
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की तलाश शुरू हो गई है और इस काम के लिए हर स्कूल से एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है. ये शिक्षक स्कूल नहीं आने वाले बच्चों का ब्योरा जुटा रहे हैं. ड्रॉपआउट बच्चों के दोबारा एडमिशन पर सरकार स्कूलों को उनकी पढ़ाई के लिए प्रति बच्चे 860 रुपये देगी. इसे शारदा स्कीम नाम दिया गया है और अब इस पर तेजी से काम शुरू हो गया है.
कैसे कमर कस रहे हैं शिक्षक?
बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के निर्देश पर शिक्षक स्कूल में रजिस्टर्ड बच्चों के डॉक्यूमेंट्स की जांच कर पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की लिस्ट बना रहे हैं. शिक्षक घर-घर जाकर इन बच्चों को स्कूली शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को कम करने के लिए इन बच्चों को वापस स्कूल भेजने के लिए मना रहे हैं.
कौन हैं ड्रॉप आउट स्टूडेंट्स?
जो बच्चे 40 या अधिक दिनों तक स्कूल नहीं जाते हैं, वे ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स माने जाते हैं. इसके अलावा किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे भी ड्रॉपआउट माने जाते हैं. राज्य के सभी BSA को 31 अगस्त तक स्कूल छोड़ चुके बच्चों का विवरण बेसिक शिक्षा विभाग को देने का आदेश दिया गया है.
यूपी में परिषद के स्कूल
महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 1619 काउंसिल स्कूल हैं. इनमें 1148 प्राइमरी, 268 जूनियर और 203 कंपोजिट स्कूल हैं. इस शारदा योजना में दो लाख आठ हजार बच्चे रजिस्टर्ड हैं जो इन बच्चों को वापस स्कूल दिलाने का काम करेंगे. योगी सरकार ने तीन साल पहले ड्रॉपआउट छात्रों को ढूंढ़ने और फिर से दाखिला दिलाने के लिए शारदा योजना शुरू की थी. हालांकि, कोरोना महामारी के कारण 2 साल तक इस योजना को लागू नहीं किया जा सका.
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