
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में आदिवासी बहुल इलाके शहडोल पहुंचे थे जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आदिवासियों के लिए किए जा रहे कामों को जमकर गिनाया था. इसी भाषण के दौरान पीएम मोदी ने छिंदवाड़ा में खुली ट्राइबल यूनीवर्सिटी का ज़िक्र किया और बताया की शिवराज सरकार ने उसका नाम राजा शंकर शाह के नाम पर रखा.
हालांकि हैरानी की बात ये है कि जिस राजा शंकर शाह ट्राइबल यूनिवर्सिटी का जिक्र पीएम मोदी ने अपने भाषण में किया उसके पास आज की तारीख में अपना खुद का भवन तक नहीं है. दरअसल, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में ट्राइबल यूनिवर्सिटी को साल 2018 में ज़मीन तो अलॉट हुई, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी वहां अब तक यूनिवर्सिटी नहीं बन पाई है.
नहीं हो पा रही प्रोफेसरों की भर्ती
आजतक की टीम द्वारा छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी को अलॉट जमीन को देखा गया तो वहां सिर्फ खाली पड़ी जमीन और पहाड़ नजर आए जबकि 125 एकड़ में बनने वाली यूनिवर्सिटी का नामोनिशान नहीं दिखा. जमीन तो साल 2018 में सरना-बनगांव बायपास पर मिल गई लेकिन यूनिवर्सिटी भवन कैंपस अभी तक नही बन पाया और यही वजह है कि इस यूनिवर्सिटी का कार्यालय फ़िलहाल छिंदवाड़ा के शासकीय पीजी कॉलेज के कैंपस के लाइब्रेरी भवन में संचालित हो रहा है. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मेघराज निनामा का कहना है कि यूनिवर्सिटी बिल्डिंग नहीं बनने की वजह से ना तो कोई एकेडेमिक काम हो पा रहा है और ना ही प्रोफेसरों की भर्ती.
यूनिवर्सिटी फिलहाल लाइब्रेरी में संचालित है
मेघराज निनामा ने आगे कहा कि शंकरशाह विश्वविद्यालय साल 2019 में अस्तित्व में आया है. वर्ष 2019 के बाद 486 करोड़ रुपए सरकार ने सेंक्शन कर दिए थे. टीआईयू को वर्कऑर्डर दे दिया गया था लेकिन अभी तक पैसा सेंक्शन नहीं हुआ है जिस वजह से जमीन अलॉट होने के बाद भी बिल्डिंग नहीं बन पाई है. दिक्कतों को साझा करते हुए मेघराज निनामा ने कहा कि यूनिवर्सिटी फिलहाल लाइब्रेरी में संचालित है और यहां जगह कम है. परीक्षाओं को लेकर कोई भी एकेडमिक कार्य नहीं हो पा रहे हैं. पीएचडी का कार्य भी नहीं शुरू हो पाया है. सरकार ने लगभग 325 पोस्ट भी सेंक्शन कर दी हैं, परंतु जगह के अभाव के कारण उसमें नियुक्ति नहीं की जा रही है.
वर्तमान में यूनिवर्सिटी का दफ्तर छिंदवाड़ा के शासकीय पीजी कॉलेज भवन की लाइब्रेरी से संचालित हो रहा है. यहां के प्रिंसिपल डॉ पी आर चन्देलकर बताते हैं कि चार साल हो गए ज़मीन मिले लेकिन कैंपस नहीं बनने से यूनिवर्सिटी का कामकाज प्रभावित हो रहा है.
छात्रों को हो रही परेशानी
यूनिवर्सिटी की इमारत नहीं बनने से पीजी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी खासे परेशान हो रहे हैं और गुहार लगा रहे हैं की जल्द से जल्द यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग बन जाये तो यहां पढ़ने वाले छात्रों को समस्याओं का सामना ना करना पड़े. ललित साहू (छात्र) ने बताया कि लाइब्रेरी की बिल्डिंग में यूनिवर्सिटी का कार्यालय बना हुआ है जिससे छात्र-छात्राओं को बहुत सी समस्या का सामना करना पड़ता है. कई बार तो क्लास बाहर लगानी पड़ती है. विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण इतने कमरे नहीं हैं जितने होने चाहिए. प्रशासन से अनुरोध करते हुए ललित ने कहा कि जल्द से जल्द बिल्डिंग का निर्माण हो.
कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया भेदभाव का आरोप
पीएम मोदी ने छिंदवाड़ा की इस ट्राइबल यूनिवर्सिटी का नामकरण आदिवासी समुदाय से आने वाले राजा शंकर शाह के नाम पर रखने का उदाहरण तो दिया लेकिन यूनिवर्सिटी की बदहाली के बारे में शायद उन्हें जानकारी नहीं थी. लिहाजा, आजतक ने छिंदवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल से बात की तो उन्होंने पहले तो इसका ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ा और आश्वासन दिया कि जल्द ही काम पूरा किया जायेगा. उधर, छिंदवाड़ा पूर्व सीएम कमलनाथ का गृह नगर है और कांग्रेस का आरोप है कि इसी वजह से बीजेपी की सरकार यहां भेदभाव करती आई है.