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अजित सिंह: IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग, फिर अमेरिका में पढ़ाई-नौकरी, ऐसे आए राजनीति में

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) अध्यक्ष अजित सिंह का कोरोना से निधन हो गया. 86 साल के अजित सिंह कोरोना संक्रमण के चलते गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती थे.

चौधरी अजित सिंह (फाइल फोटो) चौधरी अजित सिंह (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2021,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST
  • चौधरी अजित सिंह का आज हुआ निधन
  • कोरोना से थे संक्रमित, आज सुबह ली अंतिम सांस

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) अध्यक्ष अजित सिंह का कोरोना से निधन हो गया. 86 साल के अजित सिंह कोरोना संक्रमण के चलते गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती थे. अजित सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के बेटे थे. वो पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत से 7 बार सांसद रहे और कई बार केंद्र में मंत्री रह चुके थे. 

चौधरी अजित सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर 1997 में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की स्थापना की थी. उनका जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ था. वे खुद को जाट नेता कहलवाना भी पसंद करते थे. लखनऊ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वे आईआईटी खड़गपुर में पढ़े.

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इसके बाद चौधरी अजित सिंह अमेरिका के इलिनाइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में पढ़ने के बाद 17 साल तक अमेरिका में कॉरपोरेट जगत में काम करते रहे. 1960 के दौर में आईबीएम में काम करने वाले कुछ भारतीयों में अजित सिंह का नाम है. 1980 में जब पिता चौधरी चरण सिंह बुजुर्ग हो गए तो उन्होंने अजित सिंह को दिल्ली बुलाया.

चौधरी अजित सिंह को लोकदल की कमान सौंप दी गई. अजित सिंह 1986 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में पहुंचे. वे 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में भी वे लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में भी वे लोकसभा के लिए चुने गए. इस दौरान विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में 11 महीने के लिए वे उद्योग मंत्री भी रहे.

इसके बाद अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की और फिर मैदान में उतरे. 1997 में वह जीते, लेकिन 1998 में अजित सिंह बागपत से ही चुनाव हार गए. उन्हें बीजेपी के नेता सोमपाल शास्त्री ने हराया. इसके बाद वह 1999, 2004 और 2009 का चुनाव जीते और अटल के साथ ही मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे.

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2014 का चुनाव अजित सिंह हार गए. इसके बाद से उनके राजनीतिक सितारे गर्दिश में आ गए. 2019 का चुनाव भी अजित सिंह हारे. हालांकि, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में अजित सिंह की आरएलडी को फायदा मिला और जिला पंचायत के चुनाव में आरएलडी ने शानदार प्रदर्शन किया.

 

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