
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में शिक्षक शिक्षा उत्कृष्टता केंद्र (CETE) ने 'हर बच्चे के लिए सही शिक्षक' विषय पर एक रिसर्च की थी जिसमें यह सामने आया है कि देश में गणित पढ़ाने वाले 41 प्रतिशत ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने ग्रेजुएशन में गणित की पढ़ाई की ही नहीं है. टाटा इंस्टीस्यूट के अनुसार, आठ राज्यों के सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में 35 से 41 प्रतिशत गणित शिक्षकों के पास स्नातक स्तर पर गणित एक विषय के रूप में नहीं था.
गणित के लिए 35 प्रतिशत शिक्षकों की जरूरत
सर्वे में पाया गया कि शिक्षक भर्ती के में अलग-अलग विषय के टीचर की जरूरत हैं जिसमें गणित 35 प्रतिशत के साथ चार्ट में सबसे ऊपर है. इसके बाद अंग्रेजी 31 प्रतिशत की जरूरत है और क्षेत्रीय भाषाओं में 30 प्रतिशत पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की आवश्यकता है.
422 स्कूल, 3615 शिक्षक का किया गया सर्वे
'हर बच्चे के लिए सही शिक्षक' वाली रिपोर्ट महाराष्ट्र, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम, तेलंगाना राज्यों में किए गए सर्वेक्षणों पर आधारित है. सर्वेक्षण में 422 स्कूल, 3615 शिक्षक, 422 मुख्य शिक्षक, 68 शिक्षक शिक्षा संस्थान और बीएड में पढ़ने वाले 1481 छात्र शिक्षक शामिल हैं. TISS में CETE की चेयरपर्सन और रिपोर्ट की मुख्य लेखिका पद्मा एम. सारंगापानी ने बताया कि रिपोर्ट में आठ बैंकग्राउंड रिसर्च पेपर हैं. जिसमें UDISE+ 2021-22, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) 2021-22 सहित प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के डेटा का यूज किया गया है.
प्राथमिक कक्षाओं के केवल 46 प्रतिशत शिक्षकों के पास उचित योग्यता
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी राज्यों में प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने वाले केवल 46 प्रतिशत शिक्षकों के पास उचित व्यावसायिक योग्यताएं पाई गईं हैं. उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों को अभी भी यह सुनिश्चित करना है कि स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं. ऐसा इसलीए क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की नौकरी अच्छी नहीं मानी जाती और वहीं, सरकारी में देरी से होने वाली शिक्षक भर्ती एक कारण है. इसलिए प्राइवेट सेक्टर में करीबन 40 प्रतिशत शिक्षक है जिसमें से 50 प्रतिशत ऐसे हैं जो बिना किसी लिखित कागजात के पढ़ा रहे हैं.
संगीत और कला के शिक्षकों की भारी कमी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि SOTTTER के अनुसार, शारीरिक शिक्षा, संगीत और कला जैसे विषयों के लिए शिक्षकों की भारी कमी है. “सरकारी स्कूलों में 36 प्रतिशत और निजी स्कूलों में 65 प्रतिशत के साथ शारीरिक शिक्षा शिक्षकों का प्रावधान कुल मिलाकर कम था. कला शिक्षकों और संगीत शिक्षकों का प्रावधान और भी कम है.