
क्या आपके ग्रुप में ऐसे लोग हैं जिनके पास हर चीज का जवाब होता है? ज्यादातर ऐसा देखा जाता है कि हर ग्रुप में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति जरूर होता है जिससे बात करके आपको लगता है कि सामने वाले के पास कितना ज्ञान है. अक्सर ऐसे लोगों से हम इंप्रेस भी हो जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी इस बात को सोचा है कि कहीं सामने वाला व्यक्ति सिर्फ बुद्धिजीवी होने का दिखावा तो नहीं कर रहा?
कई लोग सच में ऐसे होते हैं जिनके पास ज्ञान का भंडार होता है. जिन्हें सच में चीजों के बारे में पता होता तो कई लोग ऐसे होते हैं जो केवल अटेंशन पाने के लिए बुद्धिजीवी होने का दिखावा करते हैं. आप अगर इनसे बात करें तो शायद ही ये दावा कर पाएं कि सामने वाला सच में बुद्धिजीवी है कि सिर्फ दिखावा कर रहा है. हालांकि, अगर आप इन लोगों की बात को ध्यान से सुनेंगे तो इस बात का पता आसानी से लगा सकेंगे कि सामने वाला सिर्फ दिखावा कर रहा है या सच में बुद्धिजीवी है. आइए जानते हैं कैसे.
दूसरों को इंप्रेस करने के लिए करते हैं बात: जो लोग सच में बुद्धिजीवी होते हैं वो अक्सर दूसरों का ज्ञान बढ़ाने के लिए बातें रखते हैं. उनका मकसद होता है कि सामने वाले व्यक्ति को किसी बारे में जानकारी दी जा सके. इसके लिए वो आपको बेहद सरल भाषा में चीजें समझाने की कोशिश करते हैं. वहीं, जो लोग बुद्धिजीवी होने का दिखावा करते हैं उनका मकसद होता है सिर्फ लोगों को इंप्रेस करना होता है. वो बातचीत के दौरान जानबूझकर ऐसे कठिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिससे सामने वाले को लगे कि इनका शब्दकोष कितना बड़ा और विभिन्न है.
बातचीत के वक्त दूसरों को टोकना: जो लोग बुद्धिजीवी होने का दिखावा करते हैं उनकी आदत होती है कि वो सामने वाले को बोलने का मौका नहीं देते. अगर कोई व्यक्ति कुछ बोल रहा है तो वो उसकी बात को बीच में ही काटकर अपनी बात कहने लगते हैं. ये लोग ऐसा इसलिए करते हैं ताकि इन्हें अंटेशन मिल सके. वहीं, जो लोग सच में बुद्धिजीवी होते हैं वो दूसरों की बात सुनते हैं, समझते हैं और फिर अपनी बात रखते हैं.
चर्चा को बहस में बदलना: एक्सपर्ट्स की मानें तो जो लोग केवल बुद्धिजीवी होने का दिखावा कर रहे होते हैं, वो कभी भी चर्चा नहीं कर सकते. वो केवल अपने आपको सही साबित करने में लगे रहते हैं जिसका नतीजा ये होता है कि उनके साथ कोई भी चर्चा बहस में बदल जाती है. आप किसी भी विषय पर चर्चा करें, इन्हें हर बात पर अपनी राय रखनी होती है और खुद को सही साबित करना होता है.
सिर्फ वही सुनते हैं जो वो सुनना चाहते हैं: जो लोग बुद्धिजीवी होने का दिखावा करते हैं वो कभी भी किसी भी बातचीत को पूरा सुनते या समझते नहीं है. वो केवल वहीं सुनते या समझते हैं, जो वो समझना चाहते हैं. वो पहले से ही अपनी राय बनाकर बैठे होते हैं और बातचीत के वक्त पहले से ही बनी अपनी राय के हिसाब से तर्क देते हैं.