
भारतीय स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन ने पिछले हफ्ते अमेरिका से खुद को सेल्फ डिपोर्ट कर लिया था. रंजनी के कनाडा जाने से ठीक पहले उनके साथी कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्र महमूद खलील को हिरासत में ले लिया गया था, इससे वह डर, अनिश्चितता और असुरक्षा से घिर गई थीं. क्योंकि रंजनी को लगा कि शायद उनका भी यही हश्र होगा. रंजनी श्रीनिवासन ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी एजुकेशनल ट्रिप पर उन्हें 'आतंकवादी समर्थक' करार दिया जाएगा. उनका अमेरिकी छात्र वीजा रद्द होने के बाद, श्रीनिवासन ने खुद को निर्वासित (Deported) कर लिया. अब, उन्हें उम्मीद है कि विश्वविद्यालय उन्हें फिर से दाखिला देगा.
ई-मेल के जरिए किया गया वीजा कैंसिल
कोलंबिया विश्वविद्यालय में पीएचडी की स्टू़ 37 वर्षीय रंजनी श्रीनिवासन ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी शैक्षणिक यात्रा ऐसी स्थिति में समाप्त होगी, जहां उन्हें 'आतंकवादी समर्थक' घोषित किया जाएगा. एक इंटरव्यू में श्रीनिवासन ने उन उलझनों और डर के बारे में बताया जो कई घटनाओं के बाद पैदा हुए थे, जिसके कारण उन्हें डिपोर्टेड कर दिया गया था. 6 मार्च की सुबह श्रीनिवासन को चेन्नई स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें स्पष्ट किया गया कि उनका स्टूडेंट वीज़ा रद्द कर दिया गया है.
रंजनी श्रीनिवासन को पहले तो लगा कि यह मैसेज स्पैम है. लेकिन जैसे ही उसने अमेरिकी इमिग्रेशन वेबसाइट पर लॉग इन किया, उसे सच्चाई का पता चल गया और पता चला कि उसका वीज़ा रद्द कर दिया गया है. श्रीनिवासन को लगा कि शायद वह गलत हो गई हैं और यह कोई तकनीकी गड़बड़ी है. उन्होंने अपने साथी पीएचडी छात्रों से संपर्क किया और पूछा कि क्या उन्हें भी इसी तरह की सूचनाएं मिली हैं. हालांकि, उनमें से किसी और को ऐसा कोई ऐसे मैसेज नहीं मिला था.
श्रीनिवासन ने याद करते हुए कहा, "जब मैंने देखा कि मेरा वीज़ा रद्द कर दिया गया है तो मैं सचमुच डर गया थी. यह डर और अनिश्चितता के 10 दिनों की शुरुआत थी. कोलंबिया के अंतर्राष्ट्रीय छात्र एवं विद्वान कार्यालय (आईएसएसओ) से स्पष्टीकरण प्राप्त करने के कुछ प्रयासों के बाद, श्रीनिवासन को आश्वासन दिया गया कि उनकी स्थिति वैध बनी हुई है, और फॉर्म I-20, वह दस्तावेज जिसे विदेशी छात्रों को अमेरिका में कानूनी रूप से रहने के लिए साथ रखना होता है, रद्द नहीं किया गया है.
क्या कोलंबिया विश्वविद्यालय उसे पुनः दाखिला देगा?
अल जजीरा के साथ अपने साक्षात्कार में, श्रीनिवासन ने कहा कि अब वह कोलंबिया विश्वविद्यालय से अपना नामांकन बहाल करने की अपील कर रही हैं, क्योंकि उनका मानना है कि उनका शैक्षणिक कार्य पूरा हो चुका है और वह अमेरिका वापस आए बिना अपनी पीएचडी पूरी कर सकती हैं. उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि कोलंबिया को अपनी गलती का अहसास होगा और वह मुझे फिर से एडमिशन देगा. "मेरे पीएचडी के लिए सभी ज़रूरी शर्तें पूरी हो चुकी हैं और बाकी काम अमेरिका में करने की ज़रूरत नहीं है. उन्हें अब भी उम्मीद है कि विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के समर्थन को स्वीकार करेगा और ऐसी चुनौतियों का सामना करते समय उनका समर्थन करेगा.