Pariksha Par Charcha 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी बोर्ड परीक्षा (Board Exam) 2024 से पहले देशभर के 10वीं और 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के तनाव को कम करने के लिए 'परीक्षा पे चर्चा कर रहे हैं. आज यानी 29 जनवरी 2024 को दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में यह आयोजन शुरू हो चुका है. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी स्टूडेंस्ट, टीचर्स और पेरेंट्स के साथ बोर्ड परीक्षा से पहले होने वाले तनाम और डर को कम करने के लिए 7वीं बार 'परीक्षा पे करने जा रहे हैं.
जीवन में हार मानकर हताश हो जाना अच्छी बात नहीं है. गलतियां हमें हर मोड़ पर नई सीख देती हैं. पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान छात्रों से कहा कि हर गलती हमें नई सीख देती है.
PM मोदी ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति बुरी है. मां ने बहुत बढ़िया खाना बनाया है, स्वाद आपकी पसंद का है, समय भी खाने का है लेकिन बस खाते जा रहे हैं, मां परोसती जा रही हैं, क्या यह संभव है? कभी ना कभी तो सब कहते हैं कि मां अब पेट भर गया. ऐसे में एक स्टेज आ जाती है कि वो खाना भी आपको तकलीफ देगा, कितना भी प्रिय खाना आपको छोड़ना पड़ेगा. बहुत कम मेरे हाथ में मोबाइल फोन होता है, मुझे मालूम है कि यह मेरे लिए आवश्यक साधन भी है. जो मां-बाप खुद भी दिनभर मोबाइल में रहते होंगे वो भी चाहते होंगे के मेरा बेटा इससे बचे.
अगर 100 मिलियन चुनौतियांं हैं तो बिलियन समाधान भी हैं. मुझे कभी नहीं लगता कि मैं अकेला हूं. मुझे हमेशा पता होता है कि मेरा देश मेरे साथ है, हर हम चुनौती को पार कर जाएंगे. मैं अपनी शक्ति देश का सामर्थ्य बढ़ाने में लगाता हूं. अब हिंदुस्तान की हर सरकार को गरीबी के संकट से जूझना पड़ा है. मैं डर के नहीं बैठा, मैंने उसका रास्ता खोजा. अगर मैं रोजमर्रा की परेशानी से उसे मुक्ति दिला दूं तो वो भी सोचेगा कि मुझे भी कुछ करना है. मेरे कार्यक्रल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं. हम देश के संसाधनों पर भरोसा करें. जब हम यह चीज देखते हैं तो अकेला महसूस नहीं करते. मुझे पूरा भरोसा होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में मैंने देशवासियों से ताली-थाली बजाने को कहा. यह कोरोना को खत्म नहीं करता लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म देता है. उन्होंने आगे कहा कि जिसका जिसके पास सामर्थ्य है, उसका सही उपयोग करना चाहिए. अच्छी सरकार चलाने के लिए इन समस्याओं के समाधान के लिए भी आपको नीचे से ऊपर की तरफ सही जानकारी और गाइडेंस आना चाहिए. अगर यह सही रहा तो आप चीजों को संभाल सकते हैं. कोरोना इसका बहुत बड़ा उदाहरण है. मैंने छोटी खिड़की भी खुली नहीं रखी है कि निराशा वहां से आ जाए.
मुझे अच्छा लगा कि आपको पता है कि पीएम को कितना प्रेशर झेलना पड़ता है, वर्ना आपको तो लगता होगा कि हवाई जहाज हेलीकॉप्टर सब है. दरअसल, हर किसी के जीवन में अपनी स्थिति के अतिरिक्त ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जिसे उसे मैनेज करना पड़ता है. बाकी चीजों कोे भी संभालना पड़ता है. मेरी प्रकृति है कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं. चुनौती जाएगी स्खितियां गुजर जाएगी, मैं इसकी प्रतीक्षा करने में सोया नहीं रहता हूं. इससे मुझे नई चाजें सीखने को मिलती है. दूसरा मेरे भीतर कॉन्फीडेंस है, मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी है, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं.
