
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के तीन नए विश्वविद्यालयों, मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर, मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय मीरजापुर और गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद के निर्माण की प्रगति, कर्मचारियों की व्यवस्था और संचालन के संबंध में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों के निर्माण कार्यों के संबंध में कई जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं और उनकी समय पर पूरी होने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि "निर्माण कार्यों की समीक्षा के लिए एक संयुक्त टीम बनानी चाहिए, जिसमें विश्वविद्यालय, स्थानीय प्रशासन और कार्यदायी संस्था के प्रतिनिधि शामिल हों. यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्य समय से पूरा हो और गुणवत्ता से कोई समझौता न हो". उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि वे हर 15 दिन में निर्माण कार्यों की समीक्षा करें.
तरीके से पूरा होना चाहिए विश्वविद्यालयों का निर्माण कार्य
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण कार्य चरणबद्ध तरीके से किए जाएं. पहले चरण में अकादमिक और प्रशासनिक भवनों का निर्माण कराया जाए, फिर दूसरे चरण में कुलपति, फैकल्टी और गेस्ट हाउस का निर्माण हो, और तीसरे चरण में छात्रावासों का निर्माण किया जाए. इस प्रक्रिया के दौरान कुलपतियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि वे नियमित रूप से निर्माण कार्यों का निरीक्षण करें और गुणवत्ता सुनिश्चित करें.
जल्द होंगी नियमित कर्मचारियों की नियुक्तियां
मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से निर्माणाधीन विश्वविद्यालयों में जल्द से जल्द नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति करने की अपील की, ताकि विश्वविद्यालय के संचालन में कोई रुकावट न आए. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अस्थायी व्यवस्था के तहत कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और कुलपतियों को आवासीय सुविधाएं प्रदान की जाए.
इस बैठक में मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के लोगो, कुलगीत और सूत्रवाक्य तैयार करने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़ी किसी भी गतिविधि में इन प्रतीकों का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए. बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्य मंत्री रजनी तिवारी और कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर अधिकारियों को यह भी आदेश दिया कि किसी भी निर्माण कार्य में कोई बाधा उत्पन्न होने पर जिलाधिकारी और प्रमुख सचिव से संवाद किया जाए और शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किए जाएं.