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ड्यूटी के बाद देते हैं बच्चों को शिक्षा, यूपी पुलिस के कांस्‍टेबल की हो रही चर्चा

2014 से विकास कुमार ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे. उनकी इस कार्यप्रणाली का पता लगते ही पुलिस अधिकारियों ने भी इनका हौसला बढ़ाया है.

Constable Vikas Kumar Constable Vikas Kumar
संजीव शर्मा
  • बिजनौर,
  • 12 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

विरले ही होते हैं जो अपने सीमित समय और संसाधनों का इस्‍तेमाल समाज को बेहतर बनाने के लिए करते हैं, मगर ऐसे कुछ एक लोग भी बाकियों के लिए मिसाल बन जाते हैं. बिजनौर पुलिस में तैनात सिपाही अपनी ड्यूटी के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ा कर शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं. उनके इस काम से जहां उनके विभाग के अधिकारी भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और इसी के चलते मुरादाबाद डीआईजी शलभ माथुर ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है.

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सहारनपुर के गांव कुरलकी खुर्द के रहने वाले सिपाही विकास कुमार पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं. 2014 से विकास कुमार ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे. उन्होंने यह मुहिम चलाकर पहले ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ा जो पढ़ना चाहते थे पर स्कूल नहीं जा पा रहे थे. धीरे-धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने फिर ऐसे लोगों को तलाश किया जो उनके ही जैसे हो, यानी बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते हों. 

ऐसे लोगों को साथ लेकर वह और आगे बढ़े और 2016 में विकास कुमार पुलिस विभाग में भर्ती हो गए. हालांकि, उनका गरीब बच्चों को शिक्षा देने का जज्बा कम नहीं हुआ और उन्होंने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से अंजाम देते हुए बाकी बचे समय में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य लगातार जारी रखा.

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पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद विकास कुमार की पहली पोस्टिंग बिजनौर जनपद में हुई और उनको कोतवाली शहर की आवास विकास पुलिस चौकी पर तैनाती मिली. यहां पर काशीराम कॉलोनी होने के चलते काफी गरीब बच्चे ऐसे थे जो शिक्षा ग्रहण नही कर पा रहे थे. तब उन्होंने अपनी पढ़ाई की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ऐसे बच्चों को बिजनौर में जोड़ना शुरु किया और करीब 30 से 35 बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. इसके साथ साथ उन्होंने आस-पास के गांव में भी ऐसे बच्चों की तलाश की और धीरे-धीरे यह उन गांव में जाकर भी बच्चों को पढ़ाने लगे.

फिलहाल विकास कुमार की तैनाती नांगल थाने में PRB 112 पर है लेकिन समय मिलने पर यह आज भी बिजनौर के गांव रामजी वाला छकड़ा, किशनपुर, सुंदरपुर बेहड़ा, ढोला पुरी और मोहनपुरी गांव में पाठशाला चलाकर बच्चों को लगातार शिक्षा दे रहे हैं. उनकी इस कार्यप्रणाली का पता लगते ही पुलिस अधिकारियों ने भी इनका हौसला बढ़ाया. डीआईजी मुरादाबाद शलभ माथुर ने विकास को मुरादाबाद बुलाकर उनके काम की प्रशंसा करते हुए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए उसका हौसला भी बढ़ाया.

पुलिस अधीक्षक  दिनेश सिंह का कहना है कि हमें अपने जवान पर गर्व है कि जहां वह पूरी इमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहा है वहीं बचे हुए समय में वह बच्चों को शिक्षा भी दे रहा है. ऐसे लोग कम ही होते हैं जो अपने समय को दूसरे के लिए इस्तेमाल करते हैं. हमें अपने जवान पर गर्व है जो हमारे विभाग की छवि को एक अलग पहचान दे रहा है.

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सिपाही विकास कुमार का कहना है कि मेरा मकसद अधिक से अधिक गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना है ताकि कोई भी गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे. उन्‍होंने क‍हा कि शिक्षा के बिना जीवन बेकार है जिसके जीवन में शिक्षा नहीं होती उसका जीवन अंधकारमय होता है और इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपनी पूरी टीम के साथ अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ने के अभियान में जुटे हुए हैं. फिलहाल बिजनौर में 5 गांव में हमारी पाठशाला चल रही है जबकि इसके अलावा पीलीभीत, सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ सहित उत्तराखंड के कई गांव में उनके साथ ग्रुप में जुड़े उनके साथी ऐसी पाठशाला चलाकर बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं. 

 

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