घर के अंदर परिवार के अंदर अच्छा वातावरण जरूरी है. टेक्नोलॉजी को बोझ नहीं मानना चाहिए, इसका सही उपयोग सीखना जरूरी है. आप अपने माता-पिता को बताएं कि मोबाइल पर क्या-क्या होता है. नहीं तो मां बाप को लगेगा कि मोबाइल मतलब दोस्तों से चिपका हुआ है. स्क्रीन टाइमर ऑन करके रखें, ताकि आपको पता चलें कि कहीं आप मोबाइल का ज्यादा उपयोग तो नहीं कर रहे ताकि हमें भी पता चले कि हां यार ज्यादा हो गया, अब रुकना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा आज नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ने आपके लिए बहुत सुविधा कर दी है. आप अपना क्षेत्र और राह बदल सकते हैं. आप अपने आप प्रगति कर सकते हैं. मैंने देखा कि बच्चों की प्रतिभा जिस प्रकार से प्रकट हुई है वह देखने लायक है, इन बच्चों ने बहुत अच्छा किया है. नारी शक्ति का महत्व इतने अच्छे तरीके से रखा है, किसी भी हालत में हमें निर्णायक होना ही चाहिए. रेस्तरां में परिवार के साथ चले जाएं तो पहले आप सोचते होंगे कि मैं ये मंगवाऊंगा फिर बगल वाली टेबल पर देखते हैं तो मन बदल लेते हैं, ऐसे तो आपको संतोष नहीं होगा. जो लोग डाइनिंग टेबल पर निर्णय नहीं कर पाते हैं वह कभी खाने का आनंद नहीं ले सकते.
जो व्यक्ति आपको ज्यादा अच्छा लगता है या जो एडवाइस आपको ज्यादा अच्छी लगती है आप उस मान लेते हैं. सबसे बुरी स्थिति कन्फ्यूजन है. हमें इससे बचना चाहिए. निर्णय करने से पहले सारी चीजों को तराजू पर तोलना चाहिए. स्वचछ्ता का विषय अगर प्रधानमंत्री के रूप में देखें तो यह मामूली विषय है, कोई भी कहेगी की पीएम को इतने काम है और यह यह करता रहता है, लेकिन मैंने उसमें अपना मन लगा दिया, इतना काम किया तो वह देश का प्राइम एजेंडा बन गया. मेरी नजर गई कि पिछले 10 साल में आर्ट और कल्चर के छेत्र में भारत का मार्केट 250 गुना बढ़ गया है. हम किसी चीज को कम ना आंके, हमारे में दम होगा तो हम उसमें जान भर देंगे, जो चीज हाथ में लें उसमें जी जान से जुड़ जाएं.
पीएम मोदी ने कहा कि एक के बाद एक रील्स देखते रहेंगे तो समय बर्बाद हो जाएगा, नींद खराब होगी, जो पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा. नींद को कम ना आंके. आधुनिक हेल्थ साइंस नींद को बहुत तवज्जोह देता है. आप नींद आवश्यक लेते हैं या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य पर ध्यान देता है. जिस उमर में हैं, उसमें जिन चीजों की जरूरत है वो आहार में है या नहीं यह जानना जरूरी है. हमारे आहार में सुतंलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए, जैसे रोज टूथब्रश करते हैं वसे ही नो कॉम्प्रोमाइज एक्सरसाइज करनी चाहिए.
आप में से बहुत सारे स्टूडेंट्स मोबाइल का उपयोग करते होंगे और कुछ लोगों को घंटों तक इसकी आदत होगी लेकिन क्या कभी ऐसा विचार आया कि नहीं मैं फोन चार्ज नहीं करूंगा तो इसका उपयोग कम हो जाएगा. मोबाइल को चलाने के लिए चार्ज करना पड़ता है तो बॉडी को भी करना चाहिए. जैसे मोबाइल फोन को चार्जिंग चाहिए, इसी तरह शरीर को भी चार्जिंग चाहिए. जीवन इसके बिना नहीं जी सकते हैं, इसलिए जीवन को थोड़ा संतुलित बनाना पड़ता है. अगर हम स्वस्थ ही नहीं रहेंगे तो हो सकता है कि तीन घंटे परीक्षा में ही न बैठ पाएं. स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर जरूरी है. इसका मतलब यह नहीं कि आपको पहलवानी करनी है. कुछ नहीं तो किताब लेकर सनलाइट में पढ़ें क्योंकि बॉडी को रीचार्ज करने में सनलाइट की भी जरूरत होती है.
आज परीक्षा में सबसे बड़ा चैलेंज होता है लिखना, इसलिए अपना ध्यान प्रैक्टिस में रखें. परीक्षा से पहले विषय के बारे में या जो पढ़ा है वह लिखें फिर खुद ही उसे ठीक करें. क्योंकि अगर आपको तैरना आता है तो पानी में जाने से डर नहीं लगता. जो प्रैक्टिस करता है उसे भरोसा होता कि मैं पार कर जाऊंगा. जितना ज्यादा आप लिखेंगे उतनी ज्यादा शार्पनेस आएगी. परीक्षा कक्ष में कोई अन्य छात्र कितनी स्पीड से लिख रहा है, अगल-बगल में कौन क्या कर रहा है वो सब छोड़कर खुद पर भरोसा रखें.
