
राजस्थान के स्कूलों में नौवीं और दसवीं से लेकर कॉलेजों तक में कंप्यूटर कीकंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य है. सरकार ने साल 2009 में ही स्कूलों में कंप्यूटर लैब बना दिए मगर इन स्कूलों में सरकार कंप्यूटर टीचर पदों के लिए भर्ती नहीं कर रही.
इससे हाल ये है कि राजस्थान के स्कूलों में कंप्यूटर लैब में कम्प्यूटर धूल फांक रहे हैं और कंप्यूटर टीचर पदों को भरन के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. टीचर की बहाली के लिए एमटेक और बीटेक करके भी बेरोज़गार युवक शिक्षा विभाग के दफ़्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.
जयपुर के निमेड़ा का उच्च माध्यमिक विद्यालय है जिसमें 2009 में सरकार ने कंप्यूटर लैब बनाया था ताकि सरकारी स्कूल के बच्चों को भी कंप्यूटर की जानकारी दी जाए. यहां कंप्यूटर अब तक ऐसे ही ढककर रखे हुए हैं जैसे आए थे क्योंकि सरकार ने कभी कंप्यूटर का शिक्षक यहां लगाया ही नहीं.
मूंडियारामसर में भी सरकारी स्कूल में कंप्यूटर लैब है. जिन स्कूलों में हम गए वहां पर ताला खुलवाया और देखा कि किस तरह से कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं. सरकार ने कहा है कि जहां पर स्कूल में जिस टीचर को कंप्यूटर चलाना आता है, वही बच्चों को पढ़ा दिया करें.
वहीं जयपुर के मीणा वाला स्कूल में तो सारे कंप्यूटर ही चोर उठा ले गए थे, अब CSR के तहत बैंक ने यहां पर वापस कंप्यूटर लगाया है तो स्कूल के लाइब्रेरियन बच्चों को कंप्यूटर खोलना और बंद करना सिखाते हैं.
यह बड़ा सवाल है कि बच्चे कंप्यूटर की पढ़ाई में क्या लिखते हैं. कौन उनकी कॉपियां जांचता है और उन्हें क्या नंबर मिलते हैं. बच्चों से हमने पूछा कि कंप्यूटर में क्या पढ़ते हो तो सबने कहा जनरल नॉलेज पढ़ लेते हैं. टीचर आते हैं तो हम भी कंप्यूटर पढ़ना चाहते हैं.
राजस्थान में 2009 में हीं साढ़े 14 हज़ार सरकारी स्कूलों में से साढ़े 11 हज़ार में कंप्यूटर लैब स्थापित किए गये हैं मगर किसी में टीचर नहीं है. 2009 में अशोक गहलोत सरकार ने कंप्यूटर की पढ़ाई के लिए एक निजी कंपनी से MOU साइन किया था जिसके तहत कंप्यूटर लैब तो बन गए मगर टीचर नहीं आए.
अब तक डेढ़ सौ से ज़्यादा कंप्यूटरों के चोरी के मामले सामने आ चुके हैं और जो बचे हैं इनमें से ज़्यादातर कंडम हो रहे हैं. उधर राजस्थान भर के क़रीब 25 हज़ार कंप्यूटर की पढ़ाई किए युवक बेरोज़गार राज्य भर में अलग अलग इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि राजस्थान के स्कूलों और कॉलेजों में उन्हें टीचर लगाया जा सके. जयपुर के शिक्षा संकुल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.
रोशन शर्मा ने 2015 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक किए थे और 2019 में एमटेक किया. वो इस उम्मीद में प्रदर्शन कर रहे हैं कि सरकार ने वादा किया था कि राजस्थान के हर सरकारी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा रखे जाएंगे. धरमपाल हो या महिपाल से एमटेक और बीटेक कर सरकारी भर्ती के इंतज़ार में बैठे हुए हैं क्योंकि सरकार बार बार घोषणा कर देती है कि वह जल्दी ही कंप्यूटर शिक्षक की भर्ती करेगी.
कंप्यूटर के पढ़ाई किए बेरोज़गार टीचर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और दूसरे मंत्रियों तक गुहार लगा चुके हैं. ये टीचर कई बार सोशल मीडिया कैंपेन चला चुके हैं मगर अब तक सुनवाई नहीं हुई है. इन्होंने हाई कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया था तब अगस्त 2019 में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि कंप्यूटर शिक्षकों का कैडर बनाया जाए.
कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी राजस्थान के स्कूलों में कम्प्यूटर पढ़ाने का वादा किया था और अपने बजट में भी कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था मगर अब तक कुछ नहीं हो पाया है.
अजीब विडंबना है कि सैकड़ों करोड़ रुपया ख़र्च करने के बावजूद सरकारी स्कूल में छात्र कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. यहां कंप्यूटर रखे रखे बर्बाद हो रहे हैं. 2009 से लेकर 2021 के बीच कंप्यूटर के साफ्टवेयर न जाने कितनी बार अपग्रेड हो चुके हैं मगर सरकार टीचर नहीं खोज पाई.