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‘यूपी-बिहार के लोग ABCD से पहले UPSC बोलना सीखते हैं’... अफसर संजीव सान्याल पर भड़के कैंडिडेट्स

UPSC जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को संजीव सान्याल की बातें काफी खटकी हैं. मशहूर इकोनॉमिस्ट ने कहा कि 'यूपीएससी करना समय की बर्बादी है'. उनकी इस बात पर इस एग्जाम की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं.

Sanjeev Sanyal (Photo: Sanjeev Sanyal X) Sanjeev Sanyal (Photo: Sanjeev Sanyal X)
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

UPSC का एग्जाम देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है. आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस बनने का सपना देख रहे उम्मीदवार एग्जाम क्लियर करने के लिए अपना जी जान लगा देते हैं. अभी भी ना जाने कितने लाखों कैंडिडेट्स कोचिंग लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैें. ऐसे में मशहूर इकॉनमिस्ट संजीव सान्याल की कही कुछ बातें इन कैंडिडेट्स को परेशान कर रही हैं. 

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''UPSC समय की बर्बादी है'-  संजीव सान्याल

प्रधानमंत्री की इकॉनमिस्ट एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य संजीव सान्याल ने नियोन पोडकास्ट में यूपीएससी से जुड़ी ऐसी बात कही जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है. संजीव सान्याल ने कहा कि UPSC की तैयारी करने वाले बच्चे अपना टाइम ख़राब कर रहे हैं. उनके इस बयान पर सोशल मीडिया हैंडल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं. किसी ने संजीव को सही बताया है तो किसी ने कहा कि वह उम्मीदवारों का डिमोटिवेट कर रहे हैं.

संजीव ने कहा कि UPSC में सफल होने के बाद भी आपको सिर्फ़ फ़ाइल ऊपर नीचे करनी होती है. UPSC की तैयारी करने वालों को अम्बानी और एलन मस्क बनने के बारे में सोचना चाहिए. लेकिन क्या IAS बनना सिर्फ़ एक नौकरी है? हमने ऐसे बच्चों से बात की जो आईएएस बनने की तैयारी में दिन रात जुटे हुए हैं, हमने उन टीचर्स से भी समझना चाहा कि वो इस बात को किस तरह देखते हैं.

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‘एंबेसडर के आगे मर्सिडीज़ भी फेल है’

करोलबाग में कोचिंग चलाने वाले सचिन जैन खुद भी UPSC क्रैक कर चुके हैं, जब वो दिल्ली में डेप्युटी इंकम टैक्स कमिश्नर थे तो उन्होंने नौकरी छोड़कर कोचिंग खोली थी. सचिन कहते हैं कि IAS सिर्फ़ एक नौकरी नहीं है. एक कहावत है कि सरकारी एंबेसडर के आगे मर्सिडीज़ भी फेल है. मतलब आईएएस होने से आपको पास वो पावर होती है कि आप अपने लाखों देशवासियों के लिए नीति बनाते हो, एक साधारण परिवार के बच्चे को जब ये ताक़त मिलती तो वो उसके लिए दुनिया जीतने जैसा है तो यूपीएससी की तैयारी करना तो न समय ख़राब करना है और न ही ये कोई बोरिंग जॉब है.

‘IIT-IIM करने वाले भी IAS बनना चाहते हैं’

UPSC की तैयारी कर रही शिवप्रिया कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि जो लोग UPSC की तैयारी के लिए आ रहे हैं वो कोई बच्चे हैं, वो बहुत मोचियों और समझदार लोग हैं. बहुत सारे लोग IIT IIM करने के बाद UPSC की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि यह सिर्फ़ नौकरी नहीं बल्कि देश की सेवा करने का भी एक जज़्बा है इतना ही नहीं मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो विदेशों से पढ़ाई करके आए हैं और अब UPSC की तैयारी कर रहे हैं. IAS या IPS बनना अपने परिवार और समाज को गौरवान्वित करने जैसा है. अगर किसी को लगता है कि हम बड़े बिज़नेसमैन क्यों नहीं बनना चाहते तो उसका सीधा सा जवाब है कि एक IAS ऑफ़िसर की जो ताक़त है वो एक यूनिकॉर्न बिज़नेसमैन की भी नहीं होती.

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‘यूपी बिहार के लोग ABCD से पहले UPSC बोलना सीखते हैं’

UPSC की तैयारी करने वालों में UP और बिहार के लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है बिहार से आकर दिल्ली में UPSC की तैयारी कर रहे वरूण का कहना है कि बिहार में लोग ABCD बाद में सीखते हैं UPSC बोलना पहले सीख जाते हैं ऐसा नहीं है कि बिहार और UP से सिर्फ़ गरीबों के बच्चे ही UPSC की तैयारी करने आते हैं बल्कि कई लोग जिनका सफल पारिवारिक बिज़नस है वो भी सोचते हैं कि उनके घर से कोई न कोई बच्चा IAS या IPS बन जाए.

‘हमारा एक साइन लाखों लोगों पर असर डालता है’

संजीव सान्याल ने अपने स्टेटमेंट में ये भी कहा कि ज्वाइंट सेक्रेटरी बनने के बाद भी आप बहुत बोरिंग नौकरी करते हैं आपको सिर्फ़ फ़ाइल ऊपर नीचे करना होता है इस बात पर UPSC की तैयारी कर रहे हैं. उत्तराखंड के हिमांशु कहते हैं कि जो फ़ाइल एक आईएएस को ऊपर नीचे करनी होती है उसमें कोई छोटा मोटा पेपर नहीं होता IAS का एक साइन उसके ज़िले के लाखों लोगों के लिए नीति का निर्धारण कर देता है. कितने लोगों को जीवन एक अफ़सर के साइन पर निर्भर करता है। ये IAS ऑफ़िसर ही हैं जो देश की तरक़्क़ी की दिशा तय करते हैं.

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ट्रोलिंग के बाद क्या बोले संजीव सान्याल

न्योन पोडकास्ट में कही अपनी बात को वायरल होता देख संजीन सान्याल ने ट्वीट किया कि लोग यूपीएससी परीक्षा के लिए मेरी हालिया टिप्पणियों पर चर्चा कर रहे हैं, इसलिए द नियॉन शो पर अपने पॉडकास्ट को दोबारा पोस्ट कर रहा हूं जहां मैं "आकांक्षा की गरीबी" समस्या पर आमतौर पर चर्चा करता हूं.

उन्होंने आगे लिखा कि यूपीएससी के लिए एक या दो अटेंप्ट देना ठीक है लेकिन सालों इसमें बर्बाद करना टाइम वेस्ट है.

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