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कॉलेज ड्राउपआउट माकी काजी ने बनाया था सुडोकू, जिन्हें पहेलियां देती थीं असली खुशी

पूरी दुनिया में आज भी दस करोड़ लोग नियमित रूप से इन पहेलियों को सुलझाते हैं. आज ‘सुडोकू के गॉडफादर’कहे जाने वाले माकी काजी का 69 साल का उम्र में निधन हो गया. जानिए उनके बारे में ये खास बातें...

माकी काजी (AFP) माकी काजी (AFP)
aajtak.in
  • नई द‍िल्ली ,
  • 17 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

अखबार, मैग्जीन या इंटरनेट पर सुडोकू पहेलियां कभी न कभी आप तक जरूर पहुंची होंगी. पूरी दुनिया में आज भी दस करोड़ लोग नियमित रूप से इन पहेलियों को सुलझाते हैं. आज ‘सुडोकू के गॉडफादर’ कहे जाने वाले माकी काजी का 69 साल का उम्र में निधन हो गया. 

माकी काजी की पहचान एक पजल मेकर और प्रकाशक के तौर पर की जाती थी. उनकी कंपनी ने उनके निधन की जानकारी दी है. माकी एक यूनिवर्सिटी ड्रॉपआउट थे. उन्होंने पहेली पत्रिका की स्थापना से पहले एक प्रिंटिंग कंपनी में काम किया. उन्होंने सुडोकू को दुनिया के सामने सबसे पहली बार पेश किया था. उनकी कंपनी निकोली ने अपनी बेवसाइट पर कहा कि सुडोकू के गॉडफादर के रूप में जाने जाने वाले माकी काजी को दुनिया भर में पहेली प्रेमियों द्वारा प्यार दिया गया.

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सुडोकू लगभग दो दशक पहले जापान के बाहर लोकप्रिय हुआ. इसके लोकप्रिय होने की वजह विदेशी समाचार पत्रों द्वारा इसे छापना माना जाता है. सुडोकू को मानसिक क्षमताओं को तेज रखने के तरीके के रूप में आज भी पसंद किया जाता है. इसे एक तरह की ब्रेन एक्सरसाइज कहा जाता है. बीबीसी से 2007 में बात करते हुए माकी जाकी ने कहा था कि जब मुझे एक पहेली के लिए नया आइड‍िया आता है तो मैं खुश हो जाता हूं. उनके लिए पहेलियां गढ़ना ही जिंदगी की असली खुशी देने जैसा था. उन्होंने कहा था कि बेहतर पहेली बनाने के लिए नियमों को आसान बनाना जरूरी होता है. काजी ने कहा था कि ये खजाना खोजने जैसा है. 

बता दें कि सुडोकू को लेकर 2006 से हर साल एक विश्व चैंपियनशिप का आयोजन भी किया जाता है. काजी ने अपनी क्वाटरली पहेली पत्रिका के पाठकों की मदद से पहेलियां बनाना और उन्हें बेहतर बनाना जारी रखा. उन्होंने जुलाई में खराब स्वास्थ्य कारणों के चलते अपनी कंपनी के प्रमुख के रूप में पद छोड़ दिया था.

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