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QS वर्ल्ड रैंक‍िंग में JNU इंडिया में 20वें नंबर पर, जानें- इन भारतीय संस्थानों की रैंक

वैश्विक क्यूएस विश्वविद्यालय रैंकिंग जारी कर दी गई है. जेएनयू भारत का सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय बना है. विकास अध्ययन के लिए वैश्विक स्तर पर जेएनयू को 20वां स्थान मिला है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST

QS World University Rankings 2024: क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग ने विश्व के टॉप विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है, जिसमें भारत के भी कई नामी संस्थान शामिल हैं. राजधानी दिल्ली में स्थिति जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को पढ़ाई के लिए वैश्विक स्तर पर 20वां स्थान प्राप्त हुआ है. जेएनयू उन 20 यूनिर्विसिटीज में से एक है, जिन्होंने शैक्षिक स्तर पर काफी ग्रोथ की है. इस रैंकिंग लिस्ट में जेएनयू के अलावा आईआईएम अहमदाबाद और सविता इंस्टीट्यूट भी शामिल हैं. 

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JNU के बाद इन यूनिवर्सिटीज़ को मिली रैंकिंग

जेएनयू को विकास अधय्यन के लिए 20वां स्थान मिला है तो वहीं, व्यवसाय एवं प्रबंधन अध्ययन के लिए आईआईएम अहमदाबाद को विश्व के शीर्ष संस्थानों में 25वां स्थान मिला है. इसके अलावा आईआईएम बेंगलुरु और कलकत्ता को 50वां स्थान मिला है. वहीं, सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज चेन्नई, दंत चिकित्सा अध्ययन के लिए विश्व स्तर पर 24वें स्थान पर है. 

ब्रिटेन को पछाड़ने की कगार पर पहुंचा भारत

क्यूएस अधिकारी ने कहा कि भारत अब अनुसंधान का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है और ब्रिटेन को पछाड़ने की कगार पर पहुंच गया है. भारत निस्संदेह अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक समुदाय में एक सशक्त खिलाड़ी बन रहा है. भारत में कई देशों के छात्र आकर अध्ययन कर रहे हैं. 

विश्व यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत की 20% ग्रोथ

क्यूएस सीईओ जेसिका टर्नर ने कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बढ़ती मांग के बावजूद उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है. इसे 2020 की एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) द्वारा मान्यता दी गई थी, जिसमें यह लक्ष्य निर्धारित किया था कि 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन हो जाएं. हमारे 55 विषय रैंकिंग और पांच ब्रॉड फेसिलिटी क्षेत्रों में शामिल भारतीय कार्यक्रमों की संख्या इस साल 355 से बढ़कर 454 हो गई है'. विषय के आधार पर इस साल की क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में, भारत ने काफी ग्रोथ की है. इस साल 20 प्रतिशत बढ़त हुई है. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

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