देश की पहली एलोपेसिया मॉडल का खिताब हासिल करने वाली केतकी जानी को आज लाखों लोग जानते हैं. उनकी नॉवेल को एक वेबसाइट ने चेप्टर वाइज देना शुरू किया है. बीते सप्ताह पहली तीन चेप्टर वाली किश्त आते ही 6000 लोगों ने उनकी कहानी पढ़ ली. ये कहानी कोई काल्पनिक कथा नहीं है, न ही किसी बेचारी या कैंसर मरीज की आत्मकथा है. केतकी कहती हैं कि ये कहानी एक औरत के समाज के मानकों को चुनौती देने की दास्तान है. जो मैंने कर दिखाया है, आइए आप भी जानिए केतकी की कहानी क्या है और क्यों ये हजारों लोगों को मोटिवेट कर रही है.
केतकी जानी ने aajtak.in से अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि मेरा जन्म अहमदाबाद में हुआ था. साल 2010 तक मेरी लाइफ भी किसी आम पढ़ी-लिखी, नौकरीपेशा महिला और एक पत्नी-मां के तौर पर बेहतर चल रही थी. लेकिन तभी एलोपेशिया बीमारी ने मेरी जिंदगी में दस्तक दे दी. हर सुबह मेरा तकिया बालों के गुच्छों से भरा रहने लगा. मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि ये अचानक हो क्या रहा है मेरे साथ. क्यों मेरे बाल अचानक झड़ते जा रहे हैं.
केतकी कहती हैं कि डॉक्टरों ने जब बताया कि मुझे एलोपेशिया है जो कि कभी ठीक नहीं हो सकती, जिसके कारण मेरे बाल टूट रहे हैं. मेरे लिए ये किसी सदमे से कम नहीं था. मैं भी तब तक उसी समाज का हिस्सा थी जहां महिलाओं के बाल उनकी खूबसूरती के तय मानकों में से जरूरी माने जाते हैं. दस महीने नहीं हुए और मैं पूरी तरह गंजी हो गई थी. अपने आपको पूरा ढककर रखने लगी. किसी के सामने जाना, किसी को फेस करना मेरे लिए मुश्किल हो गया था. मैं धीरे धीरे डिप्रेशन में जाने लगी.
डिप्रेशन के तीन साल हो गए, जिंदगी, ख्वाब, उम्मीदें जैसे सब उनके साथ घर की चारदीवारी में कैद हो गए. एक ऐसा कमजोर लम्हा भी आया जब केतकी ने खुद को खत्म करने तक की सोची. वो कहती हैं कि आज वो बात सोचती हूं तो अपने मन की अवस्था सोचकर बहुत सारी एलोपेशिया पेशेंट को समझना आसान लगता है. उस कमजोर लम्हे में मैंने अपने बच्चे और परिवार की तरफ देखा और सोचा कि क्या सिर्फ बाल ही मेरी पहचान हैं, नहीं ये कभी नहीं हो सकते. मेरी पहचान मेरा अस्तित्व मेरा ज्ञान और मेरे अपने हैं.
फिर बाहर निकलीं तो लोगों की निगाहें और सवालों का सामना करना लाजिमी था और केतकी ने ये बखूबी किया. और तो और उन्होंने अपने सिर पर टैटू बनवाया. फिर एक दिन एड देखकर मिसेज इंडिया वर्ल्ड वाइड में फॉर्म भरा. इसमें उन्होंने हेयर वाले कॉलम में नो हेयर लिखा था. केतकी कहती हैं कि मैं इस प्रतियोगिता में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि आगे जाकर वो Mrs. Universe मै हिस्सा लेनेवाली विश्व की प्रथम प्रतियोगि बनी जो एलोपेसिया का शिकार थीं. केतकी कहती हैं कि दुनियाभर के 70 देशों की beauty queen थींं वहां, जहां से मैंने ये संदेश दिया.
लेखिका मनिका मोहनी केतकी के बारे में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखती हैं कि केतकी जानी कई साल से मेरी फ़ेसबुक मित्र हैं. मैंने फ़ेसबुक पर आकर ही इनके बारे में जाना कि पुणे में रहने वाली यह गुजराती 50+ छोकरी एक चर्चित मॉडल हैं जो बिना बालों की होने के बावजूद मॉडलिंग में कई पुरस्कार जीत चुकी हैं.
इनके मित्र बनने के बाद मैंने पहली बार एलोपेशिया बीमारी का नाम सुना था, जिसमें सिर के सारे बाल उड़ जाते हैं और व्यक्ति, खासकर महिलाएं गंजी हो जाती हैं. मैं इनकी इस बात से अत्यंत प्रभावित हुई कि इन्होंने अपनी इस कमी को अपनी ताकत बना लिया और यह साबित कर दिया कि स्त्री बालों के बिना भी सुंदर लग सकती है. हम प्रचलित मान्यताओं में जीते हैं कि सौंदर्य के लिए केश और केश विन्यास बहुत ज़रूरी है. केतकी ने इन मान्यताओं को बदल कर रख दिया और समाज के सामने एक नया आदर्श प्रस्तुत किया.
मैं स्वयं गंजेपन की लगभग एक वर्ष की अवधि से गुज़री हूं. जब कैंसर के बाद मेरे सिर के सारे बाल उड़ गए थे लेकिन मुझमें उस केश-विहीन सिर के साथ अपने कमरे से बाहर आने का साहस नहीं था और मैं विग लगा कर घर से बाहर निकलती थी, काम पर जाती थी। केतकी साहसी थीं, हैं, जिन्होंने सौंदर्य की एक नई परिभाषा गढ़ी, एक नया मानदंड स्थापित किया.
केतकी जानी इन दिनों अपने जीवन की संघर्ष-गाथा लिखे उपन्यास 'अग्निजा' को लेकर चर्चा में हैं. उपन्यासकार, पत्रकार, फिल्म-टीवी-ड्रामा-वेब सीरीज़ लेखक प्रफुल्ल शाह ने, सेमी-डाक्यु नोवेल 'अग्निजा' के जरिये ऑटो इम्यून डिजीज का सामाना कर रहीं केतकी के जीवन पर पूरी कहानी लिखी है. जिसे एपिसोड के रूप में एक वेबसाइट पर प्रसारित किया जा रहा है. अभी तक इसके तीन चेप्टर एक एपिसोड के तौर रिलीज हुए हैं, जिसे अब तक हजारों लोग पढ़ चुके हैं.