पीएम मोदी ने कहा, परीक्षा से पहले आराम से बैठें, हंजी-मजाक में 5-10 मिनट बिता दीजिए. खुद में खो जाइए, एग्जाम से बाहर निकल जाएंगे, फिर जब आपके हाथ में प्रश्न पत्र आएगा तो आप आराम से कर पाएंगे. हम बाकी चीजों में लटके रहते हैं, वो बिना कारण हमारी शक्ति बर्बाद करता है. हमें खुद में ही खोए रहना चाहिए. बचपन से अर्जुन और पंक्षी की आंख वाली कथा सुनते हैं, इन्हें अपने जीवन में भी लागू भी करें. घबराहट का कारण है कि परीक्षा के समय सोचना कि कहीं समय कम ना पड़ जाए, अच्छा होता मैं पहले वे प्रश्न कर लेता, ऐसे में पहले पूरा पेपर पढ़ लीजिए फिर देखिए कि आपको कैसे करना है.
कुछ माता पिता को लगता है कि आज एग्जाम है कि बच्चे को नई पेन लाकर दें, लेकिन मेरा आग्रह है कि जो पेन रोज यूज करता है, वही ले जाने दीजिए. न उसे कपड़ों पर टोकिए, जो पहन रहा है उसे पहनने दीजिए. एग्जाम पर उसे कंफर्ट फील कराइए.
पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे डिग्री तो सबके पास होती है, लेकिन कुछ डॉक्टर्स ज्यादा सफल इसलिए होते हैं क्योंकि वह पेशेंट को दोबारा फोन करते हैं कि आपने दवाई ले ली थी. यह बॉन्डिंग मरीज को आधा ठीक कर देती है. मान लीजिए किसी बच्चे ने अच्छा किया और टीचर ने उसके घर जाकर मिठाई मांगी तो उस परिवार को ताकत मिलेगी. परिवार भी सोचता होगा कि टीचर ने तारीफ की है तो हमें भी थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. टीचर का काम नौकरी बदलना नहीं बल्कि छात्र का जीवन बदलना है.
पीएम मोदी ने अभिभावकों से कहा कि संगीत के शिक्षक तो पूरे स्कूल के बच्चों का तनाव खत्म कर सकते हैं. मैं समझता हूं कि किसी भी टीचर के मन में जब यह विचार आता है कि स्टूडेंट के तनाव को कैसे दूर करें. पहले दिन से एग्जाम आने तक टीचर का स्टूडेंट से नाता बढ़ते रहना चाहिए ताकि परीक्षा के दिन तनाव की नौबत ना आए. जिस जिन आप सिलेबस से आगे निकलकर छात्र से नाता जोड़ोगे तो वह छोटी-मोटी दिक्कतों के समय भी जरूर आपसे बात करेगा.
पीएम मोदी ने कि दोस्ती कोई लेनदेन का खेल नहींं है. बच्चों के मन में इतना कंपटीशन नहीं भरना चाहिए कि वो आपस में दोस्त न बन पाएं. मैंने ऐसे भी दोस्त देखे हैं जो दूसरे दोस्त के सफल होने पर मिठाई बांटते हैं.
पीएम ने कहा, अगर जीवन में चुनौतियां ना हों तो फिर जीवन बहुत ही चेतनाहीन बन जाएगा, प्रतिस्पर्धा होनी ही चाहिए. लेकिन यह हेल्दी होना चाहिए. मुझे भी परीक्षा पे चर्चा में इस प्रकार का सवाल पहली बार आया है. कभी-कभी इसका जहर, बीज पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है. घर में भी मां-बाप द्वारा दो भाई-बहन के बीच विकृत प्रतिस्पर्धा का भाव बो दिया जाता है. मेरा आग्रह है कि अपने ही संतानों में ऐसी तुलना मत कीजिए. लंबे समय के बाद यह बीज जहरीला वृक्ष बन जाता है. मां बाप किसी को मिलते हैं तो अपने बच्चे की कथा सुनाते हैं, यह बच्चे के मन में ऐसा प्रभाव करता है कि मैं तो सब कुछ हूं, मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है.
