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बोर्डिंग स्कूल में रैगिंग: 11वीं के छात्रों ने 8वीं के दर्जनों छात्रों को किया घायल, पेरेंट्स ने प्र‍िंंस‍ि‍पल को बताया दोषी

अरुणाचल प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में आठवीं कक्षा के छात्रों के साथ रैगिंग का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां कक्षा 8वीं के छात्रों ने अपने साथ पढ़ने वाले 11वीं के छात्रों पर रैगिंग का आरोप लगाया है. इस रैंगिंग में 8वीं के छात्रों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है. अभिभावक स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

Ragging in Arunachal Pradesh Boarding School (Representational Image) Ragging in Arunachal Pradesh Boarding School (Representational Image)
aajtak.in
  • अरुणाचल प्रदेश,
  • 26 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के बोर्डुमसा उपमंडल में रैगिंग का मामला सामने आया है. यहां बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के कुछ छात्रों ने 8वीं कक्षा के छात्रों की रैंगिंग ली है, जिसमें दर्जनों छात्रों के घायल होने की खबर है. यह घटना लंच के समय करीब 2 बजे की है. अभिभावकों ने संस्था के प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है और दोषी छात्रों के साथ-साथ स्कूल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. 

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इस बोर्डिंग स्कूल में 530 छात्र और 18 शिक्षक हैं. स्कूल के प्रिंसिपल राजीव रंजन ने कहा कि स्कूल परिसर में हुई भयावह घटना के बाद अनुशासन समिति के फैसले के अनुसार, अब तक पांच छात्रों को निलंबित कर दिया गया है. घायल छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया है और उनका प्रारंभिक उपचार किया गया है.

रंजन ने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई के लिए आज स्कूल की अभिभावक शिक्षक परिषद (पीटीसी) की बैठक बुलाई गई है. उन्होंने यह भी बताया कि अधिकारी आज सुबह 9 बजे निलंबित बच्चों को उनके अभिभावकों को सौंप देंगे. इस बीच घटना के भयावह दृश्य सामने आए हैं, जो शारीरिक यातना की गंभीरता को बयां करते हैं, जिससे युवा किशोरों को उपद्रवी छात्रों के एक वर्ग द्वारा अमानवीय शारीरिक और मानसिक यातना के कारण गुजरना पड़ा. अभिभावकों ने पूरे भयावह घटनाक्रम के लिए स्कूल प्रशासन, खासकर संस्था के प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है और दोषी छात्रों के साथ-साथ स्कूल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है.

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रैगिंग पर क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?

सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता कहते हैं कि रैगिंग के पीछे की मानसिकता एक अलग तरीके का दंभीय आत्मसंतोष देता है. खुद को सीनियर मानने वाले छात्र जूनियर के सामने खुद को सुपीरियर और श्रेष्ठ दिखाने की कोश‍िश करते हैं. उनके सीनियर ने रैगिंग की थी, इसलिए वो इसे कई तर्कों से उचित ठहराकर सीनियर से भी खराब तरीकों से रैगिंग करके उनसे एक कदम आगे निकलने की छद्म होड़ दिखाते हैं. 

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि रैगिंग को बढ़ावा देने वाले अन्य कारकों में छात्रावासों में शराब या नशे का सेवन गंभीर रैगिंग विरोधी उपायों को चैलेंज करने की मानसिकता भी साथ साथ चलती है. कई लोग बचपन से अनुशासन को भले ही सामने फॉलो करते हैं, लेकिन मन से उसके ख‍िलाफ जाकर मनमर्जी करने की लालसा रखते हैं. वहीं घरों में या आसपास के समाज में वो ऐसा माहौल देखते हैं जहां ताकतवर या बड़ा व्यक्त‍ि छोटे को सताने की प्रवृत्त‍ि रखता है. इसमें उन्हें दूसरे को सताकर खुशी की अनुभूति मिलती है. वो खुद को शासक और अपने जूनियर को शोषक की नजर से देखते हैं. इस मान‍सिकता को बचपन से ही बच्चों में हिंसा, जलन, श्रेष्ठताबोध में आकर गलत करने की आदतों को पहचानकर उन्हें सुधारना चाहिए. 

रिपोर्ट- युव मेहता

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