गुरुवार की सुबह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक फार्मा कंपनी में गैस लीकेज की घटना ने सबको हिलाकर रख दिया. अभी भी हालात नियंत्रण में नहीं आ सके हैं. स्थानीय प्रशासन और नेवी ने फैक्ट्री के पास के गांवों को खाली करा लिया है. अब तक आठ लोगों की मौत होने की सूचना है. इस घटना ने आज से 36 साल पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी की यादें फिर से ताजा कर दी हैं. इस त्रासदी के चश्मदीद ने aajtak.in को बताया था कि किस तरह भोपाल गैस त्रासदी लोगों पर कहर बनकर टूटी थी. आइए जानें.
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए हादसे में पीड़ित को ऐसे पहुंचाया गया अस्पताल
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भोपाल गैस त्रासदी को 36 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी इसका दर्द लोगों की आंखों से बह रहा है. घटना 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात हुई, जब यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने में जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइट (MIC) का रिसाव हुआ जिसने कुछ ही घंटे में भोपाल शहर को अपनी चपेट में ले लिया.
(फोटो: भोपाल गैस त्रासदी के बाद लोगों की मदद करते पीड़ित संजय, ये उनकी 36 साल पुरानी फोटो है)
मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस हादसे से 3,787 लोगों के मरने की पुष्टि की थी. दूसरे अनुमान बताते हैं कि इस केमिकल हादसे में 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर हो गई थी और लगभग 8000 लोग गैस रिसने के बाद होने वाली बीमारियों से मारे गये थे.
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए हादसे में पीड़ित को ऐसे पहुंचाया गया अस्पताल
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2006 में एक शपथ पत्र में सरकार ने माना था कि जहरीली गैस के रिसाव से करीब 5 लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे. आज भी यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रांगण में जहरीला कचरा जमा है जिसने आस-पास के इलाकों का पानी दूषित कर दिया है. जिसके दुष्परिणाम आज तक देखने को मिल रहे हैं.
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए हादसे में बच्चे भी हुए शिकार
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यूनियन कार्बाइड के सामने स्थित बस्ती जेपी नगर में संजय यादव का परिवार रहता है. ये परिवार भोपाल गैस त्रासदी का दंश आज भी झेल रहा है. जब इस कारखाने से गैस निकली थी उस वक्त संजय यादव की उम्र महज 12 से 13 साल थी.
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए गैस रिसाव के बाद मचा हाहाकार
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उस खौफनाक मंजर के बारे में संजय ने बताया था कि उस रात एकदम आंखों में जलन और खांसी हुई तो हम लोगों ने सोचा किसी ने मच्छरों को भगाने के लिए धुआं वगैरह किया होगा. संजय उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए कहते हैं, "हम सोते रहे जब आंखों में ज्यादा ही जलन मची तो हम लोगों ने बाहर निकल कर देखा तो काफी भीड़ भाग रही थी, कोई चिल्ला रहा था, कोई रो रहा था, सब कह रहे थे गैस निकल गई...गैस निकल गई तो हमने कहा कि ये गैस निकलना होता क्या है. जब सब भाग रहे थे तो सबको देखकर हम भी भागने लगे...भागते-भागते हम लोगों को चक्कर आ गया और हम बेहोश हो गए."
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए गैस रिसाव में कुछ लोगों की हालत बिगड़ गई, वो बेहोश हो गए
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बहन की मौत, बच्चे दिव्यांग
हादसे को याद करते हुए संजय यादव गमगीन हो जाते हैं और बताते हैं कि यह दूसरी पीढ़ी है जो गैस से प्रभावित हुई है . उनका कहना है कि गैस कांड में उनकी एक बहन की मौत हो गई थी. दूसरी पीढ़ी आई...हमारे बच्चे हुए हमें ऐसा लगा कि चलो अब सब ठीक हो जाएगा. लेकिन दो बच्चे हुए और दोनों ही दिव्यांग हुए.
फोटो: विशाखापट्टनम में हुए हादसे में पीड़ित को ऐसे पहुंचाया गया अस्पताल
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हम लोगों ने डॉक्टर को दिखाया. तब से लेकर अब तक डॉक्टरों के चक्कर लगा रहे हैं और ऐसा दंश झेल रहे हैं जो भगवान किसी को ना दे. रोज तिल-तिल कर मरना हो रहा है. डॉक्टर के पास लेकर गए तो डॉक्टरों ने कहा इसका इलाज हमारे पास नहीं है. एक डॉक्टर ने हमें बताया कि गैस से जेनेटिक बदलाव हुआ है इसलिए यह बच्चे गलत तरीके से विकसित हो रहे हैं.
फोटो: विशाखापट्टनम
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वहीं विशाखापट्टनम के विजाग में हुए इस हादसे के बारे में कहा जा रहा है कि घंटों के प्रयास के बाद
रिसाव पर काबू पा लिया गया है. इसके साथ ही फैक्ट्री के आस-पास से 3 हजार
लोगों का रेस्क्यू किया गया है. इस हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी
अस्पताल में 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लोगों की हालत गंभीर बताई
जा रही है. इसमें अधिकतर बुजुर्ग और बच्चे हैं. बताया जा रहा है कि सरकारी
अस्पताल में 150-170 लोग भर्ती कराए गए हैं. इसके अलावा कई लोगों को
गोपालपुरम के प्राइवेट अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है. 1500-2000 बेड
की व्यवस्था कर ली गई है.
फोटो: विशाखापट्टनम में गैस रिसाव के बाद रेस्क्यू टीम मौके पर
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