
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने लंबे समय बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से यूनिवर्सिटी के नाम से 'मुस्लिम' शब्द हटाने के सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. विश्वविद्यालय ने अपनी प्रतिक्रिया में यूजीसी के इस सुझाव को बेतुका बताया है. एएमयू ने इसे संस्थान के लंबे इतिहास और इसके विशेष स्थान को नजरअंदाज करने वाला बताया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एएमयू रजिस्ट्रार जावेद अख्तर ने सरकार को लिखा है, 'विश्वविद्यालय का नाम हमें अपने इतिहास, उद्देश्य और चरित्र के बारे में एक विचार देता है और इसे संरक्षित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है'. उन्होंने यह भी है कि समिति ने गलत तरीके से निष्कर्ष निकाला है कि एएमयू का नाम बदलने से अलीगढ़ विश्वविद्यालय धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का जन्म होगा.
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बता दें कि पिछले साल सलाह दी गई थी कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नाम से 'मुस्लिम' और 'हिन्दू' शब्द हटा लिया जाए, ताकि विश्वविद्यालयों का सेक्युलर चरित्र प्रदर्शित हो सके. उस दौरान सुझाव दिया गया था कि इन यूनिवर्सिटीज को 'बनारस विश्वविद्यालय' और 'अलीगढ़ विश्वविद्यालय' के नाम से भी बुलाया जा सकता है.
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से बनाई गई पांच कमेटियों में से एक ने यह ऑडिट 25 अप्रैल को मानव संसाधन मंत्रालय के कहने पर की थी. कमेटी ने कहा था कि 'मुस्लिम' शब्द की उपस्थिति उस विश्वविद्यालय के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर असर डालती है, जिस केंद्र सरकार की ओर से फंड दिया जाता हो.