
किसी को भी रिजेक्ट होना पसंद नहीं होता है. पर्सनल से प्रोफेशनल लाइफ तक हर कोई रिजेक्शन से थोड़ा परेशान हो जाता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो रिजेक्ट होने पर इतने ज्यादा परेशान हो जाते हैं कि इसका असर उनकी लाइफ पर नजर आने लगता है. जब रिजेक्शन का डर आपके ऊपर हावी होने लगता है तो आप अक्सर कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं जो आपके करियर या पर्सनल लाइफ को खराब कर सकती हैं.
रिजेक्ट होने का डर कैसे डालता है लाइफ पर असर?
दरअसल, जब किसी व्यक्ति को रिजेक्ट होने का डर बहुत ज्यादा सताने लगता है तो वो अपने जीवन जीने के तरीके में कुछ ऐसे बदलाव करते हैं जो उन्हें परेशान कर सकते हैं. रिजेक्ट होने का डर व्यक्ति को एक ऐसी लाइफस्टाइल जीने पर मजबूर कर देता है जहां वो दिखावे की जिंदगी जीने लगता है. उसे लगने लगता है कि अगर वो दुनिया को अपना असली रूप दिखाएंगे तो लोग उसे रिजेक्ट कर देंगे. ऐसे लोग एक नकाब पहन लेते हैं. आपकी ये आदत आपको दूसरों के सामने नकली और अप्रामाणिक बना सकती है. ऐसे लोगों पर भरोसा करना मुश्किल होने लगता है और धीरे-धीरे लोग आपको जिम्मेदारी देने से बचने लगते हैं.
इन लक्षणों से करें पहचान
कहीं आप भी उन लोगों में से तो नहीं हैं जिनके ऊपर रिजेक्शन का डर जरूरत से ज्यादा हावी होता है. आप इन लक्षणों से कर सकते हैं पहचान.
आगे बढ़ने में होती है मुश्किल: जब किसी को रिजेक्शन मिलता है तो उसे उससे उभरने के लिए लोग थोड़ा समय लेते हैं, लेकिन जिन लोगों के ऊपर रिजेक्शन का डर हावी होता है, वो उसे भूलाकर आगे बढ़ नहीं पाते. ऐसे लोग रिजेक्ट होने के बाद अपने ऊपर काम करने की जगह असफल होने या अस्वीकार किए जाने के बारे में ही सोचते हैं. वो इस रिजेक्शन से बाहर ही नहीं निकलते.
गुस्से में प्रतिक्रिया देते हैं: अगर आपको रिजेक्ट होने में जरूरत से ज्यादा डर लगता है तो आप अक्सर गुस्से को अपना हथियार बना लेते हैं. रिजेक्ट होने पर अगर आप अपनी कमियों पर काम करने की जगह गुस्से में प्रतिक्रिया देते हैं तो मुमिकन है आप रिजेक्शन के डर से जरूरत से ज्यादा घबराते हैं. ऐसा करने से आप अपने प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्तों को खराब भी कर सकते हैं.
नए अवसरों को नहीं करते ट्राई: ऐसे लोगों पर रिजेक्शन का डर इस कदर हावी होता है कि वो कुछ भी नया करने का नहीं सोचते. उन्हें कुछ नया ट्राई करने में ये डर सताता रहता है कि वो रिजेक्ट हो जाएंगे. इस कारण वो कई ऐसे अवसर छोड़ देते हैं जो उनकी जिंदगी को बेहतर कर सकते हैं.
फर्क नहीं पड़ने वाला एटीट्यूड: जिन लोगों को रिजेक्शन का डर होता है वो अक्सर ऐसा दिखावा करते हैं कि उन्हें किसी चीज से फर्क नहीं पड़ता. इसके पीछे यह वजह होती है कि अगर वो दिखाएंगे कि उन्हें फर्क पड़ता है तो लोग उन्हें जज करेंगे. हालांकि, इस तरह का एटीट्यूड उनके जीवन पर बुरा असर डाल सकता है. जब किसी की फीलिंग्स बाहर नहीं निकलती हैं तो वो अक्सर एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.
जरूरत से ज्यादा आत्मनिर्भर: जो लोग जरूरत से ज्यादा आत्मनिर्भर होते हैं, उनमें में रिजेक्शन का डर होता है. वो किसी से इस डर से मदद नहीं मांगते कि कहीं उन्हें सामने वाला व्यक्ति मना न कर दे. ऐसे लोग एक वक्त के बाद खुद को इमोशनल लेवल पर अकेला पाते हैं. उनके आसपास ज्यादा लोग नहीं होते.