपीएससी की कोचिंग का हब माना जाता था. आज भले ही उत्तर प्रदेश के छात्रों को यूपीएससी के लिए दूसरे प्रदेश में ठ‍िकाना बनाना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी यहां तैयारी करने वाले छात्रों की कमी नहीं है. प्रयागराज के अल्लापुर, दारागंज, तेलियरगंज और बघाड़ा जैसे इलाकों का हाल भी बहुत अच्छा नहीं है. यहां छोटे छोटे कमरों में एक से ज्यादा छात्र रह रहे हैं. संकरी गलियां, अंधेरे कमरे, सीलन और गलियों में तारों का जाल इन इलाकों को भी मुखर्जीनगर या ओल्ड राजेंद्र नगर जैसा ही अव्यवस्थ‍ित बनाता है. यहां कोचिंग सेंटर्स की भरमार है जहां छात्रों की मारामारी साफ-साफ देखी जा सकती है. 

लखनऊ-जयपुर-पटना भी बन रहा कोचिंग हब 

बीते कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि यूपी की राजधानी लखनऊ भी धीरे धीरे यूपीएससी कोचिंग की दिशा में पैर फैला रही है. यहां देश के ब्रांड माने जाने वाले कोचिंग सेंटर अपनी शाखाएं लखनऊ में भी खोल रहे हैं. यहां का कपूरथला इलाका और इसके आसपास अलीगंज आद‍ि में कोचिंग छात्रों की मंडी बनती जा रही है. इसके अलावा राजस्थान की राजधानी जयपुर, बिहार की राजधानी पटना में भी यूपीएससी कोचिंग संस्थान जड़ें जमाने लगे हैं. 

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कोचिंग संस्थानों पर कोई नियामक नहीं

श‍िक्षाव‍िद श‍श‍िप्रकाश सिंंह बीते करीब 15 सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे कई कोच‍िंंग संस्थानों के छात्रों को पढ़ा चुके हैं. वो कहते हैं कि देश में कोचिंग संस्थान बीते सालों में बड़ा बिजनेस बनकर उभरे हैं. इसके पीछे देखा जाए तो मुख्य वजह यह है कि इनके पीछे कोई ऐसा नियामक नहीं है जो कोच‍िंंग संस्थानों पर नजर रख सके. कोचिंग संस्थान अपनी मनमानी को लेकर कुख्यात हो चुके हैं. कोई नियम कानून इनके लिए खेल बन चुका है. कोई भी ऐसी नियामक संस्था नहीं है जो इन पर न‍िगरानी रखे. किसी कोचिंग को खोलने से पहले कोई पैरामीटर फॉलो कर रहा या नहीं, इस पर नजर रख सके.    

 

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