
अगर आप कॉन्फिडेंट हैं तो किसी भी चैलेंज या काम को आसानी से पूरा कर सकते हैं. सफल होने के लिए कॉन्फिडेंस का होना बहुत जरूरी है. जब हम किसी से बात करते हैं या किसी के सामने अपने विचार रखते हैं उस वक्त हमारा कॉन्फिडेंट होना बहुत जरूरी है. जब हम कॉन्फिडेंस से अपनी बात रखते हैं, तभी ही सामने वाला व्यक्ति उस बात पर ध्यान देता है और उसे सुनता है. अगर आपकी बातों में कॉन्फिडेंस की कमी नजर आएगी तो मुमकिन है कि सामने वाला व्यक्ति आप पर भरोसा न कर पाए.
कोई भी व्यक्ति जानकर ऐसी बातें नहीं कहता जिससे उसमें कॉन्फिडेंस की कमी नजर आए, लेकिन कई बार जाने-अनजाने में आप ऐसे वाक्यों का चुनाव कर लेते हैं जो आपमें कॉन्फिडेंस की कमी को दिखाते हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ वाक्य बता रहे हैं जिनके इस्तेमाल से सामने वाले व्यक्ति को ये लग सकता है कि आपमें कॉन्फिडेंस की कमी है. इसलिए आपको बातचीत के वक्त भूलकर भी ऐसे शब्दों या वाक्यों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
आपका जो मन है, वो हम कर सकते हैं: कई बार आपने लोगों को ऐसा कहते सुना होगा कि 'आपका जो मन है, वो हम कर सकते हैं'. जब आप ऐसा कहते हैं तो इससे ये लगता है कि आप सामने वाले व्यक्ति को अपने निर्णय लेने का हक दे रहे हैं. ये पूछने से बेहतर है आप सामने वाले व्यक्ति को ये बताएं कि आप क्या करना चाहते हैं. जब एक बार आप अपना सुझाव या विचार बता दें, उसके बाद आप सामने वाले से भी ये पूछ सकते हैं कि उनका क्या करने का मन है. इसके बाद आप अपने मनचाहे निर्णय पर पहुंच सकते हैं. मान लीजिए आपसे ऑफिस में किसी प्रोजेक्ट पर कोई सुझाव मांगा जाए और आप सुझाव देने की बजाए ये कहें कि जैसा आपको ठीक लग रहा है, वैसा कर सकते हैं. इससे ये प्रतीत होगा कि आपके खुद के विचार या सोच नहीं है. ये चीज कॉन्फिडेंस की कमी को दर्शाते हैं. अपने विचार रखना हमेशा जरूरी होता है.
मैं इस काम को अच्छे से नहीं कर सकता: हर वक्त खुद को कम आंकना कॉन्फिडेंस की कमी को दर्शाता है. कई बार आप ऐसे लोगों से मिले होंगे जिनकी बातों से आपको ये लगेगा कि वो खुद को दूसरों से कम समझते हैं. इसलिए किसी काम को बिना ट्राई करे आपको कभी ये नहीं कहना चाहिए कि ये काम तो आप कर ही नहीं सकते. कई बार ऐसा होता है कि आपके आसपास किसी व्यक्ति ने जीवन में कुछ अच्छा अचीव किया होता है. तो कुछ लोगों का पहला रिएक्शन ही ऐसा होता है कि अरे! ये मैं तो कर ही नहीं सकता. आपके इस वाक्य से आपके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी झलकती है.
पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे: जब आप इस वाक्य का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा लगता है कि आप अपने विचारों के लिए दूसरों से अच्छे या बुरे सर्टिफेकट की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि, आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है. जब आपके लिए ये जरूरी होने लगता है कि दूसरा आपके बारे में क्या सोच रहा होगा तो इससे ये साबित होता है कि आप जो कह या कर रहे हैं, उसपर आपको कॉन्फिडेंस ही नहीं है. अपने विचारों या एक्शन के लिए आपको किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.
बिना बात के सॉरी बोलना: जब आपकी गलती हो और आप सॉरी बोलें तो उसे अच्छा माना जाता है, लेकिन कुछ लोग होते हैं जो बिना अपनी गलती के ही दूसरों से माफी मांग लेते हैं. ऐसे लोगों में सेल्फ-कॉन्फिडेंस की कमी साफ झलकती है. अगर आप एक टीम वर्क कर रहे हैं और किसी और की गलती की वजह से कोई प्रोजेक्ट खराब होता है तो उसके लिए आपको माफी मांगने या सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है. आपको पता होना चाहिए कि आपकी गलती नहीं है और आप काम बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. बिना बात के सॉरी बोलना कॉन्फिडेंस की कमी को दर्शाता है.
ये बेवकूफी वाला सवाल हो सकता है... : कभी भी किसी से सवाल पूछते वक्त आपको ऐसा महसूस करने की जरूरत नहीं कि आपका सवाल बेवकूफी भरा है. कई बार जाने-अनजाने में हम सवाल पूछने से पहले कहते हैं कि 'हो सकता है कि ये बेवकूफी भरा सवाल हो...', जब हम ऐसा कहते हैं तो इससे हम ये दर्शाते हैं कि हम जो पूछ रहे हैं, उसपर हमें खुद ही कॉन्फिडेंस नहीं है. इसलिए आपको ऐसा करने से बचना चाहिए.