Advertisement

AI की मदद से UPSSSC कैसे पकड़ रहा सॉल्वर गैंग? रोकेगा पेपर लीक, धरे गए 200 'मुन्ना भाई' 

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के चैयरमैन प्रवीर कुमार का कहना है कि पहले हम दूसरी या तीसरी स्टेज पर ही सॉल्वर को पकड़ पाते थे या फेक कैंडिडेट को पकड़ पाते थे लेकिन यह पहली बार हुआ कि ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती परीक्षा में फर्स्ट स्टेज में ही हमने 200 के लगभग सॉल्वर और उनसे जुड़े लोग पकड़े गए.

AI की मदद से सॉल्वर गैंग पकड़ा रहा UPSSSC AI की मदद से सॉल्वर गैंग पकड़ा रहा UPSSSC
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 09 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

उत्तर प्रदेश की विभिन्न परीक्षाओ में साल्वर गैंग की सेंधमारी और पेपर लीक गैंग को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) अपनी परीक्षा प्रणाली में अमूल चूल परिवर्तन करने में जुट गया है. बीते दिनों हुई ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवेश परीक्षा में पकड़े गए 200 'मुन्ना भाई' इसी बदलाव को नतीजा है. उत्तर प्रदेश चयन आयोग ने परीक्षाओ में क्या ऐसे बदलाव किए जिससे दावा किया जा रहा है अब पेपर लीक और साल्वर गैंग का धंधा बंद हो जाएगा.  

Advertisement

इन 4 तरीकों से होती है परीक्षा में सेंधमारी!
बीते महीने यूपी के 20 जिलों में हुई ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में आयोग और यूपी एसटीएफ ने करीब 200 'मुन्ना भाई' को गिरफ्तार किया. अब तक की किसी परीक्षा में यह पहले स्टेज में सबसे बड़ी कार्रवाई की गई. लेकिन इसके लिए यूपीएसएसई ने कई बदलाव किए है. आयोग के चैयरमैन प्रवीर कुमार ने आज तक से खास बातचीत में कहा किसी भी परीक्षा की शुचिता 4 तरीकों से प्रभावित की जाती है. पहला पेपर प्रारंभ होने से पहले जो पेपर आने वाला है वह बाहर आ जाए और सॉल्वर गैंग आंसर –की परीक्षार्थी तक पहुंचा दे. दूसरा पेपर के दौरान असली आदमी ना बैठकर सॉल्वर परीक्षा देने के लिए बैठ जाए. वह पेपर लीक नहीं है यह सॉल्वर गैंग एक्टिव होता है. 

Advertisement

तीसरे तरीके में पेपर तो सही आदमी दे रहा है लेकिन उसको कोई ऐसी ब्लूटूथ डिवाइस या कुछ और कोई डिवाइस दे दिया जाता है जिससे बाहर बैठा आदमी उसको जवाब बताता है. परीक्षा के दौरान बाहर बैठे सॉल्वर के पास पेपर कई बार अनुपस्थित परीक्षार्थी वाला पेपर पहुंच जाता है, कई बार कुछ बोगस परीक्षार्थी क्वेश्चन पेपर लेकर भाग जाते हैं जिससे सॉल्वर के पास वह पेपर पहुंच जाता. चौथी तरह की अनियमितता जो पहले प्रकाश में आई थी, जिसमें पेपर खत्म होने के बाद उसकी ओएमआर शीट में मैनिपुलेशन गड़बड़ी करके परीक्षा पास कराई जाती थी. 

इतने चाकचौबंध के बाद परीक्षार्थी तक पहुंचता है पेपर
आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार का कहना है कि हमने इन चारों चीजों पर काम किया है, पेपर लीक ना हो, पेपर के दौरान कोई सॉल्वर परीक्षा दे रहा है तो वह पकड़ा जाए, कोई ब्लूटूथ डिवाइस लेकर चला गया है उसको पकड़ा जाए और अगर परीक्षा के बाद कोई ओएमआर शीट में गड़बड़ी कर रहा है तो उसको भी पकड़ा जाए. इसके लिए पहले जहां तक पेपर लीक की बात होती है तो जो भी क्वेश्चन पेपर बनाया होता है उसके मल्टीपल सेट बनते हैं. उसमें कौनसी पाली में कौन सा सेट इस्तेमाल किया जाएगा यह उसी दिन परीक्षा के दिन सुबह डिसाइड होता है. अगर सुबह 10:00 परीक्षा है तो सुबह 5:00 बजे उसे डिसाइड किया जाता है. इसे आयोग के अध्यक्ष खुद सुबह 5:00 बजे से randomly  सेट को सेलेक्ट कर एसएमएस कर देते हैं कि आज इस पाली में यह पेपर सेट आएगा.

