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IT की नौकरी छोड़ किया तैयारी का फैसला, UPSC में 25वीं रैंक पाकर श्रुति ने बढ़ाया पूरे रांची का मान

Success Story UPSC Topper: पिता ने कहा कि बेटी जब भी दिन भर उनसे कभी बात नहीं करती थी, तो वे उसकी काउंसलिंग करते थे. मां का कहना है कि किसी मां-बाप के लिए इससे खुशी की बात क्या होगी कि उनकी पहचान बच्चो के नाम से हो. 

Shruti Rajlaxmi (Photo: Social Media) Shruti Rajlaxmi (Photo: Social Media)
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 01 जून 2022,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST
  • ऑल इंडिया 25वीं रैंक की हासिल
  • नौकरी छोड़ किया था तैयारी का फैसला

Success Story UPSC Topper: झारखं में दम है! ये अपनी प्रतिभा की बदौलत यहां के 21 सिविल सर्विस एस्पिरेंट्स ने UPSC में सफलता के झंडे गाड़ कर साबित कर दिया है. सोमवार को जारी हुए यूपीएससी के नतीजों में झारखंड की बिटिया श्रुति राजलक्ष्मी ने ऑल इंडिया 25वीं रैंक हासिल की है. उन्‍होंने अपने परिवार के साथ-साथ पूरे राज्य का नाम रौशन किया है. उनकी उपलब्धि से परिवार में खुशी और जश्न का मौहाल है.

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श्रुति रांची के कांके रोड की रहने वाली हैं. रिजल्‍ट पता लगने के बाद से ही पूरा परिवार बिटिया की उपलब्धि के जश्न में जुट गया है. घर मे दादा दादी और माता पिता सभी बेहद खुश हैं. श्रुति ने जमशेदपुर के लोयला स्कूल से 10वीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई दिल्ली से की है. इसके बाद उन्होंने BHU से कंप्यूटर साइंस में Btech किया. एक बड़ी कंपनी में नौकरी भी करने लगी थीं.

श्रुति का आईटी सेक्टर में काम करने के दौरान ही UPSC की तरफ  झुकाव बढ़ा. उन्‍होंने नौकरी छोड़ तैयारी का फैसला किया. नतीजा अब सबके सामने है. श्रुति ने बेबाकी से बताया कि तैयारियों में खुद पे भरोसा और विश्वाश रखना कितना जरूरी है. उन्‍होंने बताया कि समय समय पर परेशान करने वाली नेगेटिव फीलिंग्स से  निपटने की तरीका क्या है? तैयारी कैसे करनी है? साथ ही यह भी कि पब्लिक सर्वेंट की पब्लिक से ही बढ़ती दूरी से वे कैसे निपटेंगी और भ्र्ष्टाचार से कैसे दूर रहेंगी?

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श्रुति के पिता आनंद कुमार झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता (वकील) हैं. उनकी माता जी का नाम प्रीति रानी है, जो महिला एवं बाल विकास विभाग में सेवारत हैं. श्रुति के दादाजी रामाश्रय प्रसाद सिंह और दादी सुशीला सिंह उनकी उपलब्धि से बेहद खुश हैं. पिता ने कहा कि बेटी जब भी दिन भर उनसे कभी बात नहीं करती थी, तो वे उसकी काउंसलिंग और हौसला हफ़्ज़ई करते थे. मां का कहना है कि किसी मां-बाप के लिए इससे खुशी की बात क्या होगी कि उनकी पहचान बच्चो के नाम से हो. 

दादा श्रुति के लिए नोट्स तैयार करते थे जबकि दादी इस बात को लेकर खुश हैं कि अब वे अफसर बिटिया की दादी कही जाएगी. श्रुति ने  अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और दादा-दादी को दिया. उन्होंने कहा कि अच्छी खासी आईटी जॉब छोड़कर यूपीएसएसी की तैयारी के लिए पूरे परिवार ने मोटिवेट किया. तमाम सवालों का जवाब श्रुति ने बेहद सादगी और विश्वास के साथ दिया. उन्होंने झारखंड कैडर के लिए अप्लाई किया है.

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