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Odisha Teachers Protest: एक लाख से ज्यादा टीचर्स ने ले ली एक साथ छुट्टी, 54 हजार स्कूल बंद, क्या है पूरा मामला

जहां शिक्षकों ने संविदा नियुक्ति प्रणाली को खत्म करने और पुरानी पेंशन को फिर से लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन किया है. वहीं, राज्य संचालित स्कूलों के लगभग 40 लाख छात्र अपने संस्थानों से बाहर रहे. ओडिशा सरकार की हड़ताल वापस लेने की अपील के बावजूद शिक्षकों ने अपना आंदोलन जारी रखा.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 14 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST

ओडिशा में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 40 लाख बच्चे परेशान हैं क्योंकि उनकी पढ़ाई पांच दिन से रुकी है. वजह यह है कि सभी प्राइमरी स्कूलों के 1.30 लाख शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश लिया है. इससे राज्य के 54 हजार स्कूल बंद हैं. इन सरकारी स्कूलों के प्राथमिक शिक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल गुरुवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गई है.

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यहां शिक्षकों ने संविदा नियुक्ति प्रणाली को खत्म करने और पुरानी पेंशन को फिर से लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन किया है. वहीं, राज्य संचालित स्कूलों के लगभग 40 लाख छात्र अपने संस्थानों से बाहर रहे. ओडिशा सरकार की हड़ताल वापस लेने की अपील के बावजूद शिक्षकों ने अपना आंदोलन जारी रखा. 

यूनाइटेड प्राइमरी टीचर्स फेडरेशन के बैनर तले शिक्षकों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए पिछले शुक्रवार (8 सितंबर) को अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू की थी, जिसमें संविदा नियुक्ति प्रणाली को खत्म करना, ग्रेड वेतन में बढ़ोतरी और पुरानी पेंशन योजना की बहाली शामिल है. 

आंदोलनकारी शिक्षक ब्रह्मानंद महराना ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चूंकि सरकार ने उनकी मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया, इसलिए पीड़ित शिक्षक सामूहिक अवकाश पर चले गए और ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) के कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन के कारण 56,000 स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है. अधिकांश स्कूलों में प्रार्थना के बाद ताला लगा दिया गया, जबकि कुछ स्कूलों में एक या दो शिक्षकों ने कक्षाएं संचालित कीं. 

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एक शिक्षक नेता ने पूछा कि हमारी मांगों पर विचार करने के बजाय, सरकार ने एक उप-समिति का गठन किया है. जब एक अंतर-मंत्रालयी पैनल पहले ही गठित किया जा चुका है, तो उप-समिति की क्या जरूरत है? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उप-समिति का गठन "केवल प्रक्रिया में देरी करने के लिए" किया गया था. 

इस बीच, विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने स्कूली शिक्षकों के मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की. राज्य भाजपा प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा कि छह दिन बीत चुके हैं, सरकार उनकी शिकायतों का समाधान करने में विफल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण राज्य में पूरी शिक्षा व्यवस्था लगभग चरमरा गई है. जब सरकार एक सचिव की हेलिकॉप्टर यात्रा पर 500 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो वे शिक्षकों को उचित वेतन क्यों नहीं दे पा रहे हैं?". 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शरत पटनायक ने कहा कि ओडिशा में शिक्षा व्यवस्था में 'आपातकाल' जैसी स्थिति पैदा हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान किए बिना हाथ पर हाथ धरे बैठी है. दूसरी ओर, बीजद विधायक अरबिंद धाली ने कहा कि राज्य सरकार निश्चित रूप से उनकी वास्तविक मांगों पर गौर करेगी. 

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