Advertisement

परीक्षा पेपर ट्रेजरी में रखे होते हैं. कौन सा सेट परीक्षा केंद्र के लिए निकलेगा यह सुबह 5:00 सेलेक्ट होने बाद निकलता है. जो पेपर  निकलता है वह मजिस्ट्रेट और पुलिस  सुरक्षा में सीलबंद बक्सों में परीक्षा केंद्र पर पहुंचाए जाते हैं. जब परीक्षा केंद्र पर पेपर पहुंचता है तो वहां पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट, परीक्षा केंद्र प्रभारी और परीक्षा कराने वाली कार्यदाई संस्था का इंचार्ज होता है. वही लोग उसे रिसीव करते हैं जिसमें यह लिखते हैं कि हमें जो बक्सा मिला है सील बंद अवस्था में, ताला बंद अवस्था में मिला है जिस पर यह तीनों लोग दस्तखत करते हैं. 

इसके बाद परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक न हो जाए इसके लिए बॉक्स पर दो ताले लगाए जाते हैं. एक ताला चाबी से खुलता है और दूसरा डिजिटल लॉक होता है. इस डिजिटल लॉक का कोड परीक्षा शुरू होने से एक घंटा पहले ही बताते हैं. उत्तर प्रदेश सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार का कहना है कि पेपर लीक की संभावना को नगण्य करने के लिए हर कमरे में 24 परीक्षार्थी होंगे और हर परीक्षार्थी का अलग-अलग सीलबंद टैंपर प्रूफ लिफाफा होगा जिसमें उसका क्वेश्चन पेपर और ओएमआर शीट होगी. 

अब एक नहीं चार एजेंसी कराऐगी परीक्षा 
आयोग के अध्यक्ष का कहना है कि पहले हमें जो कई बार पुनः परीक्षा करानी पड़ी उसमें एक ही संस्था को एंड टू एंड काम दे दिया गया था. उस समय व्यवस्था की गई कि वही पेपर बनाएंगे वही छापेंगे वही एग्जाम कराएंगे वही स्कैनिंग और सिक्योरिटी का इंतजाम करेंगे. लेकिन पालीवाल कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय हुआ है कि सारा काम एक ही एजेंसी को ना दिया जाए. पेपर बनाने से लेकर रिजल्ट तैयार करने तक का काम अलग अलग एजेंसी कराए. इसके लिए सबसे पहले जो पेपर बनाने और छापने वाली एजेंसी होती है वह अलग होती है. वह पेपर बनाकर छाप कर चली गई उसका काम खत्म हो जाता है. 

Advertisement

इसके बाद दूसरी एजेंसी जो एग्जाम कराती है उसका काम होता है कि वह क्वेश्चन पेपर ट्रेजरी से निकाले, एग्जाम कराए और जो ओएमआर शीट की मेन कॉपी है वह आयोग की टीम के पास देकर जाए और दूसरी कार्बन कॉपी ट्रेजरी में जमा करवाएगी. जो तीसरी एजेंसी होगी वो फ्रिस्किंग, बायोमेट्रिक , सीसीटीवी फुटेज यानी सिक्योरिटी का काम करेगी. जो सबसे आखिरी और  चौथी एजेंसी होती है वो स्कैनिंग का काम करती है उसको सिर्फ स्कैनिंग का काम दिया जाता है, जो बेहद गोपनीय रखा जाता है. उसके पास और कोई काम नहीं होता है. वो ओएमआर शीट की स्कैनिंग करती है.

ओएमआर शीट में भी दो स्टेप रखते हैं. स्कैनिंग करने वाली एजेंसी ओएमआर शीट की फोटो कैप्चरिंग करते हैं कि किस बच्चे ने क्वेश्चन के जवाब में कितने और कौन सा जवाब दिया है. उसके बाद उनको आंसर-की दी जाती है जिससे आंसर-की लगाकर स्कोर कैलकुलेट कर सकें. यह सारी कार्रवाई सीसीटीवी में होती है. जहां स्कैनिंग होती है वहां किसी के भी बिना जांच के जाने की अनुमति नहीं होती है.  

