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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा में प्रभावित छात्रों के लिए स्थानांतरण का आदेश कर दिया है. अब ये छात्र दूसरी यूनिवर्सिटीज में अपनी शिक्षा जारी रख सकेंगे. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने छात्रों से सिलचर और शिलांग में दो विश्वविद्यालयों का विकल्प चुनने और अपनी पढ़ाई पूरी करने को कहा है. कोर्ट इस साल मणिपुर में मई के महीनें में हुई हिंसा की वजह से देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश की मांग करने वाले मणिपुर के 284 से ज्यादा विस्थापित छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
ऑनलाइन क्लास भी जॉइन कर सकेंगे स्टूडेंट्स
कोर्ट ने छात्रों से कहा है कि वो या तो असम यूनिवर्सिटी, सिलचर या नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग में प्रवेश ले सकते हैं. इसके अलावा उन्हें मणिपुर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क करने के लिए भी कहा गया है. जो भी स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास जॉइन करना चाहते हैं उनके लिए केंद्र और राज्य सरकार को विशेष व्यवस्था करना पड़ेगा.
कोर्ट ने उन छात्रों के लिए भी निर्देश दिए हैं, जो दोनों उपायों से संतुष्ट नहीं हैं. वो अपनी शिकायत जस्टिस गीता मित्तल की समिति से भी कर सकते हैं. ये समिति राज्य में राहत, पुनर्वास और विश्वास निर्माण कार्यों की देखरेख करती है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये आश्वासन दिया है कि मणिपुर हिंसा में प्रभावित छात्रों की हर प्रकार से सहायता की जाएगी. स्टूडेंट्स के वकील देश भर की दूसरी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का दायरा बढ़ाना चाहते थे, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह संभव नहीं है और अभी इन छात्रों को इन दोनों यूनिवर्सिटीज में ही पढ़ना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इन दो विकल्पों को चुनने में असमर्थ छात्रों को जस्टिस गीता मित्तल के सामने अपनी समस्या रखने को कहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता छात्रों की देश के अन्य विश्वविद्यालय में प्रवेश का दायरा बढ़ाए जाने की मांग को मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह संभव नहीं है. अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पूरी करने से ऐन पहले कहा कि वो नहीं चाहते कि अजीत पवार गुट की ओर से दिए गए दस्तावेज यानी शपथ पत्रों को विवाद का आधार बनाया जाए. पार्टी में कोई विवाद नहीं है क्योंकि एनसीपी पर शरद पवार जा पूर्ण नियंत्रण है.
इस पर अजीत पवार गुट की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विवाद है. विवाद ना होता तो हम लोग यहां क्यों आए हैं. सिंघवी शरद पवार की ओर से आयोग को गुमराह कर रहे हैं. पहले वो अपनी दलीलों में कह चुके हैं कि अजीत पवार गुट के शपथ पत्रों में 24 किस्म की अनियमितता हैं लेकिन अब मुकर रहे हैं कि हमें उस पर विवाद आगे नहीं बढ़ाना है.