पीएम ने कहा कि एक वीडियो में कुछ दिवयांग बच्चे दौड़ लगा रहे थे, इतने में एक बच्चा गिर जाता है, लेकिन बाकी बच्चों ने पहले उस बच्चे को खड़ा किया फिर दौड़ना शुरू किया. सचमुच में ये वीडियो दिवयांग बच्चों के जीवन का भले ही होगा लेकिन यह हमें बहुत बड़ा संदेश देता है. आपको अपने दोस्त से नहीं बल्कि खुदसे प्रतिस्पर्धा करनी है: पीएम मोदी
बच्चों के एग्जाम प्रेशर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवार के रोल पर बात की. उन्होंने कहा कि अक्सर परिवार के लोग और टीचर प्रेशर देते हैं. वहीं, तीसरा कारण खुद के द्वारा ज्यादा प्रेशर लेने को वजह बताया.
हर नए बैच को इन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों के बैच बदलते रहते हैं, लेकिन टीचर के बैच नहीं बदलते हैं. अब तक के एपिसोड में मेरी बातों का अगर स्कूल में वर्णन किया हो तो छात्रों की समस्याओं का हल हो सकता है. किसी भी प्रकार के प्रेशर को झेलना चाहिए, रोना नहीं चाहिए, जीवन में दबाव बनता रहता है- पीएम मोदी
परीक्षा पे चर्चा के लिए पीएम मोदी मंच पर पहुंच चुके हैं. पीएम द्वारा छात्रों की प्रदर्शनी की सराहना की जा रही है. पीएम ने कहा सभी यह प्रदर्शनी जरूर देखें.
किस बात का है डर
किस बात की है चिंता
जीवन परीक्षाओं से है भरा
आओ करें परीक्षा पे चर्चा...
केंद्रीय विद्यालय के छात्रों द्वारा परीक्षा पे चर्चा का एन्थम गाया जा रहा है.
परीक्षा पे चर्चा के लिए भारत मंडपम के मंच पर पीएम मोदी का स्वागत संबोधन किया जा रहा है. केंद्रीय विद्यालय द्वारा परीक्षा पे चर्चा का गीत गाया जा रहा है.
परीक्षा पे चर्चा 2024 केवल परीक्षा के तनाव और मानसिक परिस्थिति से जुड़ा हुआ ही नहीं है बल्कि इसमें युवाओं को किस तरह के अवसर मिलेंगे, आने वाले समय में विकसित भारत होने तक छात्रों का क्या योगदान रहेगा, इसपर भी चर्चा होगी.
देशभर के छात्र-छात्राओं ने स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, स्थानीय खिलौनों को लेकर भारत मंडपम में प्रदर्शनी लगाई है. इसमें पारंपरिक खिलौनों को दर्शाया गया है. वोकल फॉर लोकल से जुड़ी चीजें छात्र द्वारा पीएम मोदी को दिखाई जा रही हैं.
पीएम मोदी परीक्षा पे चर्चा के लिए प्रगति मैदान के भारत मंडपम पहुंच चुके हैं, कुछ ही देर में वह हॉल में पहुंचेंगे और कार्यक्रम शुरू करेंगे.
परीक्षा पे चर्चा 2024 से पहले, एग्जाम के तनाव से निपटने के लिए राष्ट्रव्यापी चित्रकला प्रतियोगिता (Nationwide Painting Competition) 23 जनवरी, 2024 को देश के 774 जिलों के 657 केंद्रीय विद्यालयों और 122 नवोदय विद्यालयों (एनवीएस) में आयोजित की गई थी.
इस कार्यक्रम में पहली बार देश के विभिन्न हिस्सों से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (Eklavya Model Residential Schools) के 100 छात्र परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लने वाले हैं.
इस कार्यक्रम में लगभग 3000 प्रतिभागी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे. मुख्य कार्यक्रम के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से दो छात्रों तथा एक शिक्षक और कला उत्सव के विजेताओं को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.
परीक्षा पे चर्चा 2024 के लिए 2.26 करोड़ स्कूली छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने पंजीकरण कराया है. छात्र इस कार्यक्रम में भाग लेने और प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हैं.
परीक्षा पे चर्चा 2024 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए, छात्रों को आधिकारिक वेबसाइट, यानी, innovateindia.mygov.in/ppc-2024/ पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करना था. पंजीकरण कराने की आखिरी तारीख 12 जनवरी 2024 थी.
छात्रों का हौंसला बढ़ाने के लिए आज पीएम मोदी 11 बजे परीक्षा पर चर्चा करने जा रहे हैं. इस साल परीक्षा पे चर्चा का आयोजन दिल्ली के प्रगति मैदान में होगा. लाइव अपडेट के लिए हमसे जुड़े रहें.