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वो मुख्यमंत्री जिसने 49 दिन में छोड़ा दिल्ली का दामन, फिर पाया बहुमत

पहले बाबू, फिर आंदोलनकारी, उसके बाद नेता और अब दिल्‍ल्‍ाी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सफर बेहद दिलचस्प रहा है. जानें, उनसे जुड़ी कुछ खास बातें.  

Arvind Kejriwal Arvind Kejriwal
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

वो ऐसा शख्‍स, जब राजनीति में आया तो सभी पार्टियों का जीना मुश्किल कर दिया.आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था. पहले बाबू, फिर आंदोलनकारी, उसके बाद नेता और अब मुख्यमंत्री बनने का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा है.

जानें उनके जीवन के बारे में

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हिसार में जन्मे अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की .

साल 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए, और उन्हें दिल्ली में Income tax commissioner में नियुक्त किया गया.

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शीघ्र ही केजरीवाल ने महसूस किया कि सरकार में भ्रष्टाचार काफी ज्‍यादा है.

जॉब के दौरान ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी. प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जनवरी 2000 में उन्होंने काम से विश्राम लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है. इसके बाद, फरवरी 2006 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फुल टाइम के लिए 'परिवर्तन' में काम करने लगे.

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अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया. दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया.

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अरविंद ने सूचना अधिकार अधिनियम को स्पष्ट करते हुए गूगल पर भाषण दिया. 2 अक्टूबर 2012 को गांधीजी और शास्त्रीजी के चित्रों से सजी पृष्ठभूमि वाले मंच से अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी.

उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी पहनी थी. वो शायद वही नारा लिखना पसंद करते जो पूरे अन्ना आंदोलन के दौरान टोपियों पर दिखाई देता रहा, 'मैं अन्ना हजारे हूं.' लेकिन उन्हें अन्ना के नाम और तस्वीर के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं है. इसलिए उन्होंने लिखवाया, 'मैं आम आदमी हूं'.

उन्होंने 2 अक्टूबर 2012 को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया. राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया. बाद में केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद के ट्रस्ट में हो रही धांधलियों के खिलाफ आन्दोलन छेड़ रखा है.

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अरविंद केजरीवाल डायबटीज के मरीज हैं. उनकी खांसी लंबे वक्त से ठीक नहीं हो रही थी. इसका इलाज कराने अरविंद बंगलुरु पहुंचे.

वैसे केजरीवाल मफलर मैन के नाम से भी जाने जाते है. उनका मफलर पहनने का स्टाइल इतना काफी फेमस हो गया था.

आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल और लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई.

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अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में फरवरी 2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया. 14 फरवरी 2015 को वे दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए.

उन्होंने 25,864 वोट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा कर सभी को हैरान में डाल दिया.

28 दिसम्बर 2013 में पहली बार CM बने केजरीवालदिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही 28 दिसम्बर 2013 का दिन केजरीवाल के राजनीतिक जीवन का सबसे अहम दिन है. पहली बार चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे केजरीवाल ने 'आम आदमी' की आवाज बनकर काम करने का ऐलान किया. लेकिन वह सिर्फ 49 दिन के बाद उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से 14 फरवरी 2014 को इस्तिफा देकर दिल्ली का हाथ छोड़ दिया.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक नौकरी के दौरान केजरीवाल ने चपरासी रखने से इनकार कर दिया था, वह खुद अपना केबिन साफ करते थे. आज भी करते हैं. बता दें नागपुर में ट्रेनिंग के दौरान उनकी मुलाकात सुनीता से हुई और 1995 में दोनों ने शादी कर ली.

 

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