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Voter's Ink: क्‍या होती है चुनाव में प्रयोग होने वाली स्‍याही? देश में सिर्फ एक जगह होता है निर्माण

What is Indelible Ink: वोटर्स इंक का इस्‍तेमाल चुनावों में किसी भी धोखाधड़ी यानी एक उम्‍मीदवार के कई बार मतदान करने से रोकने के लिए किया जाता है. आइए बताते हैं क्‍या है 'Voter's Ink' या मतदान वाली स्‍याही और क्‍यों इसे मिटाना संभव नहीं है.

What is Voters Ink: What is Voters Ink:
रविराज वर्मा
  • नई दिल्‍ली,
  • 10 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST
  • केवल मैसूर में होता है स्‍याही का निर्माण
  • स्‍याही में मिलाया जाता है सिल्‍वर नाइट्रेट

What is Indelible Voter's Ink: मतदान से पहले मतदान अधिकारी आपकी उंगली पर एक स्याही लगाता है और जब आप इसे धोने की कोशिश करते हैं तो यह किसी आम स्‍याही की तरह गायब नहीं होती. देशभर के हर आम चुनाव में इस स्‍याही का इस्‍तेमाल होता है जिसे किसी भी साबुन या डिटर्जेंट से धुला नहीं जा सकता है. वोटर्स इंक का इस्‍तेमाल चुनावों में किसी भी धोखाधड़ी यानी एक उम्‍मीदवार के कई बार मतदान करने से रोकने के लिए किया जाता है. आइए बताते हैं क्‍या है 'Voter's Ink' या मतदान वाली स्‍याही और क्‍यों इसे मिटाना संभव नहीं है.

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क्‍या है वोटर्स इंक?
स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है जो पराबैंगनी प्रकाश (ultravoilet light) के संपर्क में आने पर त्वचा पर दाग छोड़ देता है. पराबैंगनी प्रकाश सूर्य के प्रकाश का एक घटक है, यानी रोशनी के संपर्क में आते ही सिल्‍वर नाइट्रेट त्‍वचा पर दाग दे देता है. इसे धोना असंभव है मगर समय के साथ यह खुद हटा दिया जाता है क्योंकि नई त्वचा कोशिकाएं मृत कोशिकाओं की जगह लेती रहती हैं. स्‍याही में सिल्वर नाइट्रेट की सांद्रता यानी कंसन्‍ट्रेशन 7 प्रतिशत से 25 तक होता है.

कहां बनती है वोटर्स इंक?
इस स्याही का निर्माण कर्नाटक सरकार के उपक्रम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) में किया जाता है. कंपनी वोटर्स इंक के निर्माण और सप्‍लाई में स्‍पेशलाइज्‍ड है. MPVL भारत में इस फुलप्रूफ स्याही का एकमात्र अधिकृत आपूर्तिकर्ता है, जिसके पास 1962 से राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) द्वारा दिया गया विशेष लाइसेंस है.

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कब हुआ पहली बार प्रयोग
1962 में, ECI ने केंद्रीय कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) और NRDC के सहयोग से मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) के साथ संसद, विधानसभा और अन्य आम चुनावों के लिए, देश के सभी राज्‍यों में इस स्याही की आपूर्ति के लिए समझौता किया था. इसके बाद से लगातार इसका उपयोग जारी है.

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