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Ukraine Returned Medical Students: यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत वापस आये छात्रों को भारत में पढ़ाई पूरी करने की इजाज़त देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण में केंद्र सरकार से पॉलिसी से जुड़ा अपना पक्ष रखने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि जुलाई 2022 के बाद ऐसे छात्रों को असाधारण छूट नहीं दी जा सकती है.
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि यहां इतने जिला अस्पताल उपलब्ध हैं. क्या हम छात्रों के मेडिकल करियर को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं? हमारे देश में पहले ही डॉक्टरों की कमी है. मानवीय आधार पर हमको इनकी मदद करनी चहिये.
ASG ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि हम इन छात्रों की भारत मे शिक्षा प्रणाली में दखल दिये बिना मदद करना चाहते हैं. वकील ने कहा यह छात्र भारत में मेडिकल परीक्षा पास नहीं कर पाए थे जिसके कारण यह विदेश में पढ़ाई करने गए थे. इनको कैसे भारतीय मरीज़ों के इलाज की इजाज़त दी जा सकती है, यह सभी छात्र मिड सैमस्टर के हैं.
चीन से वापस भारत भेजे गए मेडिकल छात्रों को भारत में पढ़ाई करने की इजाज़त देने की भी मांग करते हुए छात्रों के वकील ने कहा कि चीन ने वहां कोरोना के मामलों के बढ़ने के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को 7 वें सेमेस्टर के बीच में वापस भारत भेज दिया था. अब यह तीन सेमेस्टर की पढ़ाई फिजिकल मोड में नहीं पाएंगे.
चीन से वापस आये छात्रों के वकील ने कहा कि कई राज्यों ने चीन से वापस आये छात्रों को अपने यहां रजिस्ट्रेशन की इजाज़त दी है, लेकिन केरल और तमिलनाडु ने इसकी इजाजत नहीं दी है. उनकी दलील है कि उनके यहां क्लीनिकल ट्रेनिंग फिजिकल नहीं होती है. मद्रास हाईकोर्ट ने इनके रजिस्ट्रेशन की इजाज़त दी थी.