
PM Modi on Akhil Bhartiya Shiksha Samagam 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान के भारत मंडपम में शनिवार, 29 जुलाई को अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 का उद्घाटन किया. नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर इस समागम का आयोजन किया गया, जो दो दिन चलेगा. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण देते हुए शिक्षा जगत में होने वाले बड़े बदलावों पर चर्चा की. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तीन साल पूरे होने पर उन्होंने देशभर के बुद्धिजीवियों का आभार प्रकट किया, जिन्होंने इसे एक मिशन की रूप में लिया और आगे भी बढ़ाया. पीएम मोदी ने पीएम श्री योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) के तहत राशि की पहली किस्त भी जारी की.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में दी जानी है इसलिए पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में भी होंगी. इसका एक और लाभ देश को होगा, भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा. एनईपी से देश की हर भाषा को सम्मान और बढ़ावा मिलेगा.
पीएम मोदी की 15 बड़ी बातें-
1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य
पीएम मोदी ने अपने भाषण में नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तीन साल पूरे होने पर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना है.
2. शिक्षा में देश का भाग्य बदलने की ताकत
पीएम मोदी ने कहा, ये शिक्षा ही है जिसमें देश को सफल बनाने, देश का भाग्य बदलने की सर्वाधिक ताकत है. आज 21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उसमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी बहुत ज्यादा महत्व है. आप सभी इस व्यवस्था के प्रतिनिधि है, ध्वज वाहक हैं, इसलिए अखिल भारतीय शिक्षा समागम का हिस्सा बनना मेरे लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है.
3. विद्या के लिए विमर्श और शिक्षा के लिए संवाद जरूरी
उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं विद्या के लिए विमर्श जरूरी होता है, शिक्षा के लिए संवाद जरूरी होता है. मुझे खुशी है, अखिल भारतीय समागम के इस सत्र के जरिए हम विमर्श और विचार की अपनी परंपरा को और आगे बढ़ा रहे हैं. इसके पहले ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सभाग्रह में हुआ था. इस बार यह समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहा है. खुशी की बात यह है कि विधिवत रूप से भारत मंडपम के लोकार्पण के बाद यह पहला कार्यक्रम है और खुशी इसलिए बढ़ जाती है कि पहला कार्यक्रम शिक्षा से जुड़ा कार्यक्रम हो रहा है.
4. हाईटेक टेक्नोलॉजी में तेजी से आगे बढ़ रहा देश
पीएम मोदी ने कहा, 'काशी के रुद्राक्ष से लेकर इस आधुनिक भारत मंडपम तक अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इस यात्रा में एक संदेश भी छिपा है. ये संदेश है प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का. यानी एक ओर हमारी शिक्षा व्यवस्था भारत की प्राचीन परंपरा को सहेज रही है, वहीं आधुनिक साइंस और हाईटेक टेक्नोलॉजी के फील्ड में भी हम उतना ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.'
5. NEP को एक मिशन बनाने के लिए बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और अध्यापकों का धन्यवाद
इस आयोजन के लिए, शिक्षा व्यवस्था में आपके योगदान के लिए, आप सभी साथियों को शुभकामनाएं देता हूं. संयोग से आज हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन साल भी पूरे हो रहे हैं. देश के बुद्धिजीवियों ने, एकेडमिशन ने और टीचर्स ने इसे एक मिशन के रूप में लिया और आगे भी बढ़ाया. मैं आज उन सभी का भी धन्यवाद करता हूं, उनका आभार प्रकट करता हूं.
6. युग बदलने वाले परिवर्तन समय लेते हैं
पीएम मोदी ने कहा कि जब युग बदलने वाले परिवर्तन होते हैं, तो वो अपना समय लेते हैं. 3 साल पहले जब हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की थी, तो एक बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र हमारे सामने था, लेकिन आप सभी ने NEP को लागू करने के लिए जो कर्तव्यभाव और समर्पण दिखाया और खुले मन से नए विचारों और प्रयोगों को स्वीकार करने का साहस दिखाया ये वाकई अभिभूत करने वाला और नया विश्वास पैदा करने वाला है.
7. ट्रेडिशनल नॉलेज से लेकर फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी तक
आप सभी ने इसे एक मिशन के तौर पर लिया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ट्रेडिशनल नॉलेज से लेकर फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी तक, उसे बराबरा अहमियत दी गई है. प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में, नए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए, क्षेत्रीय भाषाओं की पाठ्यपुस्तकें लाने के लिए, उच्च शिक्षा के लिए, देश में रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए- देश के शिक्षा जगत के महाननुभावों ने बहुत परिश्रम किया है.
8. 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली से मजबूत होगी शिक्षा व्यवस्था
इस अवसर पर पीएम मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि देश के सामान्य नागरिक और हमारे विद्यार्थी नई व्यवस्था से भलीभांति परिचित हैं. वो यह जान गए हैं कि 10+2 शिक्षा प्रणाली की जगह 5+3+3+4 की शिक्षा प्रणाली है. इससे शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी. पढ़ाई की शुरुआत भी अब तीन साल की आयु से होगी. इससे पूरे देश में एकरूपता आएगी. हाल ही में संसद में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश करने के लिए कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है. एनईपी के तहत नेशनल फ्रेमवर्क भी जल्द ही लागू हो रहा है.
