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69000 शिक्षक भर्ती विवाद: 'पूरी तरह रद्द नहीं हुआ बैंकों का वसूली आदेश', अखिलेश यादव ने अभ्यर्थियों को दी ये सलाह

अखिलेश यादव ने कहा कि शिक्षक पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए हैं, लोन वसूरी से उनपर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा. जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी. इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे क्योंकि आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी मेरिट लिस्ट रद्द करके इसे नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद बैंकों लेटर जारी कर शिक्षकों से लोन रिकवरी के निर्देश दिए थे. हालांकि चार दिन बाद बैंकों के वसूरी आदेश को निरस्त कर दिया गया है. इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में भाजपा राज की नाइंसाफ़ी की एक और ‘आर्थिक-सामाजिक-मानसिक’ मार परंतु एकता की शक्ति के आगे हार है.

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रद्द नहीं, स्थगित हुआ है लोन रिकवरी का आदेश: अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, 69000 शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फ़रमान जारी करा और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साज़िश रची. परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फ़रमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया, लेकिन याद रहे उप्र की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए. वैसे तात्कालिक रूप से ये युवा विरोधी भाजपा के विरुद्ध युवा-शक्ति की एकता की जीत है.'

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उन्होंने आगे लिखा, 'जिन भर्ती हुए शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाक़ी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को क़ब्ज़े में लेने की साज़िश कर रही है. ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है.'

मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित होंगे शिक्षक: अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने आगे कहा, 'शिक्षक भर्ती में उप्र की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फ़ज़ीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी. तभी ऐसे फ़रमान निकलवा रही है. इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा. जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी. इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे क्योंकि आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा, जिससे प्रदेश के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य भी प्रभावित होगा. इसका एक गहरा आघात भर्ती हुए उन शिक्षकों के जीवन पर भी पड़ेगा, जिन्होंने विवाह करके अपना नया-नया वैवाहिक जीवन शुरू किया था और अपने परिवार को पालन-पोषण इसी नौकरी के आधार पर कर रहे थे. वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ परिवार वाले ही जानते हैं. जनता और परिवारवालों को दुख देकर न जाने भाजपा को क्या सुख मिलता है.'

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बता दें कि हाईकोर्ट के भर्तियों पर आए फ़ैसले पर बैंकों ने अपने स्तर लिए गए लोन रिकवरी की प्रक्र‍िया शुरू करने का फैसला था. इसके बाद अभ्यर्थियों ने मंगलवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) का घेराव कर आंदोलन किया. आरक्षित श्रेणी के ये अभ्यर्थी जल्द नई मेरिट सूची तैयार कर भर्ती कार्यक्रम जारी करने की मांग कर रहे हैं. ये सभी हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की मांग कर रहे हैं. 3 महीने में शिक्षकों की एक नई मेरिट लिस्ट जारी होगी. अब सवाल उन शिक्षकों के भविष्य पर भी खड़ा हो गया है जो इस भर्ती परीक्षा में मेरिट में जगह पाने के बाद 4 साल से नौकरी कर रहे हैं.

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