
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विदशी छात्रों के एडमिशन लेने की संख्या घटी है. शिक्षा के जानकार इसे नस्लीय असहिष्णुता के डर से जोड़कर देख रहे हैं. वहीं नोटबंदी को भारत से आने वाले विद्यार्थियों में आई कमी की वजह बताया जा रहा है.
यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन की ओर से 500 अमेरिकन कॉलेजों में करवाए गए एक सर्वे के अनुसार इस साल, पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी बच्चों ने एडमिशन लिया है. इस इंस्टीट्यूट के लिए की गई रिसर्च की हेड राजिका भंडारी का कहना है कि इसकी कई वजह हैं. बता दें कि इस रिसर्च में कई इंटरनेशनल विद्यार्थियों पर आधारित डेटा है, जो कि राज्य विभाग की मदद से सामने आया है और रिसर्च को ओपन डोर्स के नाम से पब्लिश किया गया है.
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ताजा आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में 119,262, पीजी में 126516 और नॉन डिग्री में 54965 यानि कुल 300743 उम्मीदवारों ने एडमिशन लिया था. वहीं 2016-17 में यूजी में 115841, पीजी में 124888, नॉन डिग्री में 50107 बच्चों ने एडमिशन लिया. इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि यूजी में 2.9 फीसदी, पीजी में 1.3 और नॉन डिग्री में 8.8 विद्यार्थियों की कमी हुई है.
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अगर पुराने आंकड़ों की बात करें तो 2015 में चीन से 328547, भारत से 165918, साऊथ कोरिया से 61007 और सऊदी अरेबिया से 61287 विद्यार्थी आए थे और 2016 में यह संख्या बढ़ गई थी. 2016 के अनुसार चीन से 350755, भारत से 156267, साउथ कोरिया से 56663 और सऊदी अरब से 52611 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया था.