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देश भर के तमाम छात्र फाइल परीक्षा को लेकर विरोध कर रहे हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कह दिया है परीक्षा का आयोजन सितंबर में होगा.
बता दें, यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर परीक्षा कराने के यूजीसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके बाद 30 सितंबर को यूजीसी ने परीक्षा की तारीख तय की थी.
क्या है छात्रों की परेशानी
परीक्षा की तारीख आने के बाद छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया. उनका कहना है कि देश में कोरोना वायस महामारी फैल रही है, ऐसे में परीक्षा अभी आयोजन करवाने की जरूरत क्या है.
ट्विटर पर छात्र जमकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. एक छात्रा कृतिका शर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा, मैं उन लोगों को पागल घोषित करती हूं जो यूजीसी के ऑफलाइन परीक्षा लेने के निर्णय को सपोर्ट करते हैं. मेरे पिता डायबिटीज के पेशेंट हैं और मां को हाई बीपी की परेशानी रहती है. ऐसे में एक छोटी सी गलती की वजह से मेरे परिवार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. आखिर फाइनल परीक्षा बहस का मुद्दा क्यों है?
देश में कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए छात्रों ने कहा, 'क्या हम इस समाज का हिस्सा नहीं है, क्या हमारे बारे में नहीं सोचा रहा है, फिर इस समय परीक्षा क्यों आयोजित की जा रही है?
नहीं हुआ सिलेबस पूरा
छात्रों का कहना है, हमारे कॉलेज होली की छुट्टियों के समय ही बंद हो गया था. वहीं 20 से 30 प्रतिशत सिलेबस अभी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में हम बिना पढ़े परीक्षा कैसे दे सकते हैं.
वहीं अगर ऑनलाइन एजुकेशन की बात की जाए तो सभी कोर्सेज की सामग्री ऑनलाइन नहीं मिलती है. कंप्यूटर साइंस जैसे कोर्स के ऑनलाइन लेक्चर मिल जाते हैं, लेकिन बाकी कोर्स जैसे B.A, B.COM, B.sc जैसे कोर्सेज का कोई स्टडी मटीरियल उपलब्ध नहीं है.
छात्रों ने कहा, ऑनलाइन परीक्षा में इंटरनेट कनेक्शन और बिजली एक समस्या है. जहां इंटरनेट मौजूद है वहां कनेक्शन मजबूत नहीं है. साथ ही भारत में कुछ ही प्रतिशत छात्रों के पास लैपटॉप है. वहीं अगर हम ऑफलाइन परीक्षा देते हैं तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.