
ओडिशा के गोपीनाथ स्वैन, भगबत प्रधान, बिनोद महराणा, और बिनोद कुमार पसायत को गृह मंत्रालय द्वारा पदम श्री से सम्मानित किया जाएगा. कला के छेत्र में इन सभी का बड़ा योगदान रहा है. गंजम जिले के 105 वर्षीय कलाकार गोपीनाथ स्वैन ने कृष्ण लीला के प्रदर्शन में नौ दशक से अधिक समय समर्पित किया है, इस सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देने के लिए उन्हें पद्मश्री मिलेगा. उन्होंने न केवल प्राचीन रागों को गाया और सिखाया है, बल्कि पारंपरिक ग्रामीण स्कूलों और अखाड़ों की भी स्थापना की है. इसके अलावा कई शिष्यों को अपना ज्ञान प्रदान किया है.
लोक नृत्य प्रसतुति और पट्टचित्र कला के लिए मिलेगा अवॉर्ड
वहीं, बरगढ़ के भागवत पधान को लोक नृत्य के लिए पद्मश्री दिया गया है. इन्होंने सबदा नृत्य को कई मंचों पर प्रसतुत किया है साथ ही इस कला की ट्रेनिंग भी दी है. भागवत ने महादेव का नृत्य शैली को संरक्षित और लोकप्रिय बनाने के लिए पांच दशकों से अधिक समय से समर्पित किया है. 85 वर्षीय प्रधान ने 600 से अधिक नर्तकियों को यह डांस सिखाया है. इसके अलावा भुवनेश्वर स्थित शिल्पी गुरु और पट्टचित्र कला में स्पेशलिस्ट, मास्टर चित्रकार बिनोद कुमार महाराणा को पट्टचित्र कला के उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा. राष्ट्रीय पुरस्कार, विश्वकर्मा प्रशस्ति पत्र और राज्य ललित कला अकादमी को मान्यता दिलाई है. महाराणा की कलात्मक यात्रा ने व्यापक सराहना हासिल की है.
पेशे से नाई बिनोद कुमार को मिलेगा पद्मश्री
संबलपुर शहर के बिनोद कुमार पसायत को एक प्रसिद्ध गीतकार, नाटककार और कवि के रूप में उनकी भूमिकाओं के लिए पद्मश्री मिलेगा. पेशे से नाई होने के बावजूद, 88 वर्षीय पसायत पिछले सात दशकों से एक लेखक रहे हैं. इनका जन्म बलांगीर में हुआ था, यहां वे नाई की दुकान चलाते हुए हुए लिखने के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए संबलपुर चले आए. पुरस्कार मार्च या अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक समारोहों में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाएंगे. ओडिशा की इन चार प्रतिष्ठित हस्तियों को विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान के लिए मान्यता दी गई है.