9. लगभग 130 विषयों की किताबें तैयार रही है NCERT
फाउंडेशन स्टेज यानी 3-8 साल के बच्चों के लिए फ्रेमवर्क तैयार भी हो गया है. बाकी के लिए जल्द ही करिकुलम तैयार हो जाएगा. अब पूरे देश में सीबीएसई स्कूलों में एक तरह का पाठ्यक्रम होगा. एनसीईआरटी नई किताबें तैयार कर रही है. तीसरी से 12वीं क्लास तक लगभग 130 विषयों की किताबें आ रही हैं.
10. 22 भारतीय भाषाओं में भी होंगी किताबें
उन्होंने आगे कहा, मुझे खुशी है कि अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में दी जानी है इसलिए पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में भी होंगी. युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषाओं के आधार पर जज किया जाना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है. मातृभाषा में पढ़ाई होने से भारत के युवा टैलेंट के साथ अब असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है और यह सामाजिक न्याय का भी अहम कदम है. दुनिया में सैकड़ों अलग-अलग भाषाएं हैं और हर भाषा की अपनी अहमियत है. दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपनी भाषा की ही बदौलत बढ़त हासिल की है.
11. अंग्रेजी न बोल पाने की वजह से प्रतिभा को स्वीकार करने में समय लगता था
उन्होंने आगे कहा, हमारे यहां इतनी सारी समृध भाषाएं होने के बावजूद हमने अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौर पर पेश किया है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है. कोई कितना भी इनोवेटिव माइंड क्यों न हो, अगर वो अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता था. इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे ग्रामीण अंचल के होनहार बच्चों को उठाना पड़ा है. आज आजादी के अमृतकाल में एनईपी के जरिए देश में इस हीन भावना को भी पीछे छोड़ने की शुरुआत की है. मैं तो यूएन में भी भारत की भाषा बोलता हूं, सुनने वाले को ताली बजाने में देर लगेगी, लेकिन बजेगी.
12. सोशल साइंस से इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में
सोशल साइंस से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में होगी. युवाओं के पास भाषा पर आत्मविश्वास होगा तो उनका हुनर और प्रतिभा भी खुलकर सामने आएगी. इसका एक और लाभ देश को होगा, भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा. एनईपी से देश की हर भाषा को सम्मान और बढ़ावा मिलेगा.
13. गुलामी की मानसिकता से मुक्त युवा पीढ़ी का निर्माण
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में, आने वाले 25 वर्षों में हमें ऊर्जा से भरी एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, जो गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो. जो नए-नए इन्वोशेन के लिए लालायित हो. जो साइंस से लेकर स्पोर्ट्स तक हर क्षेत्र में भारत का नाम आगे बढ़ाएं. जो 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझते हुए अपना सामर्थ्य बढ़ाए. जो कर्तव्य बोध से भरी हुई हो, अपने दायित्व को जानती और समझती हो. इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है.
14. 'पीएम श्री योजना' की पहली किस्त जारी की
पीएम मोदी ने इस अवसर पर पीएम श्री योजना के तहत राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों/ केंद्रीय विद्यालय संगठन/ नवोदय विद्यालय समिति के चयनित 6207 स्कूलों को पहले चरण की पहली किस्त के रूप में 630 करोड़ रुपये से अधिक की केंद्रीय राशि हस्तांतरित कर दी है.
पीएम श्री योजना क्या है?
बताते चलें कि देश का भविष्य बच्चों की बुनियाद को और मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बाद बड़ा कदम उठाया है. जिसके तहत देशभर के 14500 स्कूलों को पीएम श्री (प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा. पीएम मोदी ने शिक्षक दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई केंद्र प्रायोजित योजना 'पीएम श्री स्कूल' को मंजूरी दी है. पीएम श्री स्कूल अपने आसपास के अन्य स्कूलों को मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करेंगे. दरअसल, वर्ष 2022-23 से 2026 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 27360 करोड़ रुपये की लागत से पीएम श्री (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा.
15. भविष्य में भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं होगा
अखिल भारतीय शिक्षा समागम में पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया जानती है कि…जब सॉफ्टवेयर टेक्नालजी की बात आएगी, तो भविष्य भारत का है. जब स्पेस टेक की बात होगी तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है. जब डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात होगी तो भारत का ‘लो कॉस्ट’ और ‘बेस्ट क्वालिटी’ का मॉडल ही हिट होगा. पीएम मोदी ने कहा कि भारत भी जैसे-जैसे मजबूत हो रहा है, भारत की पहचान और परम्पराओं में भी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही है. हमें इस बदलाव को विश्व की अपेक्षा के तौर पर लेना होगा. योग, आयुर्वेद, कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं जुड़ी हैं. हमें हमारी नई पीढ़ी को इनसे परिचित करवाना होगा.