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University Fee Hike: अब पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी ने बढ़ाई फीस, विरोध में अड़े स्‍टूडेंट्स

University Fee Hike: फीस वृद्धि को सही ठहराते हुए पुणे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि उसका वार्षिक बजट लगभग 550 करोड़ रुपये है. इसमें से सिर्फ 75 करोड़ रुपये सरकार की ओर से मिलते हैं. जबकि बाकी रकम करीब 650 कॉलेजों के 5 लाख छात्रों की फीस से ली जाती है. ऐसे में फीस बढ़ाना जरूरी है.

Savitribai Phule University Pune Savitribai Phule University Pune
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST

University Fee Hike: देशभर की यूनिवर्सिटीज़ में फीस बढ़ोत्‍तरी लगातार देखी जा रही है. हाल ही में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि के बाद छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया था. अब पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी ने भी अपनी फीस में बढ़ोत्‍तरी की घोषणा की है. SFI, युक्रांत, NCP, NSUI, विद्यापीठ विद्यार्थी संघर्ष कृति समिति समेत अन्‍य छात्र संगठनों ने फीस वृद्धि को लेकर SPPU यूनिवर्सिटी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

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आक्रोशित छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ 'हमें पढ़ने दो', 'फीस बढ़ोतरी अनुचित है', 'हम एकजुट हैं' के नारे लगाए. आंदोलनरत छात्रों में से एक ने कहा, 'मैं यहां खड़ा हूं क्योंकि मेरे दोस्त ने मेरी हॉस्‍टल की फीस भरी है. यह बहुत अनुचित है. हम लंबे समय से इसका विरोध कर रहे हैं.'

एक अन्य स्टूडेंट ने फीस वृद्धि को लेकर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, 'एक कोर्स में 233 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी गई है. यह एक राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालय है, जिसका अर्थ है कि यह हमारे टैक्‍स के पैसों पर चलता है. फिर वे इस तरह से फीस कैसे बढ़ा सकते हैं?'

स्‍टूडेंट्स ने कहा, 'देश भर के छात्र और अलग-अलग फाइनेंशियल बैकग्राउंड के स्‍टूडेंट्स पुणे यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं. हर कोई अचानक हुई शुल्क वृद्धि का वहन नहीं कर सकता. हम तब तक विरोध करते रहेंगे जब हमारी परेशानियों का समाधान नहीं किया जाता.

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फीस वृद्धि को सही ठहराते हुए पुणे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि उसका वार्षिक बजट लगभग 550 करोड़ रुपये है. इसमें से सिर्फ 75 करोड़ रुपये सरकार की ओर से मिलते हैं. जबकि बाकी रकम करीब 650 कॉलेजों के 5 लाख छात्रों की फीस से ली जाती है. प्रो-वाइस चांसलर संजीव सोनवने ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'यह प्रावधान 2011 से है, जिसे 2019 तक लागू किया जाना था, लेकिन कोविड के कारण देरी हो गई. विश्वविद्यालय ने 2011 से फीस में कोई वृद्धि नहीं की है, इसलिए अब यह करना बेहद जरूरी है.'

छात्रों की अपनी परेशानियां हैं, जबकि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट की अपनी चुनौतियां हैं. संजीव सोनवने कहते हैं कि समय की मांग है बीच का रास्ता तलाशने की, मगर छात्र संगठन फीस वृद्धि का फैसला वापिस कराने पर तुले हुए हैं.

 

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