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क्या है चंद्रयान पर NCERT मॉड्यूल विवाद? छात्रों को दे रहे गलत जानकारी? शिक्षा मंत्रालय ने दिया ये जवाब

एनसीआईरटी ने 17 अक्टूबर को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में 'चंद्रयान उत्सव' नामक मॉड्यूल का सेट ऑनलाइन जारी किया था. ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क (AIPSN) ने इसे छात्रों को दी जाने वाली गलत जानकारी बताया है.

NCERT Chandrayaan module controversy NCERT Chandrayaan module controversy
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

स्कूली छात्रों को भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के बारे में शिक्षित करने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद उस पर डिटेल्ड मॉड्यूल जारी किया. 'चंद्रयान उत्सव' नाम के जारी एनसीईआरटी मॉड्यूल में 'पौराणिक कथाओं के साथ साइंस को मिलाने पर' नया विवाद खड़ा हो गया है. ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क (AIPSN) ने इसे छात्रों को दी जाने वाली गलत जानकारी और वास्तविक नुकसान बताते हुए 'खतरा' कहा है. साथ ही कंटेंट में प्रूफ की गड़बड़ियां भी गिनाई हैं.

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25 राज्यों के 40 संगठनों के एक संघ, ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क (एआईपीएसएन) ने भी चिंता व्यक्त की है कि मॉड्यूल एरर्स और गलत जानकारी के साथ गलत तरीके से लिखे गए हैं. कंसोर्टियम ने कहा कि वे छात्रों को स्पेस साइंस के रोमांचक "मौजूदा क्षेत्र" से दूर कर सकते हैं. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एनसीईआरटी रीडिंग मॉड्यूल मिथक साइंस को बढ़ावा देते हैं और मिडिल स्कूल्स के स्टूडेंट्स के लिए भ्रामक दावे करते हैं.

चंद्रयान पर एनसीईआरटी मॉड्यूल पर विवाद क्यों?
दरअसल, एनसीआईरटी ने 17 अक्टूबर को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में 'चंद्रयान उत्सव' नामक मॉड्यूल का सेट ऑनलाइन जारी किया था. यह विमोचन नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ की उपस्थिति में हुआ था. इसरो के चंद्रयान मिशन की यात्रा को इंटरैक्टिव ग्राफिक्स और आकर्षक चित्रों के साथ दस मॉड्यूल में विभाजित किया गया था.

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इंडिया को लिखा 'भारत'
इसे लेकर कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस लेख में कथित तौर पर इसरो और मिशन में शामिल वैज्ञानिकों के योगदान के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ज्यादा फोकस किया गया है. रिपोर्ट्स में यह भी आरोप लगाया गया है कि मॉड्यूल ने अपने 17 पेजों में लगातार इंडिया को 'भारत' के रूप में संदर्भित किया है.

NCERT ने हटाकर वापस ऑनलाइन किया वेबपेज
हालांकि, प्रेस और मीडिया कवरेज में देखी गई गंभीर आलोचना की वजह से एनसीईआरटी ने शुरू में मॉड्यूल पर वेबपेज को हटा दिया, लेकिन बाद में सरकार ने 25 अक्टूबर को पीआईबी विज्ञप्ति में मॉड्यूल का बचाव करते हुए कहा, "पौराणिक कथाएं और दर्शन विचारों को आगे बढ़ाते हैं और वो विचार इनोवेशन और रिसर्च बनता है." इसके बाद वेबसाइट वापस ऑनलाइन आ गई! इन मॉड्यूल को एनईपी 2020 (फाउंडेशनल, प्राइमरी, मिडिल स्कूल, सेकेंडरी और हायर) में बांटे गए सीखने के चरणों के लिए लक्षित किया गया था.

यहां देखें एनसीईआरटी का जरूरी नोटिस-

मॉड्यूल में क्या होता है?
उदाहरण के लिए, कक्षा IX और X के छात्रों के लिए एक मॉड्यूल में निम्नलिखित पाठ शामिल है: “चंद्रमा हमारे रात के आकाश में सबसे चमकीला और सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है. पृथ्वी को चंद्रमा से कई लाभ मिलते हैं... यह (चंद्रमा) ज्वार बनाता है और पृथ्वी को सौर हवाओं से बचाता है, जो ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए आदर्श है.

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एआईपीएसएन ने इस पाठ को भ्रामक और गलत बताया है, क्योंकि उन्होंने कहा था कि चंद्रमा केवल पृथ्वी से निकटता के कारण सबसे बड़ा खगोलीय पिंड लगता है. एआईपीएसएन ने कहा, "सौर हवा से पृथ्वी की रक्षा करने वाला चंद्रमा गलत है और वाक्य का दूसरा भाग, जो ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए आदर्श है, का पहले भाग से कोई संबंध नहीं है और यहां अर्थहीन है."

'चंद्रयान उत्सव' मॉड्यूल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें-

शिक्षा मंत्रालय ने दिया ये जवाब
जवाब में, शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि "शिक्षकों और छात्रों को पारंपरिक किताबों से परे नॉलेज से लैस करना" महत्वपूर्ण है. साथ ही कहा गया है कि इस कोशिश का उद्देश्य भारत और उसकी उपलब्धियों पर गर्व की भावना पैदा करना है. मंत्रालय ने कहा कि देश की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए करिकुलर मैटेरियल को किताबों से परे आसान और आकर्षक तरीके से विस्तारित करना जरूरी है.

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