
कुल लोगों को पब्लिक के सामने बोलने में बिल्कुल डर नहीं लगता जबकि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें पब्लिक स्पीकिंग के नाम से ही पसीना आने लगता है. कई लोग तो ऐसे होते हैं जो अपने दोस्तों और परिवार के बीच अपनी बातचीत को सही तरह रखना जानते हैं, लेकिन जैसे ही पब्लिक स्पीकिंग की बात आती है तो वो अपनी बात को सही ढंग से नहीं रख पाते. ऐसा इसलिए नहीं होता क्योंकि उन्हें ज्ञान नहीं है बल्कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पास ज्यादा लोगों के सामने बोलने का कॉन्फिडेंस नहीं होता है.
भीड़ के सामने बोलने का कॉन्फिडेंस हर किसी में नहीं होता. हालांकि, थोड़ी सी मेहनत और तैयारी से आप अपने इस डर को निकाल सकते हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपने इस डर पर काबू पा सकते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं वो तरीके.
अभ्यास करें और तैयारी करें: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पब्लिक स्पीकिंग से पहले घबराहट होना सामान्य है. कई लोगों के घबराहट से हाथ कांपने लगते हैं तो कई लोगों को पेट में अजीब महसूस होता है. घबराहट के ये लक्षण बहुत साधारण हैं, ज्यादातर लोग इससे जूझते हैं. हालांकि, आपको इन लक्षणों से ये अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि आपकी स्पीच या प्रेजेंटेशन खराब होगी. अगर आप अपनी स्पीच या प्रेजेंटेशन अच्छी तरह देना चाहते हैं तो उसका सबसे अच्छा तरीका है कि तैयारी अच्छी करें और बार-बार अभ्यास करें. अभ्यास और तैयारी से आप अपनी स्पीच या प्रेजेंटेशन को लेकर कॉन्फिडेंट फील करेंगे.
अपने दर्शकों या श्रोताओं के बारे में जान लें: किसी भी स्पीच या प्रेजेंटेशन को अच्छी तरह से देने के लिए जरूरी है कि आप अपने दर्शकों या श्रोताओं के बारे में अच्छे से जान लें. दरअसल, जब आपको अपने ऑडियंस के बारे में अंदाजा होगा तो आप उनसे जुड़ा हुआ महसूस कर पाएंगे और आपकी घबराहट थोड़ी कम होगी. ऑडियंस के बारे में पता होने से सबसे ज्यादा फायदा ये होता है कि आप स्पीच या प्रेजेंटेशन के बीच-बीच में अपनी ऑडियंस से बातचीत कर सकते हैं. इससे आपकी स्पीच और प्रेजेंटेशन और ज्यादा अच्छी रहती है.
शीशे के सामने बोलने की प्रैक्टिस करें: स्कूल के दिनों से हम सब ये बात सुनते आ रहे हैं कि स्पीच देने से पहले आपको शीशे के सामने प्रैक्टिस करनी चाहिए. हालांकि, बहुत कम लोग हैं जो इस एक्सरसाइज को फॉलो करते हैं. जिन लोगों ने भी इस एक्सरसाइज को फॉलो किया है, उन्हें पता है कि ये एक्सरसाइज कितनी ज्यादा मददगार साबित होती है. शीशे के सामने बोलने से आप अपने एक्सप्रेशन पर काम कर सकते हैं, अपने बॉडी पोशचर पर ध्यान दे सकते हैं.
रिकॉर्ड करके सुनें: स्पीच या प्रेजेंटेशन के लिए अक्सर माइक का इस्तेमाल होता है. माइक पर अपनी आवाज सुन पाने के लिए भी प्रैक्टिस की जरूरत होती है. कई लोग अपनी आवाज सुन नहीं पाते. इसके लिए जरूरी है कि आवाज को रिकॉर्ड करके सुना जाए और उसके उतार चढ़ाव पर गौर करके उनमें सुधार किया जा सके. जब आप ऐसा करेंगे तो आपको माइक पर बोलने पर कम घबराहट होगी.
ज्यादा बोलने से बचें: प्रेजेंटेशन या पब्लिक स्पीच के दौरान ज्यादा बोलने से बचना चाहिए. इसकी वजह ये है कि जब हम ज्यादा बोलने की कोशिश करते हैं तो हड़बड़ाहट होती है, जिसके वजह से हम जल्दी-जल्दी बोलना चाहते हैं. इन सबमें हम सांस कम ले पाते हैं और कम सांस ले पाने की स्थिति में एग्जाइटी होती है, जो हमारी आगे की स्पीच को बिगाड़ सकती है.