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कौन हैं IAS हीरालाल समारिया? बने देश के पहले दलित मुख्य सूचना आयुक्त, होंगे ये अध‍िकार

केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission या CIC) भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना साल 2005 में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत की गई थी. इसका उद्देश्य उन आवेदकों को सुविधा देना है जो किसी सरकारी विभाग या मंत्रालय से मांगी गई सूचनाओं से संतुष्ट नहीं है या उसे सूचनाएं नहीं दी गईं हैं.

पूर्व IAS हीरालाल समारिया पूर्व IAS हीरालाल समारिया
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 06 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

1985 बैच के आईएएस अधिकारी हीरालाल सामरिया को देश का मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) नियुक्त‍ किया गया है. उन्हें देश के पहले दलित सीआईसी होने का गौरव भी मिला है. 

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में 63 वर्षीय सामरिया को उनके पद की शपथ दिलाई. इस समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे. 

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आईएएस सामरिया का जन्म राजस्थान के भरतपुर जिले के एक सुदूर और छोटे से गांव पहाड़ी में हुआ था. अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं. वाईके सिन्हा का कार्यकाल 3 अक्टूबर को पूरा होने के बाद से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली था. इस पद पर अब सामरिया को जिम्मेदारी दी गई है. 

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी सामरिया ने श्रम और रोजगार सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं. इससे पहले उन्होंने 7 नवंबर, 2020 को सीआईसी में सूचना आयुक्त के रूप में शपथ ली थी. IAS सामरिया की मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति के बाद, आठ सूचना आयुक्तों की रिक्ति बाकी है. वर्तमान में आयोग में दो सूचना आयुक्त हैं. बता दें कि आयोग का नेतृत्व मुख्य सूचना आयुक्त करता है और इसमें अधिकतम 10 सूचना आयुक्त हो सकते हैं. 

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एक मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक पद पर बने रह सकते हैं, अभी उनका कार्यकाल दो साल और बाकी है. केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission या CIC) भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना साल 2005 में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत की गई थी. इसका उद्देश्य उन आवेदकों को सुविधा देना है जो किसी सरकारी विभाग या मंत्रालय से मांगी गई सूचनाओं से संतुष्ट नहीं है या उसे सूचनाएं नहीं दी गईं हैं. 

राष्ट्रपति एक समिति की सिफारिशों के आधार पर मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करता है.  जिसमे प्रधानमंत्री,लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होता है.

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