आयोग ने साल्वर गैंग के लिए भी उठाए कई कारगर कदम
सॉल्वर गैंग से निपटने के लिए कई कारगर तरीके अपनाए गए है. पहले हर क्वेश्चन पेपर की 8 सीरीज A,B,C,D,E,F,G, H तक बनते थे और हर एक सेट में जो क्वेश्चन का सीक्वेंस होता था वह जंबल्ड होते थे. आंसर सीक्वेंस भी अलग-अलग रखते थे. इस व्यवस्था में एक कमरे में 24 परीक्षार्थी होते थे ऐसे में एक कमरे में एक ही सीरीज या सेट के 3 परीक्षार्थी होने की संभावना रहती ही थी. लेकिन अब आयोग ने सीरीज नंबर छापना ही बंद कर दिया है. अब किसी भी परीक्षा में कितनी सीरीज बनेगी वह आयोग को भी नहीं बताया जाएगा लेकिन किसी भी परीक्षा में 10 सीरीज या सेट से कम नहीं बनेगे. किसी परीक्षा की 14 सीरीज बनती है किसी की 19 बनती वह हमें भी नहीं पता होता है. इसके लिए ही क्वेश्चन पेपर की हर सीरीज को कोडीफाई कर दिया गया है. जो सीरीज का कोड होता है वह क्वेश्चन पेपर में कोडिफाई कर दिया जाता है. उसका फायदा यह हुआ कि जो बच्चा एग्जाम दे रहा है उसको नहीं पता है कि यह क्वेश्चन पेपर किस सीरीज का है उसे सिर्फ 9 डिजिट का एक नंबर दिखाई पड़ता है जो कोडिफाइड होता है.

Advertisement

पहले परीक्षा व्यवस्था में एग्जाम खत्म होने के बाद जो आंसर शीट का बंडल बनता था वह प्रिंसिपल रूम में जाकर बनता था. यह प्रिंसिपल रूम में परीक्षा खत्म होने के शीट का बंडल 1 घंटे बाद बना या डेढ़ घंटे बाद किसी को नहीं पता होता है. लेकिन अब क्लास रूम में ही क्वेश्चन पेपर और ओएमआर शीट सीलबंद अवस्था में जाती हैं और सील बंद अवस्था में ही प्रिंसिपल के कमरे में भी आती हैं. 

कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कर रहे इस्तेमाल
पहले परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी का सिर्फ बायोमेट्रिक कैप्चर करते थे. कई बार बायोमेट्रिक नहीं मैच हो पाता था. तो अब अंगूठे के साथ साथ आंखों की,यानी iris स्कैनिंग शुरू कर दी है. अब जब कैंडिडेट का बायोमेट्रिक लिया जाता है तो उसका फोटो भी खींचा जाता हैं और आइरिस स्कैन भी करते हैं. जो फोटो खीचेगी उसका मिलान फॉर्म में अपलोड की गई फोटो से किया जाता है जिसको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट सॉफ्टवेयर डिटेक्ट करता है. उस सॉफ्टवेयर से पता चल जाता है कि फोटो किसी और की होती है और दूसरा व्यक्ति फोटो लगा कर आया है. इस सॉफ्टवेयर का फेस रिकॉग्निशन इंडेक्स FRI अगर निर्धारित वैल्यू से कम है तो उसे संदिग्ध की श्रेणी में मान लेते हैं उसकी परीक्षा तो करवाते हैं लेकिन परीक्षा के बाद उसकी दोबारा जांच आधार डाटा से करते हैं.

Advertisement

आयोग के चैयरमैन प्रवीर कुमार का कहना है कि पहले हम दूसरी या तीसरी स्टेज पर ही सॉल्वर को पकड़ पाते थे या फेक कैंडिडेट को पकड़ पाते थे लेकिन यह पहली बार हुआ कि ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती परीक्षा में फर्स्ट स्टेज में ही हमने 200 के लगभग सॉल्वर और उनसे जुड़े लोग पकड़े गए. प्रवीर कुमार का कहना है कि जो सॉल्वर गैंग सोचते थे कि तकनीक का इस्तेमाल वही कर सकते हैं तो इस बार हमने भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है और इतने लोगो को पकडा गया. इन सबके बावजूद यूपी एसटीएफ की भी मदद ली जाती है. तमाम लड़के कान के अंदर ब्लूटूथ डिवाइस लगाकर पहुंचे थे जिसको फ्रिस्किंग में डिटेक्ट कर पाना मुश्किल था. जिसे यूपी एसटीएफ ने इंटेलिजेंस से ऐसे लोगों को पकड़ा.

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार का कहना है कि मैं विश्वास दिलाना चाहूंगा जितने भी अभ्यर्थी हैं वो इस बात का विश्वास रखें कि इस व्यवस्था में अब इस बात की संभावना बिल्कुल शून्य है कि कोई व्यक्ति गड़बड़ी कर चयनित हो जाएगा. किसी न किसी स्तर पर पकड़ा जाएगा. जो चयन होगा वह पारदर्शी होगा मेरिट के आधार पर होगा इस बात का परीक्षार्थी विश्वास रखें. 

Advertisement

 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement